ऋषि पंचमी (भाद्रपद शुक्ल ५ [२०.९.२०२३])

जिन ऋषियों ने अपने तपोबल से विश्व-मानव पर अनंत उपकार किए हैं, मनुष्य के जीवन को उचित दिशा दी है, उन ऋषियों का इस दिन स्मरण किया जाता है ।

श्राद्ध का उद्देश्य एवं श्राद्ध के विविध प्रकार

सर्व जीवों की लिंगदेह साधना नहीं करती । अतः श्राद्धादि विधि कर, उन्हें बाह्य ऊर्जा के बल पर आगे बढाना पडता है; इसलिए श्राद्ध करना महत्त्वपूर्ण है ।

सनातन धर्म को नष्ट करने के लिए ‘ इंडिया ‘ गठबंधन की स्थापना की गई है !

यह सर्वविदित है कि द्रमुक सनातन द्वेषी है तथा इसका जन्म ही सनातन द्वेष की भावना से हुआ है | इसमें कोई संदेह नहीं कि आगामी चुनाव में सनातन धर्मावलंबी ऐसे गठबंधन को राजनीतिक रूप से नष्ट कर देंगे ! यह एक बार पुन: सिद्ध हो जाएगा कि जो लोग सनातन को नष्ट करने की वार्ता करते हैं वे स्वयं ही समाप्त हो जाते हैं !

केरल के ईसाई पादरी द्वारा भगवान अय्यप्पा के ‘व्रतम’ का पालन करने के कारण चर्च कुपित !

चर्च द्वारा स्पष्टीकरण मांगते ही पादरी ने चर्च का पहचान पत्र और अनुमति वापस की ! समानता हिन्दुओं को सर्वधर्म समभाव का ज्ञान देनेवाले आधुनिकतावादी, नास्तिकतावादी, कांग्रेसवाले, वामपंथी अब चर्च को यह ज्ञान क्यों नहीं देते ?

(और इनकी सुनिए …) ‘भविष्य में भारत में हिन्दु धर्म नहीं रहेगा !’ – आयआयटी देहली की प्राध्यापिका दिव्या द्विवेदी

यह पृथकता से कहने की आवश्यकता नहीं है कि ऐसी द्वेषी प्राचार्या छात्रों को क्या सिखाती होगी ? शासन को ऐसे लोगों पर कार्यवाही करनी चाहिए !

मुख्यमंत्री इंग्लैंड जाकर ‘बघनखा प्रत्यर्पण’ समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे !

इसी बघनखा द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज ने उनसे धोखा करने वाले अफजलखान की आंतें बाहर निकाली थीं ।

ओंकारेश्वर मंदिर के संतों को भूमि में श्री हनुमान की मूर्ति होने का स्वप्न में दिखाई दिया !

‘खुदाई में श्री हनुमान की दो से ढाई फीट की मूर्ति मिली’, ऐसा इन संतों ने बताया । खुदाई के समय मूर्ति दिखने लगी ।

(और इनकी सुनिए …) ‘मंदिर में कुछ लोगों को शर्ट उतार कर प्रवेश देना, अमानवीय प्रथा है ।‘ देवता के सामने सब समान होते हैं । – कांग्रेस के मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या

शास्त्र, प्रथा-परंपरा के विषय में बिलकुल अज्ञानी तथा हिन्दु धर्म पर विश्वास न रखनेवाले ही ऐसे वक्तव्य दे सकते हैं ! ऐसे लोगों की ओर कौन ध्यान देगा ?

(और इनकी सुनिए…) ‘देहली में निर्मित फव्वारे शिवलिंग नहीं, अपितु कलाकृति हैं !’ – उप राज्यपाल वी.के. सक्सेना

ऐसी कलाकृति शिवलिंग के आकार में होना भी चूक ही है; क्योंकि इससे हिन्दुओं की भावनाएं आहत हुई हैं । इसके लिए उत्तरदायी लोगों के विरुद्ध सरकार को कठोर कार्रवाई करनी चाहिए !