Gyanvapi Case Hindus Success : ज्ञानवापी में हिन्दुओं को पूजा करने की पुनः अनुमति !

  • वाराणसी के जिला न्यायालय का आदेश !

  • वर्ष १९९३ में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायमसिंह यादव ने मौखिक आदेश देकर बंद की थी पूजा !

श्री. नीलेश कुलकर्णी, विशेष प्रतिनिधि, वाराणसी, उत्तरप्रदेश

प्रथम पंक्ति में बायीं ओर से याचिकाकर्ता सीता साहू, रेखा पाठक, मंजू व्यास, अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, अधिवक्ता सुभाष चतुर्वेदी, अधिवक्ता दीपक सिंह एवं श्री. सोहनलाल

वाराणसी, ३१ जनवरी (संवाददाता) – ज्ञानवापी के ‘व्यास’ तलघर में नियमित पूजा करने की अनुमति जिला न्यायालय ने हिन्दुओं को दी है । इस निर्णय के कारण अब प्रत्येक हिन्दू इस तलघर में जाकर दर्शन एवं पूजा कर सकेगा । वर्ष १९९३ से पूर्व यहां नियमित पूजा की जा रही थी; परंतु तत्कालीन सरकार ने इस पर रोक लगाई थी । हिन्दू पक्ष द्वारा अब पूजा करने की मांग की गई थी । अगले ७ दिनों में हिन्दुओं को पूजा करने की व्यवस्था निर्माण करने का आदेश भी न्यायालय ने वाराणसी के जिलाधिकारी को दिया है । न्यायालय के आदेश के उपरांत वर्तमान काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में स्थित नंदी के सामने से व्यास तलघर की ओर जाने का मार्ग बनाया जानेवाला है । वर्तमान में यहां लोहे की बाड लगाई गई है । ‘काशी विश्वनाथ ट्रस्ट’ अंतर्गत तलघर में पूजा की जानेवाली है । ज्ञानवापी में मंदिर तोडकर मस्जिद बनाई गई थी, इसके प्रमाण पुरातत्व विभाग के सर्वेक्षण में उजागर हुए हैं । उसके पश्चात अब पूजा करने की अनुमति मिलने से हिन्दुओं में प्रसन्नता का वातावरण बन गया है ।

न्यायालय कर निर्णय ऐतिहासिक ! – अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन

प्रसारमाध्यमों से संवाद करते हुए अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन

हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि, हिन्दुओं का स्वप्न पूर्ण हो गया है । व्यास परिवार अब तलघर में पूजा करनेवाला है । हमने पूजा करने की अनुमति मांगी थी । सोमनाथ व्यास का परिवार वर्ष १९९३ तक तलघर में पूजा करता था । वर्ष १९९३ के पश्चात तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायमसिंह यादव की सरकार के मौखिक आदेश से तलघर की पूजा बंद की गई । इससे संबंधित कोई लिखित आदेश नहीं है । न्यायाधीश के.एम. पांडे ने १ फरवरी १९८६ को श्रीरामजन्मभूमि पर स्थित श्रीराममंदिर के ताले खोलने का निर्णय दिया था । आज के निर्णय की तुलना हम न्यायाधीश पांडे के निर्णय से कर रहे हैं । वाराणसी जिला न्यायालय का निर्णय ऐतिहासिक है । इससे पूर्व सरकारों ने सत्ता का दुरुपयोग कर हिन्दू समाज की पूजा रोकी थी, वह रोक आज न्यायालय ने हटा दी है । इससे आगे अब वजूखाने का (नमाजपठन करने से पूर्व हाथ-पैर धोने का स्थान) सर्वेक्षण करना हमारा लक्ष्य होगा ।

वाराणसी जिला प्रशासन के पास ज्ञानवापी का नियंत्रण

वाराणसी जिला प्रशासन ने २४ जनवरी को ज्ञानवापी के परिसर में दक्षिण की ओर स्थित तलघर का नियंत्रण लिया था । आचार्य वेद व्यास पीठ मंदिर के प्रमुख पुजारी शैलेंद्र कुमार पाठक ने इससे संबंधित अभियोग प्रविष्ट किया था । उसके पश्चात वाराणसी जिला न्यायालय ने ज्ञानवापी के दक्षिण की ओर स्थित तलघर का नियंत्रण वाराणसी जिला दंडाधिकारी को दिया था ।

सेवानिवृत्त होने से पूर्व न्यायाधीश ए.के. विश्वेश का अंतिम आदेश !

जिला न्यायालय के न्यायाधीश ए.के. विश्वेश ने पूजा करने अनुमति का आदेश दिया । न्यायाधीश विश्वेश के जिला न्यायालय के कार्यकाल का आज (३१ जनवरी) अंतिम दिन था । उनका कार्यकाल आज समाप्त होकर वे सेवानिवृत्त हो गए हैं ।

मुसलमान पक्ष ने जिला न्यायालय के इस निर्णय को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती देने की घोषणा की है ।

संपादकीय भूमिका 

गत ३० वर्षाें से सरकार के केवल मौखिक आदेश से बंद हुई पूजा पुनः प्रारंभ करने के लिए हिन्दुओं को न्यायालय में जाना पडना पश्चात की सरकारों के लिए लज्जाजनक ! पश्चात आनेवाली सरकारों ने मौखिक आदेश देकर पूजा पुनः प्रारंभ क्यों नहीं की ? ऐसा प्रश्न प्रत्येक हिन्दू के मन में उत्पन्न होता है !