हिन्दू, हिन्दुत्व एवं दुर्घटनावश जन्मे (ऐक्सीडेंटली बॉर्न) हिन्दू

हिन्दू धर्म में केवल जन्म लेने से कोई हिन्दुत्वनिष्ठ नहीं हो जाता । हिन्दुत्वनिष्ठ होने के लिए व्यक्ति का केवल जन्म से हिन्दू होना ही पर्याप्त नहीं; अपितु वाणी, विचार एवं आचार से भी उसे हिन्दू होना चाहिए । उसे केवल जन्महिन्दू ही नहीं, अपितु कर्महिन्दू भी होना चाहिए । आज इस देश में कर्महिन्दू बहुत अल्प; परंतु जन्महिन्दुओं की संख्या बहुत अधिक है । इन जन्महिन्दुओं को ‘दुर्घटनावश जन्मे हिन्दू’ (ऐक्सीडेंटल र्बार्न) भी कहा जा सकता है ।

१. जन्महिन्दुओं के कारण अपने ही देश में हिन्दू हुए पराए !

‘भारत देश बहुत पहले से ‘हिन्दुस्थान’ नाम से जाना जाता है । ऋग्वेद में कहा है,

हिमालयं समारभ्य यावत् सिन्धुसरोवरम् ।
तद्देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानं प्रचक्षते ।। – बार्हस्पत्यशास्त्र

अर्थ : हिमालय से लेकर हिन्द महासागर तक (अर्थात सिंधु सरोवरतक) फैले ईश्वर निर्मित देश का नाम ‘हिन्दुस्थान’ है ।

अन्य धर्माें की निर्मिति होने से सहस्रों वर्ष पूर्व सनातन धर्म की, जिसे आज हिन्दू धर्म के नाम से जाना जाता है, उसकी निर्मिति हुई थी । आर्य का अर्थ हिन्दू ! ये मूलतः यहीं के थे, कहीं बाहर से नहीं आए थे । हिन्दू धर्म की निर्मिति के सहस्रों वर्ष उपरांत ईसाई, मुसलमान, यहूदी इत्यादि अनेक धर्म बने । हिन्दुओं ने इन विभिन्न अनुयायियों को उदारतापूर्वक शरण दी; परंतु एक अरबी कथा में बताए गए अरबी यात्री की भांति इस हिन्दू की मातृभूमि में ही हिन्दुओं की अवस्था दयनीय बनी हुई है । उस अरबी यात्री ने करुणा एवं मानवता के कारण रात के समय ठंड से रक्षा होने हेतु उसके साथ आए ऊंट को अपने तंबू में गर्दन घुसाने की अनुमति दी; परंतु धीरे-धीरे वह ऊंट अपना एक-एक अंग उस तंबू में घुसाता गया, जिसके कारण तंबू में स्थित अरबी यात्री को उसके एक-एक अंग को स्वीकार करना पडा । उसके कारण उस अरबी यात्री को विवश होकर उस तंबू से बाहर निकलकर ठंड में कांपते हुए पूरी रात जागना पडा । आज भारत के हिन्दुओं की स्थिति उस अरबी यात्री की भांति ही है । जिन्हें हिन्दुओं ने उदारतापूर्वक शरण दी; वो घुसपैठिए ही अब बहुसंख्यक हो गए हैं तथा मूल हिन्दू सिकुडकर विस्थापित होते जा रहे हैं । जिस प्रकार से कश्मीर से ५ लाख हिन्दुओं को अपना घर-बार, खेती-बाडी तथा मंदिर छोडकर विस्थापित होना पडा, उसी प्रकार से जिन क्षेत्रों में मुसलमान एवं ईसाई बहुसंख्यक हो गए हैं, ऐसे भारत के अनेक गांवों एवं बस्तियों में असुरक्षित होने के कारण हिन्दुओं को पलायन करना पड रहा है । इस देश के मूल निवासी बहुसंख्यक हिन्दू; आज के समय में दूसरी श्रेणी के नागरिक बनकर रह गए हैं तथा मुसलमान एवं ईसाई इस देश के प्रथम श्रेणी के नागरिक बन गए हैं । हिन्दुओं की यह दयनीय स्थिति दुर्घटनावश जन्मे (ऐक्सीडेंटली बॉर्न) हिन्दुओं ने ही की है । कुछ वर्ष पूर्व इस देश में प्रधानमंत्री के सर्वाेच्च पद पर विराजमान हिन्दू धर्म के सिक्ख पंथ के नेता ने खुलेआम यह वक्तव्य दिया था कि इस देश के सभी संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है ।

श्री. शंकर गो. पांडे

२. धर्मांधों के पूर्वनियोजित दंगों के कारण सदैव हिन्दुओं के जान-माल की हानि !

