लगन से सेवा करनेवाली मथुरा सेवाकेंद्र की सनातन की साधिका कु. मनीषा माहुर (आयु २९ वर्ष) ने प्राप्त किया ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर !

‘समष्टि में श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी जैसी बनने का लक्ष्य रखकर प्रयास करनेवाली कु. मनीषा माहुर !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

कहां प्रत्येक क्षेत्र में सर्वोच्च स्तर का ज्ञान देनेवाला हिन्दू धर्म, तो कहां आंगनवाड़ी के समान शिक्षा देनेवाले पश्चिमी देश ! 

कोटि-कोटि प्रणाम !

५ अगस्त को हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु चारुदत्त पिंगळेजी का ५७ वां जन्मदिन

Kanwar Yatra UP : कावड यात्रा मार्ग पर स्थित खाद्यपदार्थों की दुकानों के मालिक दुकानों पर अपने नाम लिखें !

केवल कावड यात्रा तक यह निर्णय मर्यादित न रखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को स्थायी रूप से इसके लिए आदेश देना चाहिए, कानून बनाना चाहिए, इतना ही नहीं, अपितु केंद्र सरकार को पूरे देश में भी ऐ्सा कानून लागू करना चाहिए, हिन्दुओं को ऐसा ही प्रतीत होता है !

Suvendu Adhikari : ‘सबका साथ और सबका विकास’ एवं अल्‍पसंख्‍यांक मोर्चा बंद करें !

बंगाल के भाजपा के नेता शुभेंदु अधिकारी का कार्यकर्ताओं को आवाहन !

हिन्दू राष्ट्र हेतु संगठन : हिन्दू कार्यकर्ताओं के लिए आधारस्तंभ !

लोकमान्य टिळक, सरदार वल्लभभाई पटेल, वीर सावरकर, लाला लाजपत राय, न्यायाधीश रानडे, देशबंधु चित्तरंजन दास जैसे अनेक अधिवक्ताओं ने उस काल में स्वतंत्र भारत की लडाई हेतु प्रयास किए तथा भारत को स्वतंत्रता दिलाई ।

सत्य के निकट ले जानेवाला, अर्थात ही सत्-चित्-आनंद देनेवाला एकमात्र हिन्दू धर्म !

हिन्दू धर्म क्या है ?, इस विषय में विश्लेषण करनेवाला लेख,.. ‘हिन्दुओं का तत्त्वज्ञान अद्वैत अर्थात ईश्वर एवं मैं एक ही हैं’, इस अत्युच्च स्तर का !

नाथपंथी तत्त्वज्ञान से होते हैं सामाजिक समरसता के दर्शन !

नाथपंथी साधना-उपासना से आनंद की प्राप्ति कर लें । नाथ आज भी सम्मेलनों के माध्यम से संवाद कर रहे हैं यही इस संप्रदाय की विशेषता है ! संजीवन समाधि लेकर भी नाथ कार्यरत हैं, इसका यह प्रतीक है ! अवधूत अवस्था में होने के कारण उनके कार्य की कक्षा बढने की यह प्रत्यक्षानुभूति है !

देश में नए सिरे से लागू ‘भारतीय न्याय संहिता’, ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता’तथा ‘भारतीय साक्ष्य अधिनियम’, इन कानूनों का स्वरूप एवं विशेषताएं !

कानून कितने अच्छे, सक्षम तथा कठोर हैं, इसका कोई महत्त्व नहीं है, अपितु उनके कार्यान्वयन की व्यवस्था कैसी है, इसका महत्त्व है । डॉ. आंबेडकर ने भी संविधान के विषय में यही कहा था कि संविधान को चलानेवाले कैसे हैं ?’, इसे ध्यान में लेना पडेगा ।’