असम की स्थिति कश्मीर जैसी नहीं होगी, इसके लिए मुसलमान हिन्दुओं को आश्वस्त करें !
क्या अभी तक असम के किसी मुख्यमंत्री ने इतनी कठोरता से मुसलमानों को सुनाया था ? असम के हिन्दुओं की रक्षा करने के लिए सरमा कठोर कदम उठाएं, यही हिन्दुओं की भावना है !
क्या अभी तक असम के किसी मुख्यमंत्री ने इतनी कठोरता से मुसलमानों को सुनाया था ? असम के हिन्दुओं की रक्षा करने के लिए सरमा कठोर कदम उठाएं, यही हिन्दुओं की भावना है !
कश्मीर की ‘पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी)’ की प्रमुख तथा पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट करके कहा है कि हिजाबबंदी जारी रखने का कर्नाटक उच्च न्यायालय का निर्णय अत्यंत निराशाजनक है । यह केवल धर्म का नहीं; अपितु चुनाव की स्वतंत्रता का विषय है ।
विभाजन के समय से, पाकिस्तान में हिन्दुओं की जनसंख्या का अनुपात २२% से घटकर ३% हो गया है । कोई इसका उल्लेख नहीं करता । यह दिखावटी धर्मनिरपेक्षतावादी मानव अधिकार संगठनों का पाखंड है !
शासन लोकतंत्र व्यवस्था का आधारस्तंभ है । हमारे देश में प्रत्येक ५ वर्ष में चुनाव होते हैं और शासनकर्ता बदल जाते हैं, तब भी प्रशासकीय कर्मचारी एवं अधिकारी वही होते हैं । शासनकर्ताओं द्वारा लागू की गई योजनाओं को कार्यान्वित करनेवाला प्रशासन ही होता है । अत: ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि … Read more
१. असम सरकार द्वारा मदरसों में दी जानेवाली धार्मिक शिक्षा के स्थान पर वहां विद्यालयों के विषयों को सिखाने का कानून बनाया जाना ‘पिछले कुछ वर्षों से असम में हिन्दू एवं राष्ट्र प्रेमी सरकार सत्ता में है । वहां के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने राष्ट्र की एकता … Read more
आज इतने लंबे समय के उपरांत प्रसिद्ध दिग्दर्शक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने द कश्मीर फाइल्स चलचित्र के माध्यम से अत्याचारियों को विश्व के पर्दे पर दिखाने का प्रशंसनीय प्रयत्न किया है ।ं
हिजाब के नाम पर बहस करनेवाले कुछ लोग निरंतर शरीयत का हवाला देते हैं । शरीयत कानून के अनुसार ‘जिस देश में शरीयत लागू नहीं, उस देश में मुसलमान नहीं रह सकते ।’ ऐसे इस्लाम में महिलाओं की आवाज पर भी बंधन है । शरीयत में कहा गया है कि ‘लडकियों को सार्वजनिक स्थान पर बोलने का भी अधिकार नहीं ।’
कई बार ऐसा दिखाई देता है कि मुसलमान से प्रेम करनेवाली हिन्दू महिला पहले अपना धर्म बदलती है । किसी मौलवी के पास ले जाकर उसका धर्मांतरण किया जाता है । उससे कोई सत्य प्रतिज्ञापत्र लिया जाता है, जिस पर लिखा होता है, ‘मैं अपनी इच्छा से धर्म बदल रही हूं और मेरे माता-पिता के पास जाने की मेरी इच्छा नहीं है ।
भारत में हिन्दू राष्ट्रवाद नहीं, अपितु ‘इस्लामी राष्ट्रवाद’ गत ७४ वर्षाें से चिंता का विषय बना है ! ‘इस्लामी राष्ट्रवाद’ के कारण ही कश्मीर में हिन्दुओं का वंशसंहार कर, उन्हें वहां से भगा दिया गया, इस विषय में अन्सारी क्यों मुंह नहीं खोलते ?
मस्जिद बंद करने के आधिकारिक कागजातों में कहा गया है कि ‘इमाम ने जिहाद को एक कर्तव्य’ कहा तथा जिहादियों को ‘इस्लाम के नायक’ के रूप में वर्णित किया । साथ ही, इमाम ने मुसलमानों के अतिरिक्त अन्य पंथियों को शत्रु घोषित कर दिया ।