सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

मनोविकारों का मूल कारण है स्वेच्छा !

‘अपनी इच्छा के अनुसार न हो, तो मानसिक तनाव बढता है तथा आगे अनेक मनोविकार होते हैं । इसके लिए आजकल के मनोविकार विशेषज्ञ विविध उपाय सुझाते हैं; परंतु कोई भी यह नहीं सिखाता कि स्वेच्छा नहीं रखनी चाहिए । इस कारण पूरे विश्व में ऐसे रोगियों की संख्या बढती जा रही है । सर्वस्व का त्याग करनेवाले ऋषि-मुनियों और संतों को कभी भी मनोविकार नहीं हुआ । इसके विपरीत वे सदैव सच्चिदानंद अवस्था में रहते थे ।’


हिन्दुओ, हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु कठोर प्रयास करो !

‘हिन्दुओ, ब्रिटिशों की गुलामी से मुक्त होने के उपरांत हिन्दुस्तान में राममंदिर की स्थापना होने में ७७ वर्ष लग गए । भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होने पर तो सर्वत्र मंदिर बनेंगे ही; परंतु ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना होने हेतु और कब तक प्रतीक्षा करोगे । इसे शीघ्र स्थापित करने हेतु अभी से सभी स्तरों पर कठोर प्रयास करो !’


ईश्वरीय राज्य में शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य !

‘संसार के किसी भी देश के शासनकर्ता ‘जनता सात्त्विक बने’, इस उद्देश्य से उसे साधना नहीं सिखाते । ईश्वरीय राज्य में शिक्षा का यही प्रमुख उद्देश्य होगा ।’

– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले