Pandit Dhirendra Krishna Shastri : ‘वासना के पुजारी’ जैसे शब्दों का उपयोग क्यों ? वासना के पादरी अथवा मौलाना क्यों नहीं ? -पंडित धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री
भारत में हिन्दू संतों, महंतों, धार्मिक गुरुओं तथा पुजारियों की फिल्मों, जनसंचार माध्यमों तथा अन्य माध्यमों से आलोचना की जाती है । इसके विपरीत, कई वासनात्मक गतिविधियों में लिप्त मौलाना अथवा पादरी के संबंध में कुछ नहीं कहा जाता है ।