‘लिव इन रिलेशनशिप’ द्वारा भारत की विवाह संस्था परंपरा को वैधानिक रूप से ध्वस्त करने का प्रयास ! – इलाहाबाद उच्च न्यायालय

उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने कहा कि इस देश में ‘लिव इन रिलेशनशिप’ विवाह संस्था कालबाह्य होने के उपरांत ही सामान्य मानी जाएगी । ऐसा अनेक विकसित देशों में हुआ है ।

‘चंद्रयान-३’ जहां उतरा, उस स्थान का नामकरण ‘शिवशक्ति’ !

अंतरिक्ष अभियान के अंतर्गत  प्रत्यक्ष उतरने के स्थान को (‘टच डाउन पांईंट’ को) नाम देने की वैज्ञानिक परंपरा है । यही ध्यान में रखते हुए भारत ने ‘विक्रम लैंडर’ उतरने के स्थान का नाम ‘शिवशक्ति’ रखा है ।

इसरो की सफलता का श्रेय !

इसरो की सफलता का श्रेय हथियाने पर तुली कांग्रेस ने अपने शासनकाल में वैज्ञानिक को कारागृह में भेजकर देश की हानि की !

वर्तमान शिक्षा एवं आध्यात्मिक शिक्षा में अंतर !

‘शिक्षक द्वारा मानचित्र में दिखाए अमेरिका को सत्य मानकर अध्ययन करनेवाले; परंतु संतों द्वारा बताए गए देवता के चित्र पर श्रद्धा रखकर अध्यात्म का अध्ययन न करनेवाले बुद्धिप्रमाणवादी नहीं, अपितु अध्यात्म विरोधी हैं, ऐसा कह सकते हैं । इससे संबंधित एक विवरणात्मक लेख प्रस्तुत है ।

कांग्रेस की इंदिरा गांधी ने मिजोरम पर बम क्यों बरसाए ?

कांग्रेस के शासनकाल में एक से बढकर एक, ऐसी अनेक काली करतूतें हुई हैं । उन्हें बाहर निकालना आवश्यक है ।

श्री गणेश चतुर्थी का महत्त्व

श्री गणेश चतुर्थी पर तथा गणेशोत्सव काल में नित्य की तुलना में पृथ्वी पर गणेशतत्त्व १,००० गुना कार्यरत रहता है । इस अवधि में श्री गणेश का नामजप, प्रार्थना एवं अन्य उपासना करने से गणेशतत्त्व का लाभ अधिकाधिक मिलता है ।

ऋषि पंचमी (भाद्रपद शुक्ल ५ [२०.९.२०२३])

जिन ऋषियों ने अपने तपोबल से विश्व-मानव पर अनंत उपकार किए हैं, मनुष्य के जीवन को उचित दिशा दी है, उन ऋषियों का इस दिन स्मरण किया जाता है ।

श्राद्ध किसे करना चाहिए ?

माता-पिता तथा अन्य निकटवर्ती संबंधियों की मृत्यु के उपरांत, उनकी आगे की यात्रा सुखमय एवं क्लेशरहित हो तथा उन्हें सद्गति प्राप्त हो, इसलिए ‘श्राद्ध’ करना आवश्यक है । पितृपक्ष के निमित्त इस लेख में श्राद्ध का महत्त्व एवं लाभ तथा ‘श्राद्ध किसे करना चाहिए ?’ यह समझ लेते हैं ।

पाठकों, शुभचिंतकों और धर्मप्रेमियों से विनम्र निवेदन तथा साधकों के लिए महत्त्वपूर्ण सूचना !

पितृपक्ष में पितृलोक, पृथ्‍वीलोक के सर्वाधिक निकट आने से इस काल में पूर्वजों को समर्पित अन्‍न, जल और पिंडदान उन तक शीघ्र पहुंचता है । उससे वे संतुष्‍ट होकर परिवार को आशीर्वाद देते हैं ।