बांग्लादेश के हिन्दुओं की दयनीय स्थिति !

पू. (अधिवक्ता) सुरेश कुलकर्णीजी

१. नवरात्रोत्सव और दशहरे की कालावधि में धर्मांधों द्वारा हिन्दू मंदिर, पूजा मंडप पर आक्रमण कर हिन्दुओं की हत्या एवं हिन्दू महिलाओं का बलात्कार करना

     ‘१५ अक्टूबर २०२१ को हम सभी विजयादशमी अर्थात दशहरा मना रहे थे । उस दिन और उसके दो दिन पहले हमारे पडोसी बांग्लादेश में धर्मांधों ने हिन्दू मंदिर और देवी की स्थापना किए गए दुर्गादेवी के पूजा मंडप पर आक्रमण कर बडा हिंसाचार किया । १३ अक्टूबर को शुक्रवार की नमाज के उपरांत २०० से अधिक धर्मांधों ने हिन्दू, देवताओं की मूर्ति, देवालय और साधु-संतों पर आक्रमण किया, साथ ही आग लगाई । आक्रमण के पहले दिन इस्कॉन के २ साधु और कुछ श्रद्धालुओं की हत्या की गई । धर्मांधों ने दुर्गादेवी के १६० मंडप और मंदिरों में आगजनी की । १२ हिन्दुओं की हत्या, २३ हिन्दू स्त्रियों पर बलात्कार किया गया तथा १७ हिन्दू लापता हुए ।

     अब जो समाचार प्राप्त हो रहे हैं, उनमें ‘वर्ल्ड हिन्दू फेडरेशन बांग्लादेश’ शाखा की जानकारी यह है कि १३ से १७ अक्टूबर इन ५ दिनों में ३३५ मंदिरों की तोडफोड की गई । हिन्दुओं के १ सहस्र ८०० घर जलाएं गए । बांग्लादेश के कॉमिला, जानपुर, नौखाली, वडगाव बाजार, नवाबगंज, रंगपुर में सबसे अधिक आक्रमण किए गए । १२ हिन्दुओं की हत्या हुई, उनमें ७ पुजारी है । इतना ही नहीं २३ हिन्दू लडकियों और महिलाओं का बलात्कार किया गया ।

बांग्लादेशी हिन्दुओं के मंदिरों और दुकानों की धर्मांधों द्वारा हानि

२. विभाजन के समय धर्मांधों द्वारा नौखाली परिसर में हिन्दुओं पर अनगिनत अत्याचार करना

     वर्ष १९४७ में विभाजन के समय धर्मांधों ने नौखाली क्षेत्र में बडी मात्रा में हिन्दुओं की हत्या की, उनकी माता-बहनों पर बलात्कार किया । हिन्दू प्रतिकार न करें; इसलिए मोहनदास गांधी उस समय अनशन पर बैठें । वहां से वास्तव में गांधीगिरी आरंभ हुई । बांग्लादेश में धर्मांधों ने अनेक स्थानों के दुर्गा मंडपों पर आक्रमण किया । उसमें नौखाली की स्थिति गंभीर थी । जिसमें ४० से अधिक लोग घायाल हुए, ऐसी जानकारी ‘बांग्लादेश हिन्दू यूनिटी कौन्सिल’ ने दी । मंदिरों की केवल तोडफोड ही नहीं की गई, अपितु उनकी संपत्ति भी लुटी गई ।

३. इस्कॉन, हिन्दू जनजागृति समिति, डॉ. सुब्रह्मण्यम् स्वामी और अन्य संगठनों द्वारा बांग्लादेश के हिन्दुओं पर हुए अत्याचारों का विरोध करना

     बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हुए अत्याचारों का राजनीतिक दल अथवा नेताओं में से केवल डॉ. सुब्रह्मण्यम् स्वामी ने ही निषेध किया । उन्होंने ‘सीधे बांग्लादेश पर आक्रमण करें’, ऐसी सलाह केंद्र सरकार को दी । बांग्लादेश की लेखिका तस्लिमा नसरीन ने कहा ‘‘बांग्लादेश का नाम जिहादी स्थान है और शेख हसीना उसकी रानी है ।’’ ऐसी स्थिति में प्रसारमाध्यमों ने बांग्लादेश में दिखावा करना आरंभ किया । उन्होंने कहा, ‘‘हिन्दुओं ने स्वयं के घर और मंदिरों में आग लगाई, साथ ही कुरान का अपमान किया ।’’

