OTT Platforms Banned : १८ ओटीटी मंच, १९ जालस्‍थल, १० एप्‍स एवं सामाजिक माध्‍यमों पर ५७ खाते बंद किए गए !

  • केंद्र सरकार द्वारा बडी कार्यवाही !

  • अनेक कानूनी नियमों का उल्लंघन करने पर कार्यवाही

(ओटीटी अर्थात ‘ओवर द टॉप’ इसके एप्‍स के माध्‍यमों द्वारा चलचित्र, मालिकाएं आदि कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं ।)

नई देहली – केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा पूरे देश के १८ ओटीटी मंच (प्‍लेटफॉर्म) पर प्रतिबंध लगाया है । साथ ही १९ जालस्‍थल, १० एप्‍स, ओटीटी मंचों के सामाजिक माध्‍यमों पर ५७ खाते (सोशल मीडिया हैंडल्‍स) भी बंद कर दिए हैं । देखा गया है कि भिन्‍न भिन्‍न ऑनलाईन, डिजीटल माध्‍यमों पर विवरण सूचना एवं तंत्रज्ञान कानून, भारतीय दंड संहिता तथा महिलाओं के अशोभनीय प्रतिनिधित्‍व (प्रतिबंध) कानून के साथ अनेक कानूनी नियमों का उल्लंघन कर रहे थे । मंत्रालय द्वारा स्‍पष्ट किया गया है कि इस कारण से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा यह कार्यवाही की गई ।

१. केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस निर्णय के उपरांत कहा कि सर्जनशील अभिव्‍यक्‍ति के नाम पर ओटीटी मंचों द्वारा अश्लील एवं असभ्‍य सामग्री नहीं दिखानी चाहिए ।

२. मंत्रालय ने निवेदन में कहा है कि सूचना एवं तंत्रज्ञान कानून, २००० के प्रावधान के अनुसार यह प्रतिबंध लगाया गया है । इसके लिए अन्‍य विभाग के मंत्री एवं सरकार के विभागों का मत ज्ञात कर लिया था । साथ ही माध्‍यम एवं मनोरंजन क्षेत्र, महिला एवं बाल अधिकारों के लिए काम करनेवाले विशेषज्ञों का मत भी लिया गया ।

केंद्र सरकार के निर्णय का स्‍वागत है एवं कुल ७०० ओटीटी एप्‍स पर कार्यवाही होना आवश्‍यक ! – उदय माहूरकर

केंद्र सरकार के भूतपूर्व सूचना आयुक्‍त एवं ‘सेव कल्‍चर सेव फाऊंडेशन’ के अध्‍यक्ष श्री. उदय माहूरकर ने इस प्रकरण पर संघर्ष आरंभ किया है । ‘सनातन प्रभात’ के प्रतिनिधि से इस संदर्भ में बोलते हुए उन्‍होंने कहा, ‘सरकार के इस निर्णय का मैं स्‍वागत करता हूं ।

वर्ष २०४७ में भारत महान देश बनेगा, इसमें कोई संदेह नहीं है । मैं तो कहता हूं, वर्ष २०३७ के अंदर ही भारत आर्थिक, सैनिकी एवं वैज्ञानिक महासत्ता बनेगा; परंतु सांस्‍कृतिक दृष्टि से कंगाल देश बनने का संकट हम पर मंडरा रहा है । दिन-रात ओटीटी माध्‍यमों पर अश्लील कार्यक्रम प्रसारित किए जा रहे हैं । हमारे अध्‍ययन के अनुसार आज ऐसे ७०० ओटीटी एप्‍स हैं एवं उनपर प्रतिदिन न्‍यूनतम ३० चलचित्र प्रसारित किए जाते हैं । इनमें व्‍यभिचार ही दिखाया जाता है ।

ये चलचित्र मुख्‍यतः उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में निर्माण किए जाते हैं । इस सांस्‍कृतिक आक्रमण के कारण भारत का ‘विश्‍व गुरु’ बनने का सपना नष्ट नहीं होना चाहिए । ‘सेव कल्‍चर-सेव फाऊंडेशन’ संगठन इसके विरुद्ध पिछले १४ माह से संघर्ष कर रहा है । इसमें ‘जेम्‍स ऑफ बॉलीवुड’ एवं ‘हिन्‍दू जनजागृति समिति’ संगठन भी हमारी सहायता कर रहे हैं । प्रधानमंत्री मोदीजी के नेतृत्‍व में भारत अभूतपूर्व प्रगति कर रहा है तथा ओटीटी एप्‍स के विरुद्ध यह कार्यवाही प्रथम चरण है । मैं आशा करता हूं कि इससे आगे भी यह राष्ट्रवादी सरकार यह कार्यवाही करेगी ।

अश्लीलता पर रोक लगाएं तथा संस्कारों का बीजारोपण करें ! – रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति

श्री.रमेश शिंदे

ओटीटी प्लेटफॉर्म तथा अन्य मीडिया के माध्यम से बढ़ रही अश्लीलता देश के भविष्य पर संकट है । इसलिए अश्लीलता फैलाने वाले ओटीटी मंचों, वेबसाइटों तथा ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना तथा प्रसारण मंत्रालय द्वारा लिया गया निर्णय अत्यंत सराहनीय है ।

इस बारे में हिन्दू जनजागृति समिति लगातार केंद्र सरकार से संपर्क कर रही थी । फरवरी २०२४ में ‘जेम्स ऑफ बॉलीवुड’, ‘सेव कल्चर-सेव इंडिया’, ‘सेवा न्याय उत्थान’ एवं ‘हिंदू जनजागृति समिति’ की ओर से अश्लील ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अश्लीलता तथा अनैतिकता पर प्रतिबंध लगाने के लिए कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था ।

देश के गौरवशाली भविष्य के लिए मीडिया प्रसारण अश्लीलता पर रोक लगाने के साथ-साथ विद्यार्थी जीवन से ही संस्कार विकसित करने का प्रयास किया जाना चाहिए । भारत विश्व को अश्लीलता नहीं, सुसंस्कार देता है । यही भारत की पहचान है ।

बड़े ‘ओटीटी’ पर भी हो कार्रवाई ! – स्वाति गोयल शर्मा

स्वाति गोयल शर्मा

सनातन प्रभात प्रतिनिधि से बात करते हुए ‘जेम्स ऑफ बॉलीवुड’ संस्था की स्वाति गोयल शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा उठाया गया यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है । इस कार्रवाई की व्याप्ति और बढ़ाई जानी चाहिए । अभी मुख्य रूप से छोटे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कार्रवाई की गई है । हम आशा करते हैं कि बड़े ओटीटी के विरुद्ध भी इसी प्रकार कार्रवाई की जानी चाहिए, जिससे उन्हें प्रोत्साहन न मिले । हमारा देश सनातन धर्म पर आधारित है । ऐसी अश्लीलता के लिए कोई स्थान नहीं है । हम चाहते थे कि यह सूत्र बड़ा होना चाहिए । आज हमें संतोष है कि यह एक सामाजिक विषय बन गया है ।’ इस पर अब चर्चासत्र भी होने लगे हैं ।

संपादकीय भूमिका

केवल उन पर प्रतिबंध लगाकर रुकना नहीं चाहिए, अपितु उनको चलानेवालों पर अपराध प्रविष्ट कर उन्‍हें कारागृह में डालना चाहिए, तभी अन्‍यों पर नियंत्रण रहेगा !