अयोध्या की श्रीराम जन्मभूमि पर ही श्रीराम का मंदिर बने; इसके लिए भक्तों द्वारा किया गया त्याग !
श्री रामलला तंबू में होने से २३ वर्ष अविवाहित रहनेवाले तथा चप्पल न पहननेवाले बिहार के देबू दास !
श्री रामलला तंबू में होने से २३ वर्ष अविवाहित रहनेवाले तथा चप्पल न पहननेवाले बिहार के देबू दास !
वर्ष २०२४ में माघ मेला १५ जनवरी से आरंभ हो गया है । प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के साथ इस मेले का आरंभ हो जाता है, जो महाशिवरात्रि के दिन स्नान करने के साथ समाप्त होता है ।
ग्रंथसेवा के अंतर्गत संकलन, भाषांतर, संरचना, मुखपृष्ठ-निर्मिति इत्यादि विभिन्न सेवाओं में सम्मिलित होने के इच्छुक युवक अपनी जानकारी सनातन के जिलासेवकों के माध्यम से भेजें ।
श्रीरामजी की गुणविशेषताएं, रामायण की कुछ घटनाओं का भावार्थ ऐसी जानकारी पाने हेतु ई-बुक आज ही डाउनलोड करें ।
यदि मन में किसी भी प्रकार के विचार संगठित हुए, तो उसका परिणाम देह पर होता है तथा विभिन्न शारीरिक कष्ट आरंभ होते हैं । खुलकर बात करने से मन में इकट्ठा हुई भावनाओं को मार्ग मिलता है तथा मन हल्का होता है ।
श्रीराम मंदिर के कारण अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय श्रेणी का हवाई अड्डा, अच्छी सडकें, अच्छे होटल तथा अनेक मूलभूत सुविधाओं की निर्मिति हुई है । व्यापारियों के संगठन ने बताया है कि ‘श्रीराम की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा के दिन ही ५० सहस्र करोड रुपए का निवेश हो सकता है’ ।
अयोध्या के श्रीराम मंदिर का उद्घाटन तथा श्री रामलला प्राणप्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से देश के विभिन्न भागों में ‘श्रीरामनामसंकीर्तन अभियान’ चलाया जा रहा है । उसी के अंतर्गत यहां के श्री सरियादेवी मंदिर के प्रांगण की स्वच्छता की गई ।
‘२२.१.२०२४ को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के नवनिर्मित श्रीराम मंदिर में श्री रामलला की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा की गई । इस मूर्ति को देखने पर मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई श्रीराम की इस मूर्ति की निम्न गुणविशेषताएं मेरे ध्यान में आईं ।
अयोध्या में निर्मित भव्य श्रीराम मंदिर के संदर्भ में संपूर्ण देश में उत्साह का वातावरण है । श्रीराम मंदिर की भांति ही काशी, मथुरा, भोजशाला, कुतुब मीनार आदि अनेक हिन्दू धार्मिक स्थलों को वापस लेने में ‘प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट’ कानून बडी बाधा है ।
अब हम ‘सनातन धर्मराज्य’ की ओर मार्गक्रमण कर रहे हैं, जिसे ‘हिन्दू राष्ट्र’ भी कह सकते हैं । इस कालावधि में ‘अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर का निर्माण होकर ‘श्रीराममूर्ति’ की प्राणप्रतिष्ठा होना’, ईश्वरीय नियोजन है ।