देश के लिए सर्वोत्कृष्ट कार्य करने के लिए हिन्दू धर्म मुझे धैर्य एवं बल देता है ! – ऋषी सुनक

भारत के कितने हिन्दू लोकप्रतिनिधि इसप्रकार सार्वजनिकरूप से कहते हैं ?

राजकोट (गुजरात) में धर्मांधों ने श्रीगणेश मूर्ति बनाने वाले परिवार पर किया आक्रमण !

‘भारत में मुसलमान असुरक्षित हैं’, ऐसा कहने वाले कभी ‘भारत में हिन्दू असुरक्षित हैं’, ऐसा नहीं कहेंगे, यह समझें ! 

केले के पत्ते : पर्यावरणपूरक एवं वैज्ञानिकदृष्टि से उपयुक्त

भाग्यनगर में (हैद्राबाद) एक शास्त्रज्ञ ने खोज की, केले के पेड के तने अथवा केले के पेड मे लगे केलोंके गुच्छे के सिरे पर कमल के आकार का सिरा, पत्तों में जो चिपचिपा द्रव्य पदार्थ होता है, उसे खाने के उपरांत कर्करोग (कैंसर) बढानेवाली ग्रंथी धीरे-धीरे निष्क्रीय होती जाती है । इसलिए पुराने काल के … Read more

(और इनकी सुनिए …) ‘यदि रामास्वामी संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति बनते हैं, तो व्हाइट हाउस में हिन्दू देवताओं की विचित्र छवियां दिखेंगी ! – ट्रंप समर्थक पादरी हैक कुन्नेमन

हिन्दू होने पर गर्व करने वाले रिपब्लिकन पक्ष के संभावित प्रत्याशी विवेक रामास्वामी की ‘राष्ट्रवादी’ ईसाई पादरियों ने की आलोचना!

नेपाल के राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री ने पंडित धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री से मिलना अस्वीकार किया !

नेपाल में साम्यवादियों की (कम्यूनिस्ट) सरकार होने से उनको हिन्दू एवं हिन्दू राष्ट्र से एलर्जी है । इस कारण उन्होंने पंडित धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री से मिलना अस्वीकार किया, तो इसमें कैसा आश्चर्य !

सांस्कृतिक शक्ति एवं क्षमता के बल पर भारत विश्व के लिए आशा की किरण बनने में सक्षम !

भारत विश्व को ज्ञान, शुद्धता, समृद्धि एवं समर्पण सिखाने में सक्षम है ।  हम सूर्य की पूजा करते हैं, इसलिए हमारे देश को ‘भारत’ के नाम से संबोधित किया जाता है । 

नागपंचमी का इतिहास एवं नागपूजन का महत्त्व

नागपंचमी के दिन हलदी से अथवा रक्तचंदन से एक पीढे पर नवनागों की आकृतियां बनाते हैं एवं उनकी पूजा कर दूध एवं खीलों का नैवेद्य चढाते हैं । नवनाग
पवित्रकों के नौ प्रमुख समूह हैं ।

बहन-भाई का उत्कर्ष करनेवाला रक्षाबंधन !

श्रावण पूर्णिमा अर्थात इस वर्ष ३० अगस्त को रक्षाबंधन है । रक्षाबंधन त्योहार के दिन बहन अपने भाई की आरती कर प्रेम के प्रतीक के रूप में उसे राखी बांधती है । भाई अपनी बहन को भेंटवस्तु देकर उसे आशीर्वाद देता है ।

आध्यात्मिक स्तर पर भगवद्गीता का लाभ न लेनेवाला हिन्दू समाज !

‘श्रीमद्भगवद्गीता’ ग्रंथ वेदों के साथ ही सर्व धर्मग्रंथों का सार है । भगवद्गीता का प्रसार सभी स्तर पर होता है एवं अनेक हिन्दुओं के घर में यह ग्रंथ है; परंतु ऐसा होते हुए भी कलियुग में हिन्दू एवं हिन्दू धर्म की स्थिति अत्यंत विकट हो गई है ।

अपना उद्धार स्वयंको ही करना है !

कोई गुरु अथवा ईश्वर आकर हमसे हुई चूकोंका, पापोंका परिणाम नष्ट नहीं करेंगे, हमारा स्वभाव नहीं सुधारेंगे । हम भाग्यशाली हैं कि हमें ग्रंथोंसे, गुरुओंसे मार्गदर्शन मिला है । अब आगे हमें अपनी चित्तशुद्धि करनी है, हमें ही करनी है !