Constitution of India : संविधान की प्रस्तावना से ‘धर्मनिरपेक्ष’ एवं ‘समाजवाद’ शब्द हटाएं !

आपातकाल के समय वर्ष १९७६ में भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’ एवं ‘समाजवाद’, ये दो शब्द घुसाए गए । संविधान के मूल ढांचे में किया गया यह परिवर्तन संपूर्णतः असंवैधानिक था ।

MBA in Temple Management : जून २०२४ से मुंबई विश्वविद्यालय में मंदिर व्यवस्थापन का पाठ्यक्रम आरंभ किया जाएगा !

मुंबई विश्वविद्यालय का सराहनीय प्रयास ! हिन्दुओं को आशा है कि मंदिर के साथ-साथ हिन्दू धर्म से संबंधित विषयों के संबंध में भी पाठ्यक्रम आरंभ किया जाना चाहिए !

संपादकीय : अमेरिका की दादागिरी को महत्त्व न दें !

भारत को अमेरिका पर पाकिस्तान के साथ हथियारों का व्यापार न करने के लिए दबाव डालना आवश्यक !

सुप्रसिद्ध अधिवक्ता उज्ज्वल निकम : मुंबई के कानूनी चौकीदार !

मुंबई पर जितने भी आतंकी आक्रमण हुए, चाहे वह दाऊद के मेमन गिरोह के द्वारा किया गया बम विस्फोट का आक्रमण हो या १० पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा मुंबई पर किया गया आक्रमण, इन अभियोगों में आरोपियों को दंड तक ले जाने के लिए अथक परिश्रम उठानेवाले अधिवक्ता के रूप में उज्ज्वल निकम की पहचान है ।

मनुष्यजाति के लिए लज्जाप्रद कर्नाटक का ‘सेक्स स्कैंडल’ !

धर्मनिरपेक्ष जनता दल के नेता प्रज्वल रेवण्णा पर सैकडों महिलाओं पर यौन अत्याचार करने के आरोप है । ऐसे कांड पुनः न हों; इसलिए प्रज्वल रेवण्णा को कठोर से कठोर दंड मिले, यह जनभावना है !’

‘पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम १९९१’ एवं काशी-मथुरा मुक्ति आंदोलन !

हिन्दुओं की आवाज दबानेवाला ‘पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम १९९१’, इस काले कानून को रद्द करने के लिए हिन्दुओं को संगठित होकर केंद्र सरकार से मांग करनी पडेगी ।

‘पतंजलि योगपीठ’ एवं ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’ (आई.एम.ए.) के आपसी विवाद में आयुर्वेद की हानि न होने दें !

वर्तमान समय में सर्वत्र ‘पतंजलि योगपीठ’ द्वारा बनाई गई औषधियों पर प्रतिबंध लगाने के संदर्भ में ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’ अर्थात ‘आई.एम.ए.’ के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में प्रविष्ट याचिका तथा न्यायालय के द्वारा उस पर निर्णय देते समय दिए गए वक्तव्यों के विषय में प्रसारमाध्यमों में उल्टी-सीधी चर्चा चल रही है ।

सनातन की ग्रंथमाला : भावजागृति हेतु साधना

भाव का अर्थ एवं विशेषताएं कौनसी हैं ?, शीघ्र आध्यात्मिक उन्नति के लिए लगन तथा भाव में क्यों आवश्यक है ? इस विषय मे और जानने के लिए अवश्य पढिए ग्रंथ ‘भाव के प्रकार एवं जागृति’

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के द्वारा महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के अंतर्गत आरंभ किए गए ‘संगीत के माध्यम से साधना’, इस संकल्प का उत्तरोत्तर बढता हुआ कार्य !

वर्ष २०१७ में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के जन्मोत्सव के समय उन्होंने बताया था, ‘आज महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के अंतर्गत संगीत के माध्यम से साधना करने हेतु ‘संगीत से संबंधित कार्य आरंभ किया गया है ।’ उनके इस संकल्प के कारण ही यह कार्य अल्पावधि में बढता गया तथा प्रतिदिन बढता ही जा रहा है ।

गुरुपद पर विराजमान होते हुए भी स्वयं का निरालापन न जताते हुए साधकों में घुल-मिल जानेवाले डॉ. आठवलेजी !

निरपेक्ष प्रीति के उच्च बिंदु हैं सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ! उनमें भगवान के सभी गुणों की प्रतीति होती है । अपना कोई भी भिन्न दल न रखकर सहजता के साथ साधकों के स्तर पर आकर उनके साथ रहने के संदर्भ में साधकों द्वारा अनुभव किए हुए कुछ क्षण यहां दे रहे हैं !