     वास्तव में ३५ वर्षीय इकबाल हुसैन ने कॉमिला नानुआ दिघी परिसर के मंदिर में हनुमानजी के चरणों के निकट कुरान रखी थी, यह स्पष्ट हुआ । दुर्भाग्य यह है कि किसी भी राजनीतिक दल (भाजपा छोडकर), साम्यवादी, आधुनिकतावादी, प्रसारमाध्यमों ने प्रखर विरोध करना तो दूर, साधारण निषेध भी नहीं किया । इतना ही नहीं, अपितु बंगाल में सदैव वादग्रस्त विधान करने के लिए कुख्यात मौलवी पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने कहा कि ‘‘यदि कुरान का अपमान हो रहा हो, तो अपमान करनेवालों का सिर काट देना चाहिए ।’’ ऐसे उदंड मौलवियों को कानून का भय दिखाना चाहिए ।

     इस घटना को इस्कॉन ने थोडी बहुत प्रसिद्धी देने का प्रयास किया; परंतु ‘इस्कॉन बांग्लादेश’ और ‘बांग्लादेश हिन्दू यूनिटी कौन्सिल’ के ट्विटर खाते बंद किए गए । इस पृष्ठभूमि पर अत्याचारों के निषेध के रूप में भारत में हिन्दू जनजागृति समिति और अन्य प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने अनेक स्थानों पर केंद्र सरकार तथा माननीय प्रधानमंत्री को निवेदन देकर विरोध प्रकट किया । डॉ. सुब्रह्मण्यम् स्वामी ने कहा, ‘‘क्या हम बांग्लादेश से भी डरते हैं ? केंद्र की भाजपा सरकार निषेध क्यों नहीं करती ?’’

     श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान अथवा अन्य कहीं भी जहां हिन्दुओं पर आक्रमण होता है, उनका वंशविच्छेद होता है, उनकी महिलाओं का बलात्कार किया जाता है, साथ ही मंदिर एवं देवालय पर आक्रमण होते हैं, साधु-संतों की हत्या होती है, ऐसे में वर्तमान में केंद्र में सत्तास्थान पर बैठी हिन्दुत्वनिष्ठ सरकार हिन्दुओं को अपेक्षित कारवाई नहीं करती । इसके पीछे ‘इन देशों को आहत किया, तो वे चीन को अनुकूल आचरण करेंगे’, ऐसा दृष्टिकोण होगा । ऐसी स्थिति में भविष्य में क्या न हो, इसकी चिंता करने की अपेक्षा आज वर्तमान स्थिति में हिन्दुओं पर होनेवाले अत्याचार रोकने का प्रयास करना, यह भारत सरकार का प्रथम कर्तव्य होना चाहिए ।

     ऐसी स्थिति में भी दिलासा देनेवाले कुछ समाचार हैं । इन अत्याचारों के विरोध में ‘इस्कॉन’ के कार्यकर्ताओं ने २३ अक्टूबर को १५० देशों में प्रदर्शन किया । हाल ही के समाचार अनुसार इस आक्रमण के विरोध में हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने १५ राज्यों में आंदोलन किए और ११२ स्थानों पर ‘ऑनलाइन’ पद्धति से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेशमंत्री एस. जयशंकर को निवेदन दिए । अफ्रीका के हिन्दुओं ने भी बांग्लादेश के धर्मांधों द्वारा किए अत्याचारों के विरोध में निषेध दर्ज कर कठोर कार्यवाही की मांग की । भारत आण्विक अस्त्रों से सुसज्जित देश है । जब पाकिस्तान बांग्लादेश पर अत्याचार कर रहा था, तब भारत ने उसे स्वतंत्र करवाया; परंतु धर्मांधों को उन उपकारों का बोध नहीं है ।

४. भारत इजरायल का आदर्श सामने रखे !

