‘२२.१.२०२४ को दोपहर १२.३० बजे अभिजीत मुहूर्त पर अयोध्या में श्री रामलला (बालक-रूप की श्रीराम की मूर्ति) की प्राणप्रतिष्ठा का समारोह होनेवाला है । भारत के, साथ ही संपूर्ण विश्व के हिन्दुओं के लिए यह अत्यंत आनंद का क्षण होगा । २२.१.२०२४ को दोपहर १२.३० बजे आकाश में स्थित ग्रहीय स्थिति का ज्योतिषशास्त्रीय विश्लेषण आगे दिया गया है –
१. पूर्व क्षितिज पर मेष राशि उदित होने से श्रद्धालुओं को तेज एवं चैतन्य का लाभ होना
श्री रामलला की प्राणप्रतिष्ठा के समय अयोध्या के पूर्व क्षितिज पर (टिप्पणी) मेष राशि उदित होगी । मेष राशि पूर्व दिशा की, अग्नितत्त्व की, क्षत्रिय वर्ण की एवं रजोगुणी राशि है । यह राशि राजा, स्वामी, अधिपति आदि से संबंधित है । प्रभु श्रीराम एक आदर्श राजा एवं प्रजापालक होने से प्राणप्रतिष्ठा के समय पूर्व क्षितिज पर (टिप्पणी) मेष राशि का उदित होना शुभ है । उसके कारण श्रीराम की कृपा से श्रद्धालुओं को तेज एवं चैतन्य का लाभ मिलेगा ।
टिप्पणी – पृथ्वी से देखते समय, जहां आकाश भूमि को टिका है, ऐसा भ्रम होता है, उस काल्पनिक रेखा को ‘क्षितिज’ कहा जाता है ।
२. गुरु ग्रह के कारण रामराज्य हेतु कार्य करनेवालों को धर्मतेज का लाभ मिलना
श्री रामलला की प्राणप्रतिष्ठा के समय बृहस्पति भी पूर्व क्षितिज पर उदित रहेगा । बृहस्पति ग्रह सत्त्वगुणी होने के कारण वह धर्मतेज दर्शाता है । उसके कारण रामराज्य हेतु कार्य करनेवालों को धर्मतेज का लाभ मिलेगा अर्थात उनका आध्यात्मिक सामर्थ्य बढेगा । श्रीराम मंदिर की स्थापना के कारण हिन्दुओं में नवचेतना जागृत होकर उनमें धर्माभिमान एवं राष्ट्राभिमान बढेगा ।
३. सूर्य के कारण रामराज्य हेतु कार्य करनेवालों का क्षात्रतेज का लाभ मिलेगा
श्री रामलला की प्राणप्रतिष्ठा ‘अभिजीत’ मुहूर्त पर होनेवाली है । दोपहर के समय सूर्य जब सिर के बहुत ऊपर होता है, उस समय लगभग ४८ मिनट का अभिजीत मुहूर्त होता है । सूर्य ग्रहमाला के स्वामी हैं । सूर्य सत्त्व-रजोगुणी होने के कारण वे क्षात्रतेज प्रदान करते हैं । श्री रामलला की प्राणप्रतिष्ठा अपरान्ह समय अभिजीत मुहूर्त पर होनेवाली है, उसके कारण रामराज्य हेतु कार्य करनेवालों को क्षात्रतेज का लाभ मिलेगा अर्थात उनमें धैर्य, शौर्य एवं बल की वृद्धि होगी ।
४. भारत का रामराज्य की ओर गति से अग्रसर होना
श्री रामलला की प्राणप्रतिष्ठा के समय बृहस्पति एवं मंगल, इन ग्रहों का ‘नवपंचमयोग’ (शुभयोग) होनेवाला है । बृहस्पति एवं मंगल का शुभयोग किसी भी कार्य को भव्य एवं मूर्त स्वरूप प्रदान करता है । श्रीराम मंदिर की स्थापना तो रामराज्य की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम है । भौतिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक, इन तीनों दृष्टि से श्रीराम मंदिर का महत्त्व अनन्यसाधारण है । श्री रामलला की प्राणप्रतिष्ठा के कारण भारत रामराज्य की ओर अर्थात सुराज्य की ओर गति से अग्रसर होगा ।
५. ‘श्रीराम मंदिर की पुनर्स्थापना होना’ ईश्वरीय नियोजन ही है !
श्रीराम मंदिर चैतन्य का स्रोत है; परंतु इस्लामी आक्रांताओं द्वारा श्रीराम मंदिर का विध्वंस किए जाने के कारण हिन्दू समाज ५०० वर्षाें से इस चैतन्य से वंचित रहा; परंतु अब काल में परिवर्तन आ रहा है । यह परिवर्तन का काल है । यह काल भारत को उसका गतवैभव वापस दिलानेवाला काल है । उसके कारण ‘श्रीराम मंदिर की पुनर्स्थापना होना’ तो ईश्वरीय नियोजन है !’
– श्री. राज कर्वे, ज्योतिष विशारद, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय, गोवा (२.१.२०२४)