‘हलाल मांस’ एक ‘आर्थिक जिहाद’ !

हिन्दू जनजागृति समिति सहित अन्य हिन्दुत्वनिष्ठों ने भी ‘हलाल’ पद्धति के विषय में जनजागरण किया है । तभी यदि सरकार इस प्रकार की व्यापक जांच करती, तो ऐसी बातों पर लगाम लग सकती थी ! सरकार अब तो इसकी जांच कर जनता के सामने सच्चाई लाए, यही हिन्दुओं की अपेक्षा है ! – संपादक
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सी.टी. रवि ने किया स्पष्ट

     बेंगळूरु (कर्नाटक) – भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सी.टी. रवि ने यह प्रश्न उठाते हुए कहा कि हलाल मांस एक ‘आर्थिक जिहाद’ है । जब उन्हें (मुसलमानों को) लगता है कि ‘हलाल मांस ही खाना चाहिए’, तब ‘उसका उपयोग मत कीजिए’, ऐसा बताने में अनुचित क्या है ? कर्नाटक में हिजाब के उपरांत अब हलाल मांस के विषय पर विवाद आरंभ हुआ है । उस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए रवि ऐसा बोल रहे थे ।

मुसलमान हिन्दुओं से मांस नहीं खरीदते, तो हिन्दू मुसलमानों से मांस क्यों खरीदें ?

     सी.टी. रवि ने कहा कि उनके (मुसलमानों के) देवता को हलाल मांस अर्पण करते हैं । ऐसे में हिन्दुओं के लिए यह मांस किसी के बचे हुए अन्न के समान है । जब मुसलमान हिन्दुओं से मांस नहीं खरीदते, तब आप हिन्दुओं को मुसलमानों से मांस खरीदने का सुझाव क्यों दे रहे हैं ? यह व्यवसाय एकतर्फा नहीं है और वह दोनों ओर से चलता है ।

हलाल मांस अर्थात पशु का मुख मक्का की दिशा में रख उसके गर्दन की नस काटकर उसे छोड देते हैं । तब बडी मात्रा में रक्त बहता है व उस पशु की तडप-तडपकर मृत्यु होती है ।

‘हिन्दू युवकों को राज्य का वातावरण नहीं बिगाडना चाहिए !’ – पूर्व मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी

     राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तथा जनता दल (धर्मनिरपेक्ष) के नेता एच.डी. कुमारस्वामी ने हलाल मांस विवाद की निंदा की है । कुमारस्वामी ने कहा कि ‘मुझे सरकार से यह पूछना है कि आपको इस राज्य को कहां लेकर जाना है ? मैं हिन्दू युवकों से हाथ जोडकर यह अनुरोध करता हूं कि वे राज्य का वातावरण न बिगाडें ।’

     दूसरी ओर राज्य के ६१ आधुनिकतावादी विचारकों ने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को पत्र लिखकर धार्मिक विद्वेष रोकने का आवाहन किया । उन्होंने पत्र में लिखा कि राज्य में जानबूझकर धार्मिक विद्वेष फैलाना लज्जाजनक है । (संपादक – कुमारस्वामी ने हिजाब के प्रकरण में धर्मांधों से ऐसा आवाहन किया हो, यह नहीं सुना !)

हमें इसका संपूर्ण अध्ययन करना पडेगा ! – कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई

     यह विषय अभी सामने आया है । हमें इसका संपूर्ण अध्ययन करना पडेगा; क्योंकि उसका नियमों के साथ कोई भी संबंध नहीं है । नववर्ष के उपरांत मांस खाने की एक प्रथा है और अब उस पर गंभीर आक्षेप लिए गए हैं । हम इस विषय में देखेंगे, ऐसी प्रतिक्रिया कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने व्यक्त की ।

     बोम्मई ने आगे कहा, ‘‘हम हमारी भूमिका कुछ समय उपरांत स्पष्ट करेंगे । विविध संगठन अपने-अपने अभियान चलानेवाले हैं । हमें क्या करना है और क्या नहीं करना है, यह हम जानते हैं । जहां आवश्यक होगा, वहां हम प्रत्युत्तर करेंगे ।’’

     राज्य का वातावरण बिगडने के विषय में मुख्यमंत्री बोम्मई से पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी बातों के उपरांत भी राज्य में कानून-व्यवस्था और सौहार्द का वातावरण नहीं बिगडा है, यह मैंने देखा है । भविष्य में भी हम इस पर ध्यान देंगे ।’ (३१.४.२०२२)

हलाल मांस का बहिष्कार करने का आवाहन करनेवालों के विरुद्ध कार्यवाही करेंगे – गृहमंत्री अरग ज्ञानेंद्र

क्या ‘हलाल मांस’ भारतीय संस्कृति के अनुसार वैध है ? सरकार को बहिष्कार करनेवालों की भूमिका समझ लेनी चाहिए, यही जनता की अपेक्षा है ! – संपादक

     बेंगळूरु (कर्नाटक) – यदि कोई हलाल मांस का बहिष्कार करने के विषय में सामाजिक माध्यमों से उकसानेवाले वक्तव्य दे रहा हो, वीडियो प्रसारित कर रहा हो या ऐसा आवाहन कर रहा हो, तो उनके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जाएगी, ऐसी चेतावनी राज्य के गृहमंत्री अरग ज्ञानेंद्र ने दी । उन्होंने आगे कहा, युगादी त्योहार की पृष्ठभूमि पर ‘हलाल मांस नहीं खरीदेंगे’, यह कहना स्वाभाविक है । ‘हमारे देवताओं को हलाल नहीं चलेगा’, ऐसी प्रतिक्रिया दी गई है, जो आज तक नहीं दी गई थी । इस पर विचारमंथन करना अनुचित नहीं ।