आज इस देश में हिन्दू बहुसंख्यक हैं; परंतु अपनी मातृभूमि में ही वे सदैव असुरक्षित हैं । नरेंद्र मोदी जब से प्रधानमंत्री बने हैं, तब से इस देश में धार्मिक दंगों पर नियंत्रण आया है, अन्यथा इस देश में धार्मिक दंगे तो सामान्य बात थी । इस देश में स्वतंत्रता के पूर्व से लेकर स्वतंत्रता के उपरांत आज तक अक्षरशः सहस्रों दंगे हुए हैं । इन दंगों में हिन्दुओं के जान-माल की बहुत हानि हुई है । इन दंगों का इतिहास देखा जाए, तो यह दिखाई देता है कि दंगे कराने के लिए देश के तथाकथित अल्पसंख्यकों को कोई सामान्य कारण भी पर्याप्त होता है । यह कारण होता है देश के किसी कोने में हुई कोई घटना अथवा विश्व के किसी भी देश में घटित घटना । विशेष बात यह है कि धर्मांधों के द्वारा कराए जानेवाले दंगे पूर्वनियोजित एवं संपूर्ण तैयारी के साथ कराए जाते हैं । चाहे वो ‘सीएए’ (नागरिकता संशोधन कानून) के विरुद्ध देहली में कराया गया दंगा हो या त्रिपुरा में बिना गिराई गई मस्जिद का कारण आगे कर रजा अकादमी द्वारा महाराष्ट्र के अनेक गांवों में कराए गए दंगे हों । इन दंगों का निरीक्षण करने पर वो कैसे पूर्वनियोजित तथा संपूर्ण तैयारी के साथ किए गए थे, यह समझ में आता है । अल्पसंख्यकों के द्वारा किए जानेवाले ऐसे पूर्वनियोजित दंगों के कारण जानमाल की हानि हिन्दुओं की होती है । दंगे पर जब हिन्दू समाज की प्रतिक्रिया सामने आती है, तब दुर्घटनावश जन्मे हिन्दू नेता हिन्दुओं को ही बंदी बनाकर उन पर कानूनी कार्यवाही करते हैं ।

३. हिन्दुओं पर ‘मॉब लिचिंग’ (भीड के द्वारा की गई हत्या) का आरोप लगाकर वास्तव में हिन्दुओं की ही ‘मॉब लिचिंग’ करना !

मूलतः इस देश का हिन्दू ही असुरक्षित हो गया है, तब भी कुछ मुस्लिम अभिनेता-अभिनेत्रियां, नेता तथा दुर्घटनावश जन्मे तथाकथित बुद्धिजीवी हिन्दू देश में मुस्लिमों के ही असुरक्षित होने का आरोप लगाते हैं तथा पुरस्कार-वापसी करते हैं, तब क्षोभ उत्पन्न होता ही है । कोई एक अखलाख मारा गया, तो कुछ जन्महिन्दू बुद्धिजीवियों ने बडा हाहाकार मचाकर उन्हें मिले पुरस्कार वापस करना आरंभ किया । उन्होंने ही भारत में जिसका कभी प्रचलन नहीं था, ऐसे ‘मॉब लिचिंग’ का अविष्कार किया । हिन्दू विरोधी समाचारपत्रों ने इस पर अनेक स्तंभ एवं भरपूर लेख लिखे । हिन्दू विरोधी तथा बिक चुकी समाचार वाहिनियों ने इस घटना पर दिन-रात चर्चाएं कराईं तथा इसमें हिन्दुओं को ही दोषी प्रमाणित कर उन्हें आरोपी के पिंजरे में खडा किया । हिन्दू विरोधी राजनीतिक दल एवं नेताओं को तो अखलाख की आड में हिन्दुओं को पीटने का सहज अवसर मिला । उन्होंने इस अवसर का संपूर्ण उपयोग किया; परंतु जब धर्मांध मुसलमानों द्वारा हिन्दुाओं की क्रूरतापूर्ण हत्याएं की जाती हैं, तब ये हिन्दू विरोधी बुद्धिजीवी, राजनीतिक दल, राजनेता तथा प्रसार माध्यम इस पर एक शब्द की भी प्रतिक्रिया व्यक्त न कर मौन रहते हैं । आज तक सामान्य कारणों से धर्मांध मुसलमानों ने सहस्रों हिन्दुओं की हत्या की है । विस्तारभय के कारण यहां इसके कुछ चुनिंदा ही उदाहरण दे रहे हैं ।

