(ये कहते हैं) ‘इसके साक्ष्य दें कि केरल में ३२ सहस्त्र महिलाओं ने इस्लाम स्वीकार किया है तथा एक करोड रुपए पाए !’
कश्मीर में लाखों कश्मीरी हिन्दुओं के जातीय विभाजन पर एक शब्द भी न बोलने वाले थरूर की यह दिखावटी धर्म-निरपेक्षता क्यों ?
कश्मीर में लाखों कश्मीरी हिन्दुओं के जातीय विभाजन पर एक शब्द भी न बोलने वाले थरूर की यह दिखावटी धर्म-निरपेक्षता क्यों ?
केरल की ‘लव जिहाद’में फंसी हिन्दू एवं ईसाई लडकियां सीरिया जैसे देश पहुंच गईं, यह वास्तविकता है । तब भी उसे झूठा ठहरानेवाले एक राज्य के मुख्यमंत्री, लोकतंत्र की अपकीर्ति कर रहे हैं !
क्या महिला संगठन, महिला आयोग तथा निधर्मी राजनीतिक पार्टियों को यह स्वीकार है ? यदि नहीं, तो क्या वे इसका विरोध करेंगे ?
‘आतंकियों का धर्म नहीं होता’, सदैव ऐसा बकवास करनेवालों को इस संबंध में क्या कहना है ?
इस समय सेरिफ जोरबा ने ‘इमाम सैय्यद ऐल्नाकिब द्वारा इस्लाम के नाम पर लोगों से पैसे ऐंठने के कारण मैंने यह काम किया । मुझे इमाम को उसके घर में घुसकर मारना था । उसने इस्लाम का अपमान किया है, ऐसा आरोप लगाया ।
ओ.आई.सी. का वक्तव्य कट्टर मानसिकता का उदाहरण है ! – भारत ने लगाई फटकार !
यदि असम के मुख्य मंत्री ऐसा कर सकते हैं, तो अन्य राज्यों के मुख्य मंत्री क्यों नहीं ?
केंद्रशासन ने अभी अभी ‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ अर्थात ‘पी.एफ.आइ.’ पर प्रतिबंध लगाया । इस संगठन का राजकीय पक्ष ‘सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया’ पर भी (‘एस.डी.पी.आइ.’ पर भी) कार्यवाही होने की संभावना व्यक्त की जा रही है ।
पूरा विश्व ही आतंकवादी संकट के साये में है ! अत: संबंधित सभी देशों को एकत्रित होकर इसके विरुद्ध लडना चाहिए !
इस टिप्पणी के विरोध में भारत के धर्मनिरपेक्षतावादी, सर्वधर्मसमभाववाले, आधुनिक मुसलमान, उनके नेता, संगठन क्यों नहीं बोलते , क्या उन्हें भी ऐसा ही लगता है ?