एनसीईआरटी ने विद्यालयीन पाठ्यपुस्तकों में राष्ट्रीय पुरुषों के चरित्र का भारी मात्रा में विकृतीकरण किया !

विविध माध्यमों द्वारा एनसीईआरटी द्वारा शिक्षा का विकृतीकरण अनेक बार उजागर होते हुए भी उसे विसर्जित क्यों नहीं किया गया ?

बिहार में सभी सार्वजनिक मंदिरों को ४ प्रतिशत कर देना होगा !

पाकिस्तान, बांग्लादेश इत्यादि देशों में भी जो नियम नहीं, वह जनता दल (संयुक्त) और भाजपा की सत्तावाले बिहार में लागू होना लज्जाजनक !

पाकिस्तान में, ईशनिंदा के आरोप में श्रीलंकाई नागरिक को जीवित जलाया गया !

पाकिस्तान में कानून एवं व्यवस्था का अस्तित्व ही नहीं है, यही यह घटना स्पष्ट करती है ! क्या भारत में तथाकथित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रतावाले, श्रीलंकाई नागरिक के पक्ष में खडे होंगे ? क्या वे न्यूनतम धर्मांधों के इस कृत्य का विरोध करेंगे ?

असम में हमने लगभग ७०० मदरसे बंद किए ! – असम के मुख्यमंत्री हिम्मत बिस्व सरमा

मुसलमानों को मदरसों में न जाकर डॉक्टर एवं अभियंता बनकर समाज की सहायता करनी चाहिए । मुसलमानों के हित के लिए ही मदरसे बंद किए हैं, ऐसा विधान असम के मुख्यमंत्री हिम्मत बिस्व सरमा ने एक समाचार वाहिनी के कार्यक्रम में किया ।

जालोर (राजस्थान) में चोरी के उद्देश्य से मंदिर के वृद्ध पुजारी की हत्या

चाहे किसी भी दल की सरकार हो, वह पुजारी, साधु, संतों की सुरक्षा करने में सदैव ही असफल होती है । यह स्थिति हिन्दू राष्ट्र की अनिवार्यता स्पष्ट करती है ।

मंदिरों पर लगाया गया ‘जजिया कर’ !

मंदिरों से बिहार सरकार अब ४ प्रतिशत ‘कर’ वसूल करनेवाली है, यह संपूर्ण देश के हिन्दुओं के लिए लज्जाजनक है । हिन्दुओं के इतिहास में अभी तक ऐसा कभी नहीं हुआ था ।

बांग्लादेश के हिन्दुओं की दयनीय स्थिति !

‘वर्ल्ड हिन्दू फेडरेशन बांग्लादेश’ शाखा की जानकारी यह है कि १३ से १७ अक्टूबर इन ५ दिनों में ३३५ मंदिरों की तोडफोड की गई । हिन्दुओं के १ सहस्र ८०० घर जलाएं गए । बांग्लादेश के कॉमिला, जानपुर, नौखाली, वडगाव बाजार, नवाबगंज, रंगपुर में सबसे अधिक आक्रमण किए गए ।

देहली की ‘चंगाई सभाओं’ द्वारा हिन्दुओं का धर्मांतरण किए जाने के विरोध में हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों द्वारा प्रदर्शन !

आंदोलन में विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, हिन्दू जनजागृति समिति इत्यादि हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के कार्यकर्ता, साथ ही स्थानीय हिन्दू विशाल संख्या में सहभागी हुए थे । इनमें महिलाएं भी सम्मिलित थीं ।

पहले के सात्त्विक राजा और आज के तामसिक शासनकर्ताओं का स्वयं को हुए दंड के संदर्भ में भिन्न दृष्टिकोण !

पहले के काल में राजा ने कोई भी पाप किया हो और वह किसी ने देखा न हो, तब भी वह राजा अपने राज्य का दायित्व छोडकर प्रायश्चित्त लेने के लिए जंगल में जाते थे; परंतु आज के शासनकर्त्ता स्वयं का अपराध प्रमाण सहित सिद्ध होने पर भी स्वयं का पाप नहीं स्वीकारते ।

भारतियों, पश्चिमी संस्कृति अनुसार १ जनवरी को नहीं, अपितु चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही नववर्षारंभ मनाएं !

चैत्र शुक्ल १ को आरंभ होनेवाला नए वर्ष का कालचक्र, विश्व के उत्पत्ति काल से संबंधित होने से सृष्टि में नवचेतना का संचार होता है । इसके विपरीत, ३१ दिसंबर की रात को १२ बजे आरंभ होनेवाले नए वर्ष का कालचक्र विश्व के लयकाल से संबंधित होता है ।