विविध राष्ट्रप्रमुखों का भारत भ्रमण, उनका अर्थ और उससे देश को मिलनेवाला लाभ !

(निवृत्त) ब्रिगेडियर हेमंत महाजन

१. ‘जब तक सीमा विवाद समाप्त नहीं होता, तब तक भारत और चीन के मध्य संबंध विकसित नहीं हो सकते’, ऐसा भारत की ओर से चीन को संदेश दिया जाना

     हाल ही में चीन के विदेशमंत्री के भारत भ्रमण को विशेष प्रसिद्धि नहीं मिल सकी । इस भ्रमण के उपरांत उन्होंने कहा, ‘‘यह भेंट अच्छी रही ।’’ भारत के विदेशमंत्री ने कहा, ‘‘जब तक सीमा विवाद समाप्त नहीं होता और चीन अपनी सेना नहीं हटाता, तब तक हमारे संबंध विकसित नहीं हो सकते ।’’ चीन को ऐसा लगता है कि उन्होंने चाहे कितनी भी घुसपैठ की, तब भी भारत को उसे सहन करना चाहिए । इस यात्रा से कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ । उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना था; परंतु वह संभव नहीं हुआ । इससे भारत ने चीन को स्पष्टतापूर्ण संदेश दिया है ।

२. भारत का ऊर्जा सुरक्षा में आत्मनिर्भर होना आवश्यक !

     विगत ढाई वर्ष से ‘आत्मनिर्भर भारत’ के माध्यम से भारत की अर्थव्यवस्था को चीन से अलग करने का प्रयास चल रहा है । इसके अतिरिक्त देशांतर्गत उत्पादों को बढावा देने हेतु और आयात न्यून करने हेतु केंद्र सरकार ने ‘पी.एल.आई. (प्रॉडक्टिव लिंक इंसेंटिव)’ नाम से एक बडी योजना आरंभ की है । इसके साथ ही ४ प्रतिष्ठान भारत में वाहनों के लिए आवश्यक इलेक्ट्रॉनिक बैटरियां बनानेवाले हैं । उसके कारण बैटरियों के मूल्य घटेंगे । आज के समय में भारत का यातायात केवल डीजल और पेट्रोल पर निर्भर है । इससे देश को इलेक्ट्रॉनिक्स का विकल्प मिलेगा और उससे भारत के तेल का आयात अल्प हो जाएगा । आपातकालीन परिस्थिति में ईंधन तेल के संदर्भ में भारत के सामने संकट खडा हो सकता है, इसे ध्यान में रखकर भारत का ऊर्जा सुरक्षा में आत्मनिर्भर होना आवश्यक है ।

३. जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भेंट में विभिन्न सहयोगों पर हस्ताक्षर होना

     जापान विविध बातों में भारत की सहायता करने का इच्छुक है । जापान आनेवाले ५ वर्षाें में भारत में ४२ मिलियन डॉलर्स का निवेश कर रहा है । आज के समय में जापान के पास अतिरिक्त पूंजी (देश की आवश्यकताओं को पूरा कर शेष बची धनराशि) है । उनके पास बचत बहुत होने से उन्हें इस धनराशि का अपने देश में उपयोग करना संभव नहीं है । भारत उनका मित्र देश होने से वह हमारी सहायता कर रहा है । जापान प्रौद्योगिकी, जहाज निर्माण एवं रक्षा उद्योगों में अत्यंत विकसित देश है । जापान ने भारत के साथ जो अनुबंध किए, उनमें गुप्तचर जानकारी की लेन-देन, रक्षा अनुबंध, भारतीय और जापान के सशस्त्र बलों का एक-दूसरे के साथ सहयोग आदि सूत्रों का समावेश है । सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह कि जापान चीन का मुख्य शत्रु है । जापान की ‘मेरिटाइम’ (सागरिक) शक्ति, उनका वायुदल और नौदल अच्छा है । वे दक्षिण पैसिफिक समुद्र पर भली-भांति से ध्यान रख सकते हैं, जिसका भारत को अच्छा लाभ मिलेगा ।

४. भारत और ऑस्ट्रेलिया की बैठक के कारण देश को बडा लाभ मिलने की संभावना होना

     ऑस्ट्रेलिया एक बडा देश है । उनके पास प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन हैं । भारत को जो आवश्यक है, वह सब कुछ उनके पास है । आज के समय में उनके भारत के साथ अच्छे संबंध हैं । हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन की ‘वर्च्युअल’ बैठक हुई । उसमें ऑस्ट्रेलिया ने भारत में २८० मिलियन डॉलर्स का निवेश करने की इच्छा व्यक्त की । चीन ऑस्ट्रेलिया का भी मुख्य शत्रु है । भारत और ऑस्ट्रेलिया के मध्य विविध विषयों पर बना सहयोग अच्छी गति से आगे बढता जा रहा है । ऑस्ट्रेलिया अपनी अर्थव्यवस्था को चीन से अलग रखने का प्रयास कर रहा है । इसलिए इस बैठक से भारत को बडा लाभ मिलने की संभावना है ।

