एनसीईआरटी ने विद्यालयीन पाठ्यपुस्तकों में राष्ट्रीय पुरुषों के चरित्र का भारी मात्रा में विकृतीकरण किया !

संसदीय स्थायी समिति के ब्योरा

  • वेद एवं प्राचीन ग्रंथों में दिया ज्ञान सिखाने की अनुशंसा (सिफारिश) !
  • पाठ्यपुस्तक में विक्रमादित्य, चोल, चालुक्य, विजयनगर, गोंडवाना आदि साम्राज्यों को स्थान नहीं दिया !
  • राष्ट्रीय पुरुषों के चरित्र का भारी मात्रा में विकृतीकरण करनेवाली एनसीईआरटी के संबंधितों पर क्या कार्यवाही करेंगे ? – संपादक
  • विविध माध्यमों द्वारा एनसीईआरटी द्वारा शिक्षा का विकृतीकरण अनेक बार उजागर होते हुए भी उसे विसर्जित क्यों नहीं किया गया ? – संपादक

     नई देहली – संसदीय स्थायी समिति ने अपने ब्योरे में कहा, ‘‘विद्यालयीन पाठ्यपुस्तकों में विविध राज्य एवं जिले में राष्ट्रीय इतिहास पर जिन्होंने प्रभाव डाला है एवं समाज में एकता रखने के लिए प्रयत्न किया है, ऐसे अज्ञात लोगों के जीवन पर प्रकाश डालना चाहिए ।’’ इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा, ‘‘राष्ट्रीय पाठ्यक्रम तैयार करते समय मिली हुई सूचनाओं का विचार एनसीईआरटी को (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद को) करना चाहिए ।’’

     सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि संसदीय स्थायी समिति ने एनसीईआरटी ने विद्यालयीन पाठ्यपुस्तकों से राष्ट्रीय पुरुषों के चारित्र्य का भारी मात्रा में विकृतीकरण किए जाने का भी उल्लेख किया ।

१. शिक्षण, महिला, बच्चे, युवक एवं क्रीडा, इन विषयों का संसदीय स्थायी समिति ने ‘विद्यालयीन पाठ्यपुस्तकों की सामग्री एवं रचना में सुधार’ इस ब्योरे में वेद एवं अन्य महान ग्रंथों में प्राचीन ज्ञान, इसके साथ ही जीवन एवं समाज के विषय की सीख का पाठ्यपुस्तकों में समावेश करने की सिफारिश की ।

२. ३२ सदस्यीय समिति के ब्योरे में कहा गया है कि गलत ऐतिहासिक तथ्य एवं राष्ट्रीय पुरुषों के विषय की विकृतियों का संदर्भ निकाल देना, भारतीय इतिहास के सर्व कालखंड के समान संदर्भ सुनिश्चित करना, गार्गी, मैत्रेयी अथवा राज्यकर्ताओं सहित महान ऐतिहासिक महिलाओं की भूमिका अधोरेखित करना, इन पर समिति ने ध्यान केंद्रित किया है ।

३. समिति के ध्यान में आया है कि विद्यालयीन पाठ्यपुस्तक विक्रमादित्य, चोल, चालुक्य, विजयनगर, गोंडवाना अथवा त्रावणकोर एवं ईशान्य में ‘अहोम’ जैसे महान भारतीय साम्राज्यों को जितना आवश्यक था, उतना महत्त्व नहीं दिया गया । (२.१२.२०२१)