महाशिवरात्रि के अवसर पर महाराष्ट्र सहित देशभर के मंदिरों में करोडों भक्तों की भीड !

काशी विश्वनाथ, सोमनाथ सहित १२ ज्योतिर्लिंगों के भावपूर्ण रूपसे हिन्दुओं ने लिए अपने आराध्य के दर्शन !

महाशिवरात्रि विशेष

शिव शब्द ‘वश्’ शब्द के व्यतिक्रम से अर्थात अक्षरों के क्रम परिवर्तित करने से बना है । ‘वश्’ अर्थात प्रकाशित होना, अर्थात शिव वह है जो प्रकाशित है । शिव स्वयंसिद्ध एवं स्वयंप्रकाशी हैं । वे स्वयं प्रकाशित रहकर संपूर्ण विश्व को भी प्रकाशित करते हैं ।

महाशिवरात्रि के व्रत की विधि

फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी पर एकभुक्त रहें । चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल व्रत का संकल्प करें । सायंकाल नदी पर अथवा तालाब पर जाकर शास्त्रोक्त स्नान करें ।

शिवपिंडी पर बिल्वपत्र चढाने की पद्धति से संबंधित अध्यात्मशास्त्र

बिल्वपत्र, तारक शिवतत्त्व का वाहक है, तथा बिल्वपत्र का डंठल मारक शिवतत्त्व का वाहक है ।

बर्फ के शिवलिंग के रूप में भगवान शिव का अस्तित्व दर्शानेवाली अमरनाथ गुहा !

अमरनाथ स्थित गुहा में बर्फ का शिवलिंग निर्मित होता है । इस गुहा में भगवान शिव ने देवी पार्वती को इस गुहा में अमरत्व का ज्ञान दिया था । इसलिए इस गुहा का महत्त्व है ।

शिवमंदिर की विशेषताएं

शिवजी विवाहित दंपतियों के देवता, ‘शक्त्यासहितः शंभुः’ हैं । यदि शक्ति न हो, तो शिव का शव होता है । अन्य देवता चूंकि अकेले होते हैं, इसलिए उनकी मूर्तियों में अल्प ऊर्जा उत्पन्न होती है जिससे उनके देवालयों में ठंडक प्रतीत होती है ।

विकार-निर्मूलन हेतु शिवजी का जप उपयुक्त

विकार-निर्मूलन हेतु जप प्रतिदिन विकार की तीव्रता अनुसार १ से ६ घंटे तक कर सकते हैं ।

महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में हिन्दू जनजागृति समिति और सनातन संस्था द्वारा अध्यात्मप्रसार

     महाशिवरात्रि के दैवी अवसर पर भगवान शिव के संदर्भ में अध्यात्मशास्त्रीय जानकारी सभी जिज्ञासुओं को हो, इसलिए सनातन संस्था द्वारा विविध उपक्रमों का आयोजन किया गया ।      प्रवचनों के माध्यम से महाशिवरात्रि का व्रत कैसे करें ?, महाशिवरात्रि के दिन शिवजी का नामजप अधिकाधिक क्यों करें ?, शिवतत्त्व आकर्षित करनेवाली रंगोलियां बनाना, शिवजी … Read more

महाशिवरात्रि पर विशेष आलेख

यह अखिल सृष्टि प्रकट होती है और अपनी अवधि पूर्ण होने पर महाप्रलय में लीन हो जाती है। सृष्टि और महाप्रलय में उस शिव की त्रिगुणात्मिका शक्ति के तीनों गुण (सत्त्वगुण, रजोगुण, तमोगुण) साम्य अवस्था में रहते हैं।

महाशिवरात्रि

शिवरात्रि के दिन रात्रि के चार प्रहर चार पूजा करने का विधान है । उन्हें ‘यामपूजा’ कहते हैं । प्रत्येक यामपूजा में भगवान शिव को अभ्यंगस्नान करवाएं, अनुलेपन करें तथा धतूरा, आम एवं बेल के पत्ते चढाएं । चावल के आटे के २६ दीप जलाकर उनकी आरती उतारें । पूजा के दिन १०८ दीपों का दान दें ।