४. धर्मांधों के द्वारा मारे गए हिन्दू

देहली के डॉ. नारंग, अंकित सक्सेना, ध्रुव त्यागी; उत्तर प्रदेश आगरा के अरुण माहौर, मथुरा के लस्सी बिक्रेता भरत यादव, प्रयागराज की हिमा तलरेजा, कासगंज के चंदन गुप्ता, मेरठ के सरघना के तरुण गोपाल, मुजफ्फर के फुफेरे-ममेरे भाई सचिन एवं गौरव; कुंभकोणम् (तमिलनाडु) के रामलिंगम्, वडोदरा (गुजरात) के मनहार बारिया, कोदुनगालुर (केरल) के मीनू मोहन, पुणे के सावन राठोड, महाराष्ट्र के यवतमाळ जिले के उमरखेड एवं काली दौलत के क्रमशः डॉ. धर्मकारे एवं श्याम राठोड; हिजाब के विरुद्ध समाजमाध्यमों पर मत व्यक्त करने के कारण कर्नाटक के शिवमोग्गा के हर्षा; ‘भगवान श्रीकृष्ण कैसे श्रेष्ठ हैं’, यह बतानेवाला वीडियो प्रसारित किया, इसके कारण हरियाणा के रेवाडी के किसन भारद्वाज; साथ ही सरस्वती विसर्जन की शोभायात्रा में सम्मिलित होने के कारण झारखंड के घुलमहा के रूपेश पांडे ! धर्मांधों के द्वारा सामान्य कारणों से इन हिन्दुओं की निर्मम हत्याएं की गईं । ये कुछ चुनिंदा ज्ञात उदाहरण हैं । धर्मांधों द्वारा मारे गए अज्ञात हिन्दुओं के अभी और कितने उदाहरण होंगे, यह ईश्वर ही जानते हैं !

५. हिन्दूबहुल देश में हिन्दू ही अधिक असुरक्षित !

बंगाल एवं केरल में भाजपा एवं रा.स्व. संघ के सहस्राें हिन्दू कार्यकर्ताओं की दिनदहाडे निर्मम हत्याएं हुई हैं; परंतु जब ‘मॉब लिचिंग’ में धर्मांधों के द्वारा हिन्दू मारे जाते हैं, तब हमारे तथाकथित धर्मनिरपेक्ष एवं जन्महिन्दू नेता, बुद्धिजीवी, पुरस्कार वापसी करनेवाले हिन्दुओं का गिरोह, तथाकथित धर्मनिरपेक्ष समाचारपत्र, साथ ही समाचार वाहिनियां इन सभी की जीभ चलनी बंद हो जाती हैं तथा वे रेत में अपनी चोंच घुसाकर शांति से बैठे रहते हैं । इसीलिए मैं दृढतापूर्वक कहता हूं कि इस हिन्दूबहुल देश में मुसलमान नहीं, अपितु हिन्दू ही अधिक असुरक्षित हैं तथा दुर्घटनावश जन्मे (ऐक्सीडेंटली बॉर्न) हिन्दू ही इसके लिए उत्तरदायी हैं !

– श्री. शंकर गो. पांडे, पुसद, यवतमाळ, महाराष्ट्र.