‘बिजली के दीप से युक्त प्लास्टिक का दीप’ तथा ‘मोम की ज्योति’ लगाने से वातावरण में नकारात्मक स्पंदन प्रक्षेपित होना; परंतु इसके विपरीत ‘तिल का तेल तथा रुई की बाती डालकर प्रज्वलित किए गए मिट्टी के पारंपरिक दीप’ के प्रभाव से वातावरण में सकारात्मक स्पंदन प्रक्षेपित होना

बिजली के दीप से युक्त दीप तथा मोम के दीप का उपयोग टालकर तिल के तेल तथा हाथ से बनाई गई रुई की बाती डालकर मिट्टी के दीप प्रज्वलित करना आध्यात्मिक दृष्टि से लाभकारी है ।

करवा चौथ

विवाहित स्त्रियां इस दिन अपने पति की दीर्घ आयु एवं स्वास्थ्य की मंगलकामना कर भगवान रजनीनाथ को (चंद्रमा) अर्घ्य अर्पित कर व्रत का समापन करती हैं ।

आध्यात्मिक लाभ एवं चैतन्य देनेवाली मंगलमय दीपावली !

शरद ऋतु के आश्विन मास की पूर्णिमा तथा यह अमावस्या भी कल्याणकारी है । लक्ष्मीपूजन के दिन प्रातःकाल मंगलस्नान कर देवतापूजन, दोपहर में पार्वणश्राद्ध एवं ब्राह्मण-भोजन और संध्याकाल में (प्रदोषकाल में) फूल-पत्तों से सुशोभित मंडप में लक्ष्मी, श्रीविष्णु एवं कुबेर की पूजा की जाती है ।

पटाखों के कारण होनेवाला प्रदूषण : एक विनाशकारी नरकासुर !

दीपावली के समय मौज-मस्ती, विभिन्न व्यंजनों का सेवन इसके साथ ही आजकल बडी मात्रा में पटाखे जलाकर करोडों रुपए उडाए जाते हैं । वास्तव में देखा जाए, तो पटाखे मानव स्वास्थ्य के लिए घातक हैं । इस विषय में विवेचन करनेवाला लेख यहां प्रस्तुत कर रहे हैं ।

कंदील का आकार सात्त्विक क्यों होना चाहिए ?

लंबवृत्त आकार का कंदील निराकार होने के कारण तमोगुणी शक्तियों के लिए इस प्रकार के कंदील से तमोगुण का प्रक्षेपण करना संभव नहीं होता ।

हिन्दू संस्कार एवं परंपरा

उत्सव एवं व्रतों का क्या महत्त्व है ?, उत्सव में अनुचित प्रकार रोकने हेतु क्या करें ?, चातुर्मास (चौमासे) में अधिक व्रत क्यों होते हैं ? इन प्रश्नोंके उत्तर पाने के लिए अवश्य पढिये ग्रंथ ‘धार्मिक उत्सव एवं व्रतों का अध्यात्मशास्त्र’

भैयादूज के निमित्त बहन को उपहार के रूप में चिरंतन ज्ञानामृत से युक्त सनातन संस्था के ग्रंथ भेंट कर, साथ ही राष्ट्र-धर्म के प्रति गौरव बढानेवाले ‘सनातन प्रभात’ का सदस्य बनाकर अनोखा उपहार दीजिए ! 

भैयादूज के दिन बहन को अशाश्वत भेंटवस्तुएं देने की अपेक्षा चिरंतन ज्ञान का प्रसार करनेवाले सनातन की ग्रंथसंपदा के ग्रंथ उपहार के रूप में दिए जा सकते हैं, उसी प्रकार बहन को ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक का पाठक भी बनाया जा सकता है ।

धनतेरस के निमित्त धर्मप्रसार के कार्य हेतु ‘सत्पात्र-दान’ कर श्री लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करें  !

धनतेरस के शुभमुहूर्त पर भगवद् कार्य के लिए, अर्थात भगवान के धर्मसंस्थापना के कार्य हेतु धन अर्पित करें । धन का उपयोग सत्कार्य के लिए होने पर धनलक्ष्मी लक्ष्मी रूप में सदैव साथ में रहेंगी ।

‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ने स्वयं मेरे व्यवसाय का भार लेकर मुझे साधना करने हेतु समय दिया’, ऐसा भाव रखनेवाले सनातन संस्था के ७३ वें (समष्टि) संत पू. प्रदीप खेमकाजी 

सुश्री (कु.) तेजल पात्रीकर (आध्‍यात्मिक स्तर ६१ प्रतिशत) ने ११.१०.२०२१ को कतरास (झारखंड) के सफल उद्योगपति एवं सनातन संस्था के ७३ वें संत (समष्टि) पू. प्रदीप खेमकाजी तथा उनके परिवार के साथ भेंटवार्ता की । इस भेंटवार्ता से उनकी साधनायात्रा के कुछ अंश यहां प्रस्तुत हैं… ।

हिन्दुओ ! ध्यान रखो, अजेय समाज और उनका राष्ट्र ही विजयादशमी मनाने के पात्र हैं !

हिन्दुओ, ध्यान रखो, जो समाज अजेय है, उसका राष्ट्र ही विजयादशमी मनाने हेतु पात्र है ! इसीलिए विजयादशमी के उपलक्ष्य में हिन्दू समाज को अजेय बनाने का संकल्प करो !’