(और इनकी सुनिए …) ‘ पितृपक्ष का भोजन पशु-पक्षियों के लिए हानिकारक है !’ – पशुचिकित्सक डॉ. हृदेश शर्मा

हिन्दुओं के त्योहारों की अपकीर्ति करने का षडयंत्र है ! क्या बकरीद के अवसर पर काटे जाने वाले बकरों को लेकर उनके मन में कभी इतना पशु प्रेम उमडा  है ?

श्राद्ध कौन करें एवं कौन न करें ?

मृत व्यक्ति के श्राद्ध कुटुंब में कौन कर सकता है एवं उसका अध्यात्मशास्त्रीय कारण इस लेख में देखेंगे । इससे यह स्पष्ट होगा कि हिन्दू धर्म एकमात्र ऐसा धर्म है जो प्रत्येक व्यक्ति का उसकी मृत्यु के उपरांत भी ध्यान रखता है ।

नांदीश्राद्ध (वृद्धिश्राद्ध) क्या है ? यह क्यों करते हैं ?

प्रत्येक मंगलकार्य के आरंभ में विघ्ननिवारणार्थ श्री गणपति पूजन करते हैं । उसी प्रकार पितर एवं पितर देवताओं का (नांदीमुख इत्यादि देवताओं का) नांदीश्राद्ध करते हैं ।

पितृदोष से उत्पन्न कष्ट दूर करने के लिए पितृपक्ष में किया जानेवाला दत्तात्रेय का नामजप एवं प्रार्थना !

‘आजकल अनेक साधकों को अनिष्ट शक्ति जनित कष्ट हो रहे हैं । पितृपक्ष के काल में (१८.९.२०२४ से २.१०.२०२४ की अवधि में) इन कष्टों में वृद्धि होने के कारण इस कालावधि में प्रतिदिन न्यूनतम १ घंटा ‘ॐ ॐ श्री गुरुदेव दत्त ॐ’ नामजप करें ।

श्राद्ध किसे करना चाहिए ?

माता-पिता तथा अन्य निकटवर्ती संबंधियों की मृत्यु के उपरांत, उनकी आगे की यात्रा सुखमय एवं क्लेशरहित हो तथा उन्हें सद्गति प्राप्त हो, इसलिए ‘श्राद्ध’ करना आवश्यक है । पितृपक्ष के निमित्त इस लेख में श्राद्ध का महत्त्व एवं लाभ तथा ‘श्राद्ध किसे करना चाहिए ?’ यह समझ लेते हैं ।

पाठकों, शुभचिंतकों और धर्मप्रेमियों से विनम्र निवेदन तथा साधकों के लिए महत्त्वपूर्ण सूचना !

पितृपक्ष में पितृलोक, पृथ्‍वीलोक के सर्वाधिक निकट आने से इस काल में पूर्वजों को समर्पित अन्‍न, जल और पिंडदान उन तक शीघ्र पहुंचता है । उससे वे संतुष्‍ट होकर परिवार को आशीर्वाद देते हैं ।

श्राद्ध का उद्देश्य एवं श्राद्ध के विविध प्रकार

सर्व जीवों की लिंगदेह साधना नहीं करती । अतः श्राद्धादि विधि कर, उन्हें बाह्य ऊर्जा के बल पर आगे बढाना पडता है; इसलिए श्राद्ध करना महत्त्वपूर्ण है ।

पितृदोष से उत्पन्न कष्ट दूर करने के लिए पितृपक्ष में किया जानेवाला दत्तात्रेय का नामजप एवं प्रार्थना !

पितृपक्ष की अवधि में पितृदोष से उत्पन्न कष्टों से रक्षा होने हेतु पूरे दिन में बीच-बीच में भगवान दत्तात्रेय से प्रार्थना करें और प्रतिदिन न्यूनतम १ घंटा ‘ॐ ॐ श्री गुरुदेव दत्त ॐ’ नामजप करें ।

श्राद्ध कौन करें व कौन न करें ?

दिवंगत व्यक्ति का श्राद्ध परिवार में किसने करना चाहिए और उसके पीछे का अध्यात्मशास्त्रीय कारण इस लेख में देखेंगे । इससे ध्यान में आएगा कि हिन्दू धर्म ही एकमात्र ऐसा धर्म है, जो प्रत्येक व्यक्तिका उसकी मृत्युके उपरांत भी ध्यान रखता है !

श्राद्ध करने में अडचन हो, तो उसे दूर करने का मार्ग

हिन्दू धर्म में इतने मार्ग बताए गए हैं कि ‘श्राद्धविधि अमुक कारण से नहीं कर पाए’, ऐसा कहने का अवसर किसी को नहीं मिलेगा । इससे स्पष्ट होता है कि प्रत्येक के लिए श्राद्ध करना कितना अनिवार्य है ।