हिन्दुओ, हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु अपने इष्टदेवता का अथवा ‘श्रीराम जय राम जय जय राम’ नामजप प्रतिदिन अधिकाधिक करें !

हिन्दू राष्ट्र स्थापित हो जाने के उपरांत रामराज्य में उसका रूपांतरण हो; इस हेतु साधकों सहित सभी लोग न्यूनतम २ घंटे ‘श्रीराम जय राम जय जय राम’ नामजप करें !

श्री रामलला विराजमान !

रामभक्त जिस क्षण की विगत ५०० वर्षों से प्रतीक्षा कर रहे थे, उस क्षण का २२ जनवरी को दोपहर १२ बजकर २९ मिनट पर केवल देश के ही नहीं, अपितु समस्त विश्व के करोडों लोगों ने अनुभव किया !

समारोह को सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की आध्यात्मिक उत्तराधिकारीणियों की वंदनीय उपस्थिति !

इस अवसर पर इन दोनों उत्तराधिकारिणियों ने ‘श्रीराम की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा के समारोह में सम्मिलित होने का अवसर मिला’, इस हेतु श्रीराम के प्रति कोटि-कोटि कृतज्ञता व्यक्त की ।

प्रभावशाली देश में हिंसा !

पापुआ न्यू गिनी तो एक प्रकार से उपेक्षित अथवा अनेक लोगों को ज्ञात ही नहीं है, ऐसा उपमहाद्वीपीय देश है; परंतु उसे प्रशांत महासागर में ‘अत्यंत प्रभावशाली देश’ के रूप में भी गिना जाता है । यहां की जनसंख्या १ करोड से अधिक है । इस देश की राजधानी पोर्ट मोरेस्बी में १० जनवरी को पुलिस ने हडताल की थी ।

श्रीराम : कुशल संगठन के आदर्श !

५०० वर्ष की प्रतीक्षा के उपरांत अयोध्या में प्रभु श्रीराम का मंदिर बन रहा है । ऐसे स्वर्णिमक्षण में हिन्दू श्रीराम के संगठनकार्य का आदर्श सामने रखेंगे, तो संपूर्ण भारत के अन्य अतिक्रमित मंदिर भी हिन्दुओं को प्राप्त होने में समय नहीं लगेगा ।

श्रीराम मंदिर के निर्माण-कार्य में सनातन संस्था का आध्यात्मिक सहभाग !

१५.१.२०२४ से सनातन संस्था के साधक ‘अयोध्या में श्रीराममंदिर के प्राणप्रतिष्ठा का कार्यक्रम निर्विघ्नता से संपन्न हो’, इसलिए प्रार्थना एवं अनुष्ठान कर रहे हैं ।’

श्रीराम मंदिर एवं शंकराचार्य !

‘श्रीराम मूर्ति प्रतिष्ठान केपहले प्रसारमाध्यम ‘शंकराचार्याें ने किया प्राणप्रतिष्ठा कार्यक्रम का बहिष्कार !’, इस आशय के समाचार दिखा रहे थे। इसे देखते हुए मैं कुछ सूत्र आपके सामने रखना चाहता हूं । यदि संभव हो, तो इन सूत्रों को शांत मन से पढकर समझ लें ।

अयोध्या में श्री रामलला की प्राणप्रतिष्ठा के कारण भारत राममराज्य की ओर गति से अग्रसर होगा !

अयोध्या में श्री रामलला (बालक-रूप की श्रीराम की मूर्ति) की प्राणप्रतिष्ठा का समारोह भारत के, साथ ही संपूर्ण विश्व के हिन्दुओं के लिए यह अत्यंत आनंद का क्षण होगा । २२.१.२०२४ को दोपहर १२.३० बजे आकाश में स्थित ग्रहीय स्थिति का ज्योतिषशास्त्रीय विश्लेषण आगे दिया गया है

अगले ढाई वर्ष तक श्री रामलला की प्राणप्रतिष्ठा हेतु शुभ मुहूर्त नहीं है !

अयोध्या में होनेवाली श्री रामलला की प्राणप्रतिष्ठा की तिथि पर विभिन्न लोग आपत्ति जता रहे हैं । इस संदर्भ में वाराणसी के गणेश्वर शास्त्री द्रविडजी ने इसका गणित बताकर प्राणप्रतिष्ठा हेतु २२ जनवरी २०२४ का दिन ही कैसे उचित है, यह बताया है ।

राममंदिर का उद्घाटन तथा प्रभु श्रीराम की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा हिन्दुओं का आत्मसम्मान !

‘रामायण’ एक ऐतिहासिक ग्रंथ है । हिन्दुस्थान सांस्कृतिक, धार्मिक, वैज्ञानिक एवं आर्थिक, ऐसे सभी क्षेत्रों में सर्वाेच्च स्थान पर विराजमान एकमात्र देश था ।