‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने ‘वैश्विक प्रसन्नता सूचकांक’ पर उठाया सवाल…

वाशिंगटन (यूएसए) – वैश्विक प्रसन्नता सूचकांक में भारत को ११८ वां स्थान दिया गया है। जिन देशों या क्षेत्रों में संघर्ष चल रहा है, उनमें कई देश या क्षेत्र भारत से कहीं आगे हैं। ऐसे में ये सूची बेहद अप्रसन्न करने वाली है, ऐसे शब्दों में ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने इस सूची पर सवाल उठाया है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा प्रकाशित सूचकांक में भारत को पाकिस्तान, युद्धग्रस्त यूक्रेन और फिलिस्तीन की तुलना में अधिक निराश और असंतुष्ट बताया गया है। ‘क्या ऐसे वैश्विक सूचकांक सचमुच तथ्यों पर आधारित हैं? यह सवाल उठाया जा रहा है। आश्चर्य की बात यह है कि पिछले साल ७९ वें स्थान पर रहने वाले भूटान को इस साल कोई क्रमांक नहीं मिला।
“Claiming that war-stricken nations are happier than India is astonishing!”
— Sri Sri Ravi Shankar @Gurudev the founder of ‘Art of Living’ @ArtofLiving, raises concerns about the credibility of the ‘World Happiness Index.’👉While saints recognise certain truths and take a… pic.twitter.com/lGFFBLBhll
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) March 22, 2025
इस समय अमेरिका के दौरे पर उपस्थित श्री श्री रविशंकर ने वॉशिंगटन में बातचीत के समय कई सवालों के जवाब दिए. उन्होंने भारत में मानवीय मूल्यों, जीवनशैली और समस्याओं पर भी अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अधिक संगठित होने का तर्क दिया गया है; लेकिन प्रसन्नता सूचकांक के लिए केवल संगठन ही पर्याप्त नहीं है। आज भारत की स्थिति बहुत अच्छी है. पिछले दशक में महत्वपूर्ण सुधार किये गये हैं।
Addressed The State of Happiness 2025 on World Happiness Day in Washington, D.C. at the launch of the World Happiness Report by @Gallup and @Semafor.
Creating global happiness rankings is crucial to fostering awareness among nations. However, I disagree with India’s placement… pic.twitter.com/FNfspkBlTB
— Gurudev Sri Sri Ravi Shankar (@Gurudev) March 21, 2025
भारत में मानवीय मूल्य बहुत ऊंचे हैं।श्री श्री रविशंकर ने आगे कहा कि मैंने पूरी दुनिया की यात्रा की है और देखा है कि भारत में मानवीय मूल्य बहुत ऊंचे हैं।चाहें वह करुणा हो, या अतिथि के प्रति दृष्टिकोण, जिस तरह से लोग अपने संसाधनों को साझा करते हैं वह अविश्वसनीय है। भारत में अगर आपके परिवार को कुछ होता है तो पूरा गांव आपकी मदद के लिए आगे आएगा। इस प्रकार का सामाजिक बंधन देश में बहुत प्रचलित है। यानि देश में समस्याएं भी हैं; लेकिन पिछले दशक में कई सुधार हुए हैं। वस्तुतः न तो सुख और न ही दुःख का संबंध गरीबी से है। |
संपादकीय भूमिका
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