प्रयागराज कुंभपर्व २०२५
संतों को मौनी अमावास्या के दिन हुई दुर्घटना के संकट का सामना करने का श्रेय

प्रयागराज – मौनी अमावास्या के दिन हुई दुर्घटना में संतों ने जो धैर्य दिखाया, उससे सनातन धर्म विरोधियों की पराजय हुई, ऐसा विधान उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथजी ने यहां किया । महाकुंभक्षेत्र के सेक्टर २२ में संतोष दास सतुआ बाबा और स्वामी राम कमलाचार्यजी संतों के पट्टाभिषेक के कार्यक्रम में बोल रहे थे । तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरू स्वामी रामभद्राचार्य ने दोनों संतों को जगद्गुरू पद के लिए नामांकित किया । राम कमलाचार्य महाराजजी अब से ‘जगद्गुरू स्वामी राम कमलाचार्य महाराज’ और संतोष दासजी को ‘जगद्गुरु विष्णु स्वामी संतोष दास महाराज सतुआ बाबा’के रूप में संबोधित किए जाएंगे, ऐसी घोषणा जगद्गुरू स्वामी रामभद्राचार्य ने की । इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने संतों के आशीर्वाद लिए और नवनियुक्त जगद्गुरुओं को शुभकामनाएं दीं ।
मुख्यमंत्री आगे बोले, ‘‘मौनी अमावास्या को हुई दुर्घटना के प्रसंग में संतों ने अभूतपूर्व धैर्य दिखाया । कुछ पुण्यात्माओं ने अपघात में प्राण गंवाए; परंतु उस परिस्थिति में हमारे संत अभिभावक की भूमिका में दिखाई दिए । जब कुटुंब पर संकट आता है, तब कुटुंबप्रमुख घबराता नहीं है; उसी प्रकार संत दृढता से खडे रहे और संकट का सामना करते हुए सभी को मार्गदर्शन किया । प्रतिकूल परिस्थिति में भी धैर्य से चुनौतियों को स्वीकारते हुए, इस अभियान को आगे ले जाना है; कारण सनातन धर्म ही मानवधर्म है । सनातन रहेगा, तब ही मानवधर्म टिकेगा । आप सभी संत सनातन धर्म के आधारस्तंभ हैं । सनातन धर्म के विरोधियों के प्रयत्न कि संतों का धैर्य टूट जाए और हिन्दू धर्म का जगभर में उपहास हो; वह संतों के कारण सफल नहीं हो पाया ।’’
१९ दिनों में ३२ करोड से भी अधिक श्रद्धालुओं ने किया गंगास्नान !संतों की प्रेरणा से महाकुंभपर्व आरंभ होने के पश्चात १९ दिनों में ३२ करोड से भी अधिक श्रद्धालुओं ने गंगास्नान कर पुण्य प्राप्त किया है, ऐसी जानकारी मुख्यमंत्री ने दी । |
सनातन धर्म विरोधी षड्यंत्र से सावधान रहें ! – मुख्यमंत्रीकुछ लोग समाज में हुडदंग मचाकर सनातन धर्म के विरुद्ध षड्यंत्र रच रहे हैं । राम जन्मभूमि का हिन्दुओं के आंदोलन से आजतक उनका वर्तन एवं उद्देश्य उजागर हुआ है । ऐसे लोगों से सावधान रहकर सनातन धर्म के आदर्श समान संतों के मार्गदर्शन में हमें आगे जाना चाहिए । जब तक संतों का सम्मान है, तब तक सनातन धर्म को कोई हानि नहीं पहुंच सकता है । |