सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार
ईश्वर में स्वभावदोष एवं अहं नहीं होते । उनसे एकरूप होना है, तो हममें भी उनका अभाव होना आवश्यक है ।
ईश्वर में स्वभावदोष एवं अहं नहीं होते । उनसे एकरूप होना है, तो हममें भी उनका अभाव होना आवश्यक है ।
फरीदाबाद, हरियाणा की सनातन की ४५ वीं संत पू. (श्रीमती) सूरजकांता मेनरायजी की पुण्यतिथि
गत ३० वर्षाें से सरकार के केवल मौखिक आदेश से बंद हुई पूजा पुनः प्रारंभ करने के लिए हिन्दुओं को न्यायालय में जाना पडना पश्चात की सरकारों के लिए लज्जाजनक ! पश्चात आनेवाली सरकारों ने मौखिक आदेश देकर पूजा पुनः प्रारंभ क्यों नहीं की ? ऐसा प्रश्न प्रत्येक हिन्दू के मन में उत्पन्न होता है !
गांधी का स्वयं का ही इस पर विश्वास नहीं था; क्योंकि उनके अंतिम शब्द ‘हे राम’ थे ।’ फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने ‘एक्स’ पर यह पोस्ट की है ।
भावी पीढी स्वस्थ हो, इस हेतु केंद्रीय ‘आयुष’ मंत्रालय की ‘होमिओपैथी फॉर स्कूल’, यह ३ वर्ष की योजना गोवा के विद्यालयों में लागू कर दी गई है ।
रे विश्व के यहूदियों ने संकल्प कर एक इजरायल का निर्माण किया, उसी तरह हिन्दू भी अपना संकल्प कभी नहीं भूलते । आज श्रीराम मंदिर साकार हुआ है । अगला संकल्प भी निश्चित ही पूरा होगा । इसके लिए हमें सतत संघर्षरत रहना होगा ।
गोहत्या, धर्मांतरण, लव जिहाद आदि समस्याओं के विरोध में सभी हिन्दुत्ववादी संगठनों को एक साथ आकर वज्र मुट्ठी बनाने की जरूरत है । इसके साथ ही हिन्दुओं को आत्मरक्षा सीखने के साथ-साथ साधना कर अपनी आध्यात्मिक शक्ति भी बढानी होगी ।
उन्होंने आगे कहा कि आज के समय में संपूर्ण वातावरण राममय हुआ है । ‘विरोधी यदि श्री रामलला (श्रीराम का बालक रूप) के मंदिर में नहीं जाते, तो उन्हें हिन्दुओं के मत लेने का क्या अधिकार है ?’
कांग्रेसी श्रीराम की तो छोडिए; संविधान की भक्ति भी नहीं करते; यह अब हिन्दू जान गए हैं । इसीलिए उन्होंने केंद्र में कांग्रेस को सत्ता से दूर रखा ।
कुछ दिन पूर्व ही ज्ञानवापी के संदर्भ में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (‘ए.एस.आई.’) का प्रतिवेदन (रिपोर्ट) आया है । उसमें स्पष्टता से कहा है कि ‘ज्ञानवापी के स्थान पर भव्य मंदिर था एवं उसे १७ वीं सदी में गिराया गया ।’