सूक्ष्म से मिलनेवाले ज्ञान में अथवा नाडीपट्टिका में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का उल्लेख ‘संत’ न करते हुए ‘विष्णु का अंशावतार’ होने के विविध कारण !

अन्य संप्रदायों में उनके द्वारा बताई साधना करते समय उस साधक को कुछ न कुछ बंधन पालने पडते हैं; परंतु सनातन में साधना करते समय साधना के अतिरिक्त अन्य कोई भी बंधन नहीं बताए जाते ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की देह की त्वचा में दैवी कण मिलने का अध्यात्मशास्त्र !

परात्पर गुरुदेवजी के जन्मोत्सव को उनमें विद्यमान अवतारी तत्त्व संपूर्ण रूप से प्रकट होकर कार्यरत होता है । जब उनमें विद्यमान अवतारी तत्त्व प्रकट होता है, तब उनकी देह में श्रीविष्णु तत्त्व कार्यरत होने के कारण उनकी देह में दैवी परिवर्तन आते हैं ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ८० वें जन्मोत्सव से पूर्व उनके बाएं हाथ की बांह पर अनेक दैवी कण आना, यह उनकी देह में विद्यमान श्रीविष्णु तत्त्व की जागृति का आरंभ होने का संकेत !

हे गुरुदेव, आपके रूप में हमें आपके अवतारी तत्त्वजागृति की यह अलौकिक घयना देखने का सौभाग्य मिल रहा है । आपका यह अवतारी तत्त्व हमें अधिकाधिक ग्रहण करना संभव हो’, यह आपके सुकोमल चरणों में प्रार्थना है !

हिन्दूजनों का उत्स्फूर्त प्रत्युत्तर प्राप्त विभिन्न जिलों की ‘हिन्दू एकता शोभायात्रा’ !

शोभायात्राओं में शुभचिंतकों ने परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का छायाचित्र रखी पालकी का पूजन किया, तथा अनेक जिज्ञासुओं ने धर्मध्वज और पालकी पर पुष्पवर्षा की । इन शोभायात्राओं को मिला हुआ उत्स्फूर्त प्रत्युत्तर सनातन के कार्य का समर्थन करनेवाली फलोत्पत्ति ही है !

फोंडा में संपन्न शोभायात्रा के समय प्राप्त अनुभव !

शोभायात्रा जब फोंडा शहर से जा रही थी, तब मजदूरी पर काम करनेवाले एक श्रमिक ने फेरी को भावपूर्ण नमस्कार किया । अन्य एक श्रमिक अपना काम छोडकर फेरी में सम्मिलित हुआ । इससे ‘भगवान को भाव प्रिय है’, इसकी प्रतीति हुई ।

राष्ट्र एवं धर्म के विषय में लोगों को सतत जागृत करना चाहिए ! – स्वामी निर्गुणानंद महाराज, रिसडा प्रेम मंदिर आश्रम, बंगाल

धर्मकार्य करते हुए हमारे मन में सकारात्मकता और मुख पर प्रसन्नता रखनी चाहिए । अपने-अपने घरों के छोटे-छोटे कार्यक्रमों के माध्यम से भी लोगों को एकत्र करते रहना है । भले ही कोई भी निमित्त हो, राष्ट्र एवं धर्म के विषय में लोगों को सतत जागृत करना चाहिए ।

बंगाल में ‘हिन्दू सभा की ऑनलाइन’ बैठक में हिन्दू जनजागृति समिति का सहभाग

‘हिन्दू सभा’ इस हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन की ‘ऑनलाईन’ बैठक में हिन्दु जनजागृति समिति के पूर्व एवं पूर्वोत्तर भारत राज्य समन्वयक श्री. शंभू गवारे ने सहभाग लिया । इस अवसर पर श्री. गवारे ने समिति के कार्य के विषय में सभी को अवगत करवाया ।

जयपुर, राजस्थान के शिवभक्त पू. वीरेंद्र सोनीजी (आयु ८७ वर्ष) का देहत्याग !

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी ने ३० नवंबर २०२१ को पू. वीरेंद्र सोनीजी को संत घोषित किया था । श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी द्वारा वर्ष २०१९ में की गई कैलास-मानसरोवर (मानस सरोवर) यात्रा के श्री. वारिद सोनी मार्गदर्शक थे ।

सोजत रोड (राजस्थान) में हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभा संपन्न !

हमने अपनी भाषा, वेशभूषा एवं भोजन छोड दिया है । इसलिए आज लोगों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढती जा रही हैं । हमें अभिमान से अपनी संस्कृति का पालन कर धर्म बढाना चाहिए ।

भारतीय संस्कृति का महत्त्व विद्यार्थियों पर अंकित करने हेतु महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा प्रयागराज में पाठ्यक्रम का आरंभ !

महान हिन्दू संस्कृति के विषय में तथा ‘नामजप करने से मन की एकाग्रता बढकर पढाई मैं कैसे लाभ होता है’, इसकी जानकारी दी गई । सभी शिक्षक एवं विद्यार्थियों ने इसकी बहुत सराहना की तथा इस प्रकार के वर्ग प्रतिदिन लिए जाने की इच्छा भी व्यक्त की ।