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सियालकोट (पाकिस्तान) – यहां ‘ईशनिंदा’ के आरोप में ३ दिसंबर को धर्मांधों की भीड ने श्रीलंकाई नागरिक प्रियांथा कुमारा को उसके हाथ पैर तोडकर जला दिया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान एवं राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने इस घटना की निंदा की है। पुलिस ने इस प्रकरण में १०० लोगों को बंदी बना लिया है। प्रियांथा कुमारा सियालकोट के वजीराबाद रोड स्थित एक निजी कारखाने (फैक्ट्री) में निर्यात प्रबंधक के पद पर कार्यरत थे। श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने इस प्रकरण की जांच की मांग की है, परंतु, ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ ने स्वतंत्र अन्वेषण की मांग की है। पाकिस्तान में १९९० से अब तक, ईशनिंदा करने के आरोप में, भीड ने ७० से अधिक लोगों की हत्या की है।
पाकिस्तान के सियालकोट में शुक्रवार को एक श्रीलंकाई शख्स की बेरहमी से हत्या कर दी गई और उसके बाद उसके शव को जला दिया गया. #World https://t.co/A3Rx0QTeOW
— AajTak (@aajtak) December 3, 2021
The horrific vigilante attack on factory in Sialkot & the burning alive of Sri Lankan manager is a day of shame for Pakistan. I am overseeing the investigations & let there be no mistake all those responsible will be punished with full severity of the law. Arrests are in progress
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) December 3, 2021
‘यह पाकिस्तान के लिए लज्जाजनक दिन है। मैं स्वयं इस घटना की जांच पर ध्यान दे रहा हूं। इसके लिए उत्तरदायी लोगों को दंडित किया जाएगा। इस प्रकरण में दोषियों को बंदी भी बनाया जा रहा है’, ऐसा प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है। (पाकिस्तान देश ही संपूर्ण संसार के लिए कलंक सिद्ध हुआ है। संसार को अब पाकिस्तान को ‘आतंकवादी’ एवं ‘धर्मांध’ देश घोषित कर, उसका बहिष्कार करना चाहिए ! – संपादक)
ईशनिंदा क्या है ?ईशनिंदा अर्थात ईश्वर की निंदा। इसमें, जानबूझकर पूजा स्थल को हानि पहुंचाना, धार्मिक कार्य में बाधा लाना एवं धार्मिक भावनाओं का अपमान करना आदि सम्मिलित हैं। संसार के अनेक देशों में ईशनिंदा से संबंधित कानून हैं। इसके अनुसार कठोर दंड का भी प्रावधान है। संसार के २६ प्रतिशत देशों में ऐसा कानून है। इनमें से ७० प्रतिशत इस्लामी देश हैं। पाकिस्तान में, इस कानून के अनुसार, जो कोई भी इस्लाम अथवा पैगंबर मुहम्मद के विरुद्ध कुछ भी बोलता है अथवा काम करता है, उसे मृत्यु दंड दिया जाता है। जहां मृत्यु दंड नहीं है, वहां दंड के साथ-साथ आजीवन कारावास का प्रावधान है। यह कानून ब्रिटिश शासन के समय बनाया गया था। (५.१२.२०२१) |