वामपंथियों के वैचारिक आतंकवाद से लडना हमारा कर्तव्य है !

यह आतंकवाद अदृश्य एवं सहस्रों गुना अधिक विषाक्त है । जिसके कारण हम अपनी संस्कृति, अपना इतिहास तथा आनेवाले समय में स्वयं को ही खो देंगे ! अतः इसके विरुद्ध वैचारिक स्तर पर लडना, हम सभी का कर्तव्य है । 

मन में राम और रामराज्य की स्थापना का लक्ष्य लेकर हमें कार्य करना होगा ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

हिन्दुओं को आज स्वबोध नहीं, तो शत्रुबोध कैसे होगा ? हिन्दू संगठनों के माध्यम से हिन्दू समाज को यह बोध हो, इसलिए यह हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन है ।

देहली की सुगम गायिका श्रीमती सुमन देवगण ने किया महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के शोधकेंद्र का अवलोकन !

महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय का समग्र कार्य देखकर उन्होंने अपना मनोगत व्यक्त करते हुए कहा, ‘गुरुदेवजी (सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी) आज के समय के लिए आवश्यक कार्य ही कर रहे हैं, जिसकी आज की पीढी के लिए बहुत आवश्यकता है ।’

श्री दत्त जयंती (दि. २६ दिसंबर २०२३)

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन मृग नक्षत्र पर सायंकाल भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ, इसलिए इस दिन भगवान दत्तात्रेय का जन्मोत्सव सर्व दत्तक्षेत्रों में मनाया जाता है  ।

विद्यालयों-महाविद्यालयों में आयोजित की जानेवाली प्रतियोगिताओं में विजेता छात्रों को पुरस्कार के रूप में सनतान के ग्रंथ एवं लघुग्रंथ दें  !

छात्रों को पुरस्कार के रूप में सनातन द्वारा प्रकाशित ग्रंथमाला ‘बालसंस्कार’ के ग्रंथ, साथ ही अन्य ग्रंथ दिए, तो उससे उनके मन पर सुसंस्कारों का महत्त्व अंकित करने में सहायता मिलेगी ।

युवको, सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के चैतन्यदायी ग्रंथकार्य का ध्वज ऊंचा रखने हेतु ग्रंथ-निर्मिति के कार्य में सम्मिलित हों !

ग्रंथसेवा के अंतर्गत संकलन, भाषांतर, संरचना, मुखपृष्ठ-निर्मिति इत्यादि विभिन्न सेवाओं में सम्मिलित होने के इच्छुक युवक अपनी जानकारी सनातन के जिलासेवकों के माध्यम से भेजें ।

दत्तात्रेय देवता की उपासना का शास्त्र बतानेवाला सनातन का ग्रंथ !

दत्त जयंती का महत्त्व, दत्त द्वारा धारण की गई विविध वस्तुएं, पितृदोष दूर करने हेतु दत्त के नामजप का महत्त्व ये सब जानकर लेने के लिए अवश्य पढे ग्रंथ “भगवान दत्तात्रेय”

कलियुग की सर्वश्रेष्ठ नामजप साधना, नामजप की वाणियां एवं ध्वनि-प्रकाश विज्ञान

नामजप स्थूल ध्वनि, अव्यक्त ध्वनि, साथ ही प्रकाश ऊर्जा से चित्तशुद्धि कर मनुष्य को केवल स्वास्थ्य ही नहीं, अपितु आनंदप्राप्ति का मार्ग साध्य कराता है । यह कलियुग की सर्वश्रेष्ठ साधना सिद्ध होती है ।

मनुष्य का शरीर विभिन्न यंत्रों सहित कारखाने की भांति आत्मा का वाहन होना

अंदर बैठा हुआ जीव, जीवात्मा, आत्मा, परमात्मा अर्थात चेतना है, शाश्वत है, अविनाशी है, सर्वव्यापी है, सर्वज्ञ है, सर्वशक्तिमान है । यही अंतिम सत्य, यही हमारा स्वस्वरूप तथा यही है अनादि अनंत !

ईश्वर से सनातन को मिला एक अनमोल वरदान श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी !

देवताओं के दर्शन करते-करते सप्तर्षियों एवं सच्चिदानंद परब्रह्म गुरुदेवजी की कृपा से श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी में विद्यमान देवीतत्त्व प्रकट होने लगा है । समाज के अनेक लोग उनकी ओर आकृष्ट होते हैं । उनका ‘तेजस्वी मुखमंडल’ ही अब उनकी पहचान बन चुका है ।