     हमें इजरायल का उदाहरण सामने रखना चाहिए । इजरायल छोटा-सा राष्ट्र; परंतु इजरायली अथवा यहूदी नागरिक को विश्व में कहीं भी मारा गया, तो उस देश में जाकर हत्यारे को मारे बिना वे नहीं रुकते । इस भय से विश्व का एक भी जिहादी संगठन अथवा आतंकवादी इजरायली अथवा यहूदी नागरिकों को हाथ लगाने का साहस नहीं करता । इसके विपरीत, हमारा देश महासत्ता की दिशा में मार्गक्रमण कर रहा है, आण्विक अस्त्र से सुसज्जित भी है, अनेक अत्याधुनिक शस्त्र-अस्त्र भी हमारे पास हैं । भारतीय नौदल, वायु दल और सैनिक दल भी अत्यधिक पराक्रमी हैं; परंतु स्वतंत्रता के ७० वर्ष उपरांत भी हिन्दुओं की हत्याएं अल्प होने के बजाय उसमें वृद्धि ही हो रही है । ४० वर्षाें में बांग्लादेश के हिन्दुओं की जनसंख्या ५ गुना घटी है । वहां धर्मांध बडी मात्रा में हिन्दुओं की हत्या कर रहे हैं । अब हिन्दुओं का दबाव गुट निर्माण होना चाहिए । इसके लिए विशाल मात्रा में हिन्दू-संगठन होना आवश्यक है । पूरे विश्व में कहीं भी हिन्दुओं पर अत्याचार हुआ, तो उसका निषेध, विरोध और चर्चा होना चाहिए । इसके बिना ये घटनाएं न्यून नहीं होंगी । अंग्रजों ने हिन्दुओं को शस्त्र रखने पर प्रतिबंध लगाया तथा मोहनदास गांधी की अहिंसा ने हिन्दुओं को कायर बनाया । शौर्य जागरण की तो अत्यधिक आवश्यकता है । विश्व के सभी देशों के कानून कहते हैं कि आक्रमण, स्त्रियों पर अत्याचार और घृणास्पद अत्याचारों का प्रतिकार करना हमारा अधिकार है; परंतु अनेक वर्षाें से हिन्दू प्रत्येक क्षेत्र में मार खा रहा है ।

     इस अत्याचार का हमें मूक समर्थक नहीं करना है; क्योंकि उससे समष्टि पाप लगता है । इसलिए प्रत्येक को अपनी पद्धति से इस घटना का विरोध करना चाहिए और हिन्दू-संगठन करना चाहिए । हमें अन्य कोई सहायता नहीं करता; इसलिए हमें सर्वश्रेष्ठ भगवान की शरण जाना चाहिए, साथ ही शीघ्रातिशीघ्र हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करने के लिए प्रयास करना चाहिए ।’

श्रीकृष्णार्पणमस्तु ।’

– (पू.) अधिवक्ता सुरेश कुलकर्णी, संस्थापक सदस्य, हिन्दू विधिज्ञ परिषद और अधिवक्ता, मुंबई उच्च न्यायालय. (२२.१०.२०२१)

ट्विटर का हिन्दुओं के साथ सौतेला व्यवहार

     इस्कॉन और कुछ हिन्दू बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हुए आक्रमणों के विषय में आवाज उठाने के लिए ट्विटर पर जानकारी सहित आक्रमणों के कुछ छायाचित्र प्रकाशित कर रहे थे; परंतु ‘यह ‘ट्वीट्स’ हटाएं बिना उनके खाते पुन: आरंभ नहीं किए जाएंगे’, ऐसी धमकी ट्विटर ने दी । अर्थात धर्मांध हिन्दुओं पर अत्याचार करेंगे और उसके विरुद्ध आवाज उठाने के लिए यदि हिन्दुओं ने ‘ट्विटर हैंडल’ का उपयोग किया, तो उसे ट्विटर विरोध करेगा । ट्विटर ने ‘इस्कॉन बांग्लादेश’ और ‘बांग्लादेश हिन्दू युनिटी कौन्सिल’ के ट्विटर खाते बंद किए । ट्विटर के समान अन्य सभी बांग्लादेशी प्रसारमाध्यम और समाचार वाहिनियों ने भी हिन्दुओं पर हुए अत्याचारों का समाचार विश्व के सामने न आएं, इसके लिए प्रयास किया ।

     ट्विटर का हिन्दुओं के लिए अलग न्याय और आतंकवादियों के लिए अलग न्याय है । जिहादी आतंकवादी समर्थक डॉ. जाकिर नाइक का खाता अभी भी आरंभ है । आतंकवादी कार्यवाही करनेवाले ‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ संगठन पर प्रतिबंध लगाने के प्रयास आरंभ है, उनके ट्विटर खाते आरंभ है; परंतु धर्मप्रेमी हिन्दू और हिन्दुओं को धर्मप्रसार एवं आध्यात्मिक ज्ञान देनेवाले संगठनों के ट्विटर खाते बहुत पहले ही बंद कर दिए गए हैं ।

     ऐसा होते हुए भी भारत में प्रतिदिन समाचार पत्रों द्वारा बांग्लादेश की भयानक स्थिति ज्ञात हो रही थी ।