५. भारत के द्वारा ‘सार्क’ के स्थान पर ‘बिम्सटेक’ संगठन को महत्त्व दिया जाना और उस माध्यम से पाकिस्तान को दूर रखा जाना

     भारत ने इससे पूर्व ‘बिम्सटेक’ (बंगाल की खाडी बहुक्षेत्रीय प्रौद्योगिकी और सहयोग हेतु उपक्रम) नाम से एक संगठन की स्थापना की है । उसमें बांग्लादेश, म्यांमार, थाइलैंड, नेपाल, भूतान, श्रीलंका और भारत, इन देशों का समावेश है । आनेवाले दिनों में इस संगठन की ५ वीं परिषद होनेवाली है । उसमें भारत के प्रधानमंत्री मोदी ३० मार्च को भाग लेनेवाले हैं । इससे पूर्व ‘सार्क’ (दक्षिण एशियाई प्रादेशिक सहयोगी संगठन) था । उसमें भारत सहित पाकिस्तान, भूतान, म्यांमार, मालदीव, श्रीलंका इत्यादि भारत के पडोसी देश सम्मिलित थे । भारत, पाकिस्तान को अलग-थलग करना चाहता है; इसलिए भारत अब ‘सार्क’ से बातचीत नहीं करता । आज के समय में भारत ने पाकिस्तान को बहुत दूर रखा है । अब पाकिस्तान को भी यह समझ आ गया है कि उनकी नीति बहुत ही असफल सिद्ध हुई है । जब अफगानिस्तान तालिबान के नियंत्रण में आया, तब विश्लेषकों ने ऐसा कहा था कि तालिबानी आतंकी कश्मीर आकर भारत को कष्ट पहुंचाएंगे; परंतु वैसा नहीं हुआ । वहां भारतीय सेना अच्छा काम कर रही है । तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर नियंत्रण स्थापित किए जाने का पाकिस्तान को कुछ लाभ होता हुआ दिखाई नहीं दिया; परंतु आज के समय में लाखों अफगानी शरणार्थी पाकिस्तान की शरण में गए हैं । उसके कारण पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर दबाव और बढा है ।

६. नेपाल के प्रधानमंत्री शेरबहादुर देऊबा की भारतयात्रा और नेपाल को भारत से सहायता की अपेक्षा होना

     दोनों देशों के लोग बिना किसी पारपत्र के इस देश से उस देश में जा सकते हैं, जिसका कई बार अनुचित लाभ उठाया जाता है । पाकिस्तान नेपाल के माध्यम से भारत में अवैध तस्करी और व्यापार करता है । अब नेपाल पर चीन का दबाव बढ जाने से उनकी समझ में गया है कि ‘हम स्थायी रूप से चीन के गुलाम बन जाएंगे ।’ उसके कारण अब नेपाल को भी भारत से सहायता मिलने की अपेक्षा है । यह आशा है कि नेपाल पर चीन का जो दबाव है, उसे न्यून करने में भारत सफल रहेगा ।

– (सेवानिवृत्त) ब्रिगेडियर हेमंत महाजन, पुणे, महाराष्ट्र.

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन की पोलैंड यात्रा

     हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पोलैंड की यात्रा की । युक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को पोलैंड के माध्यम से भारत वापस लाया गया । ऐसा कहा जाता है कि युक्रेन के उपरांत रूस की आगे की कार्यवाही पोलैंड पर हो सकती है । आज जो लडाई चल रही है, उससे यह एक लाभ मिला कि इससे ‘नाटो’ (उत्तर अटलांटिक अनुबंध संगठन) नाम की युरोपीय देशों का जो संगठन मिटने की कगार पर खडा था, वह पुनर्जिवित हो रहा है; यह भारत के लिए अच्छी घटना है । इसका कारण यह है कि चीन भी रूस की बहुत सहायता करता रहता है । यदि रूस और चीन एक बाजू में हुए हों, तो भारत को चीन को शांत रखने के लिए युरोपीय देशों से भी सहायता लेनी चाहिए । भारत इसके लिए प्रयास कर रहा है ।

– (सेवानिवृत्त) ब्रिगेडियर हेमंत महाजन, पुणे