धर्मशास्त्र को समझकर जीवन में उतारें और आनंद लें ! – आनंद जाखोटिया, हिन्दू जनजागृति समिति के मध्य प्रदेश एवं राजस्थान समन्वयक

श्री. जाखोटिया ने आगे बताया कि ‘ऋषि-मुनियों ने हमें जो धर्माचरण की सीख दी, उसपर शोध हो रहे हैं ।आज की तनावपूर्ण परिस्थिति में हमें भी अपने उज्ज्वल भविष्य के लिए तथा सकारात्मक रहने के लिए साधना करनी चाहिए ।’

पुष्कर तीर्थ के पुरोहितों द्वारा हिन्दू जनजागृति समिति के कार्य की सराहना ! 

पुष्कर पुरोहित संघ के पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा हिन्दू समाज को धर्मशिक्षित करने के लिए चल रहे प्रयासों के विषय में समिति के मध्यप्रदेश एवं राजस्थान समन्वयक श्री. आनंद जाखोटिया ने जानकारी दी ।

सनातन संस्था की ओर से राजस्थान एवं मध्य प्रदेश में युवा शिविर संपन्न !

युवकों को साधना एवं अध्यात्मशास्त्र की जानकारी मिले, उनके व्यक्तित्व एवं कौशल का विकास हो; इसके लिए यहां के ३ शहरों में सनातन संस्था की ओर से ‘युवा साधना एवं कौशल विकास शिविर’ का आयोजन किया गया ।

ग्वालियर के श्रीराम मंदिर में सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी का ‘रामधुन’ कार्यक्रम में मार्गदर्शन

आज हम सभी को रामराज्य स्थापित होने के लिए भक्ति बढाने की, प्रतिदिन धर्मसेवा हेतु एक घंटा देने की आवश्यकता है, ऐसा प्रतिपादन सदगुरु डॉ. पिंगळेजी ने किया ।

सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी द्वारा नेपाल दौरे में बताए विशेषतापूर्ण मार्गदर्शक सूत्र

हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को समान ध्येय लेकर कार्य करना चाहिए । अपने भेदों को ही देखते रहे, तो हम कभी भी एकत्रित नहीं हो पाएंगे ।   

‘साधना की (ईश्वर के लिए कुछ किया) तथा उससे हानि हुई’, क्या विश्व में ऐसा एक भी उदाहरण है ?

यदि प्रत्येक व्यक्ति को धर्मशिक्षा दी गई, तो ‘जीवन की सार्थकता का क्या अर्थ है ?’, यह ज्ञात होने पर व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र का उत्थान हो सकता है !

जन्मतः साधना की समझ, प्रगल्भ बुद्धिमत्ता एवं ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कतरास (झारखंड) का चि. श्रीहरि खेमका (आयु ६ वर्ष) !

चूकों के प्रति संवेदनशील, चूकों के प्रति सतर्क रहकर कृति करनेवाला और चूक होने पर प्रायश्चित लेनेवाला चि. श्रीहरि

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

‘मंदिर में देवताओं के कर्मचारी दर्शनार्थियों को दर्शन कराने के अतिरिक्त अन्य कुछ करते हैं क्या ? वे दर्शनार्थियों को धर्मशिक्षा देते, साधना सिखाते, तो हिन्दुओं की एवं भारत की ऐसी दयनीय स्थिति नहीं होती ।’

फेरी के मार्ग पर मस्जिद और चर्च होने के कारण रा.स्व. संघ को अनुमति न देना धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध !

हिन्दूद्वेष और हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को दबाना अर्थात धर्मनिरपेक्षता’ ऐसी व्याख्या देश में तथाकथित निधर्मीवादी और आधुनिकतावादियों की है । इस पर ही न्यायालय का बोलना सोनार द्वारा कान छेदने समान है ! ऐसा होने पर भी ऐसे गेंडे की खाल वाले लोगों में बदलाव होने की संभावना नहीं, यह भी उतना ही सत्य है !

क्या हम तृतीय विश्वयुद्ध की ओर बढ रहे हैं ?

यदि किसी भी संघर्ष में सम्मिलित देश संयम नहीं बरतते हैं, तो केवल एक गलती से संपूर्ण विश्व, तृतीय विश्वयुद्ध की आग से झुलसने लगेगा ।