फेटे का महत्त्व और लाभ

‘उपरने से अथवा धूतवस्त्र से सिर को गोलाकार पद्धति से लपेटना, यह सबसे सरल, सहज एवं सात्त्विक उपचार है । इस लपेटे हुए भागके मध्यमें निर्मित रिक्ति में ब्रह्माण्ड के सात्त्विक स्पन्दन घनीभूत होते हैं ।

जो गाय को नहीं मानता, वह सनातनी हिन्दू नहीं है !

जो गाय को नहीं मानता, वह सनातनी हिन्दू नहीं है, ऐसा वक्तव्य ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंदजी ने यहां दिया । यहां के माघ मेले के सेक्टर ३ में उनके शिविर में गो संसद का आयोजन किया गया था, उसमें शंकराचार्यजी ऐसा बोल रहे थे ।

धूप के उपचार करने से (शरीर पर धूप लेने से) व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ होना !

‘आज के समय में अधिकतर लोगों को अल्पाधिक स्तर पर आध्यात्मिक कष्ट (टिप्पणी) होता है, साथ ही वातावरण में रज-तम का स्तर बहुत बढ जाने से व्यक्ति की देह, मन एवं बुद्धि पर कष्टदायक स्पंदनों का आवरण बतनता है ।

दिल्ली के विश्व पुस्तक मेले में सनातन संस्था की ग्रंथ-प्रदर्शनी को मान्यवरों की भेंट !

दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित विश्व पुस्तक मेले में सनातन संस्था द्वारा आध्यात्मिक ग्रंथों की प्रदर्शनी लगाई गई थी ।

इंदौर (मध्य प्रदेश) तरुण जत्रा प्रदर्शनी में सनातन संस्था द्वारा अध्यात्मप्रसार !

इंदौर (मध्य प्रदेश) में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी यहां के दशहरा मैदान पर तरुण जत्रा इस मराठी व्यंजन एवं संस्कृति मेले का आयोजन किया गया था ।

अयोध्या में बने श्रीराम मंदिर के विरोधकों पर कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए !

धार्मिक भावनाएं आहत करनेवाले, मुसलमानों की भावनाएं भडकानेवाले, दंगे कराने की धमकी देनेवाले आदि सभी घटकों पर एक विशिष्ट समयसीमा में कठोर कानूनी कार्रवाई करने की मांग हेतु वाराणसी तथा सैदपुर में जिलाधिकारी के माध्यम से माननीय केंद्रीय गृहमंत्री को ज्ञापन दिया गया ।

सनातन के बालसाधक कु. बी. चैतन्य कृष्णा को ‘जूनियर समूह’ के एक इवेंट में रजत पदक प्राप्त

‘टाटा स्टील’ की ओर से ४ फरवरी को ‘हॉर्स राइडिंग शो’ का आयोजन किया गया था । इसमें सनातन के ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त बालसाधक कु. बी. चैतन्य ने ‘जूनियर समूह’ के एक इवेंट में रजत पदक प्राप्त किया ।

प्रत्येक सेवा परिपूर्ण पद्धति से करनेवाली तथा परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति दृढ श्रद्धा रखनेवालीं सनातन की ८४ वीं (समष्टि) संत पू. (श्रीमती) सुनीता खेमकाजी !

सनातन संस्था से संपर्क होने पर मन में बिना कोई शंका लिए उन्होंने किस प्रकार सभी सेवाएं परिपूर्ण पद्धति से की, गुरुदेवजी से उनका पहली बार मिलना, उस समय उनके द्वारा अनुभव किए गए भावक्षणों, गुरुदेवजी की प्रति उनकी दृढ श्रद्धा तथा साधना करते समय उन्हें प्राप्त अनुभूतियां देखनेवाले हैं ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी द्वारा संकलित ग्रंथों में समाहित लेखन के प्रकार ‘मेरे द्वारा संकलित ग्रंथों में निम्न ३ प्रकार का लेखन है –

साधना आरंभ करने पर ‘ध्यान से उत्तर मिल सकते हैं’, यह ज्ञात होने पर मैं मेरी अधिकतर शंकाओं के उत्तर ध्यान से प्राप्त करता था । उसके कारण सूक्ष्म स्तर का वह ज्ञान पृथ्वी पर उपलब्ध किसी भी ग्रंथ में नहीं है ।

साधना के विषय में उपयुक्त दृष्टिकोण !

‘साक्षित्व की अवस्था विलक्षण विलोभनीय है । यहां शुद्ध विश्राम है तथा परम विश्राम है । विभिन्न योनियों से भटककर परिश्रांत बना ऐसा जीव, जिस समय इस साक्षित्व की दशा को प्राप्त होता है, उस समय उसका संसार भ्रमण रुक जाता है