३१ दिसंबर को होनेवाली अप्रिय घटनाएं रोकने के लिए हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से उत्तर भारत, पूर्व एवं पूर्वाेत्तर भारत के विविध राज्यों में अभियान !

अंग्रेजी कालगणना में कई त्रुटियां हैं; उसके कारण हमें सृष्टि के साथ जोडकर रखनेवाली हमारी प्राचीन गौरवशाली कालगणना के अनुसार नववर्ष का स्वागत करना चाहिए । इसलिए हम नववर्ष को हिन्दू संस्कृति के अनुसार गुडी पडवे के दिन मनाने का संकल्प लेंगे ।

भारतियों, पश्चिमी संस्कृति अनुसार १ जनवरी को नहीं, अपितु चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही नववर्षारंभ मनाएं !

चैत्र शुक्ल १ को आरंभ होनेवाला नए वर्ष का कालचक्र, विश्व के उत्पत्ति काल से संबंधित होने से सृष्टि में नवचेतना का संचार होता है । इसके विपरीत, ३१ दिसंबर की रात को १२ बजे आरंभ होनेवाले नए वर्ष का कालचक्र विश्व के लयकाल से संबंधित होता है ।