श्रीकृष्ण के आंतरिक सान्निध्य में रहनेवालीं रत्नागिरी की श्रीमती विजया पानवळकर सनातन के १२६ वें संतपद पर हुईं विराजमान !

पू. (श्रीमती) विजया पानवळकरजी

देवरुख (महाराष्ट्र) - साधना में निरंतरता, दृृढता तथा श्रीकृष्ण के निरंतर आंतरिक सान्निध्य में रहनेवालीं यहां की सनातन की साधिका श्रीमती विजया वसंत पानवळकर (आयु ८४ वर्ष) सनातन के १२६ वें संतपद पर विराजमान हुईं । देवरुख में श्रीमती पानवळकर के आवास पर सनातन संस्था की धर्मप्रचारक सद्गुरु स्वाती खाडयेजी ने उन्हें व्यष्टि संत घोषित कर सभी को शुभ समाचार दिया । इस अवसर पर सनातन संस्था के सद्गुरु सत्यवान कदमजी की भी वंदनीय उपस्थिति थी ।

पू. (श्रीमती) पानवळकरजी के पुत्र श्री. विनय, बहू श्रीमती नेहा, देवरुख के साधक, साथ ही ‘वीडियो कॉल’ के माध्यम से पू. (श्रीमती) पानवळकरजी की पुत्री श्रीमती प्राची जुवेकर, जमाई श्री. हेमंत जुवेकर, साथ ही नाती श्री. प्रशांत जुवेकर तथा उनकी पत्नी श्रीमती क्षिप्रा जुवेकर उपस्थित थीं ।

सद्गुरु स्वाती खाडयेजी ने पू. (श्रीमती) विजया वसंत पानवळकरजी को शॉल एवं श्रीफल प्रदान कर तथा भेंटवस्तु देकर सम्मानित किया ।