सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘बाहरी मेकअप से अन्यों को आकर्षित किया जा सकता है, जबकि भीतरी मेकअप अर्थात स्वभावदोष एवं अहं का निर्मूलन कर ईश्वर को आकर्षित किया जा सकता है ।’
‘बाहरी मेकअप से अन्यों को आकर्षित किया जा सकता है, जबकि भीतरी मेकअप अर्थात स्वभावदोष एवं अहं का निर्मूलन कर ईश्वर को आकर्षित किया जा सकता है ।’
इस बैठक में मंदिरों की प्रथा-परंपराओं पर होनेवाले आघात रोकने के लिए संगठितरूप से लडना और सरकारीकरण किए गए देवस्थानों में भारी मात्रा में हो रही भक्तों की लूट-खसोट रोकने के लिए शीघ्र कदम उठाना, इनके लिए भी संगठित होकर कृति करने का निर्धार किया गया ।
यह घटना दर्शाती है कि अब हिन्दू सडक पर ही नहीं, अपितु मंदिरों में भी असुरक्षित हैं ! कट्टरपंथी मुस्लिमों के व्यर्थ (फिजूल) प्यार-दुलार की आपूर्ति करने से ही वे कानून-सुव्यवस्था को स्वीकार नहीं करते हैं ।
मांधाता पर्वत पर संतों की वंदनीय उपस्थिति में आदिगुरु शंकराचार्यजी की अष्टधातु से बनी १०८ फुट ऊंची एकात्मता की मूर्ति का अनावरण मुख्यमंत्री श्री. शिवराज सिंह चौहान ने १९ सितंबर, गुरुवार को किया ।
अमेरिका के सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने कहा कि श्री श्री रविशंकर पिछले ४० वर्षाें से ध्यान तथा योग के बलपर विश्व के लोगों को आंतरिक शांति हेतु मार्गदर्शन कर रहे हैं । जिससे विश्व में हिंसा की घटनाओं में कमी आ सकती है । विश्व में एक भी मुस्लिम धर्मगुरु एसा कार्य करता है क्या ?
इससे विदित होता है कि भारत को पाकिस्तानी क्रिकेट संघ को देश में प्रवेश की अनुमति नहीं देनी चाहिए थी ! भारत को ऐसे देश का बहिष्कार करना चाहिए, जो खेल में भी शत्रुता दिखाता है ! भारतीय नागरिकों को इसके लिए सरकार पर दबाव डालना चाहिए !
गुजरात की ‘वेद एजुकेशन’ नाम की संस्था ‘सनातन शास्त्रों’ का विश्व में सबसे बडा ऑनलाईन पुस्तकालय निर्माण करने का प्रयास कर रही है ।
राष्ट्रीयता को आधारभूत मानकर कानून एवं न्यायव्यवस्था में परिवर्तन लाना तो आवश्यक है ही; परंतु उसके साथ ही ‘जूता जापानी, पतलून इंग्लिस्तानी’ गीत में तो ठीक हैं; तथापि न्यायव्यवस्था में वेशभूषा एवं हृदय, दोनों भारतीय संस्कृति के अनुसार हों, तो न्यायव्यवस्था की स्थिति में सुधार आएगा !
आज भी एक ओर विश्व को ईसामय बनाने का षड्यंत्र सर्वत्र जोर-शोर से चल रहा है, तो दूसरी ओर ‘गजवा-ए-हिन्द’ आदि विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत विश्व को इस्लाममय बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं । इस वैश्विक परिस्थिति में हिन्दू विचारक, अध्येता स्वबोध एवं शत्रुबोध इन संज्ञाओं के प्रचलन के द्वारा हिन्दू समाज में जनजागरण का अभियान चला रहे हैं
दिन-प्रतिदिन बहुसंख्यक हिन्दुओं एवं हिन्दू धर्म की अत्यधिक हानि हो रही है ।’ निम्नांकित लेख में उनके कारण एवं उस पर ध्यान में आए उपायों का विवेचन किया है ।