वैश्विक हिंदू राष्ट्र सम्मेलन का छठा दिन – सत्र का विषय : न्यायिक कार्य एवं अधिवक्ताओं का संघर्ष

सभी जिहादों में सबसे भयानक ‘भूमि जिहाद’ है, तथा सभी जिहाद इसी जिहाद से संबंधित हैं । इसके अंतर्गत वे मुख्यतः सरकारी भूमि को अपने नियंत्रण में लेने का प्रयास करते हैं ।

वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के कुछ क्षणमोती !

भारत हिन्दू राष्ट्र हमारा ।
सभी भारतीय वह एक परिवार  ।।

‘फेडेक्स कॉलर’ अथवा अन्य प्रकार के चल-दूरभाष संपर्क से आर्थिक धोखाधडी टालने हेतु सावधान कैसे रहें ?

वर्तमान में अनेक लोगों को असामाजिक तत्त्वों से चल-दूरभाष (मोबाइल) पर ऐसा कहते हुए कि ‘मैं सीमा शुल्क (कस्टम) अधिकारी बोल रहा हूं’ और पूछताछ के नाम पर धमकाकर मानसिक दमन कर लाखों रुपए लूटे जाते हैं । हमारे  साथ धोखाधडी न हो इसलिए क्या सावधानी रखें इस विषय में आगे दिया है ।

अर्पणदाताओं, गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में धर्मकार्य हेतु धन अर्पित कर गुरुतत्त्व का लाभ उठाओ !

गुरुपूर्णिमा के दिन गुरु का कृपाशीर्वाद तथा उनसे प्रक्षेपित शब्दातीत ज्ञान सामान्य की अपेक्षा सहस्र गुना कार्यरत होता है । अतः गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में गुरुसेवा एवं धन का त्याग करनेवाले व्यक्ति को गुरुतत्त्व का सहस्र गुना लाभ होता है ।

खबर हलचल का स्वच्छ मंदिर – समृद्ध मंदिर अभियान आरंभ

देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में स्वच्छ और निष्पक्ष पत्रकारिता करनेवाले ख़बर हलचल न्यूज़ ने मंदिरों की स्वच्छता का बीडा उठाया । इस अभियान के अंतर्गत मंदिरों में स्वच्छता बनाए रखने के अनुरोधवाले बैनर इत्यादि लगाए गए एवं मंदिरों को स्वच्छ किया गया ।

गुरुपूर्णिमा निमित्त सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणिया श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी का शुभ संदेश !

गुरु को व्यापक धर्मकार्य प्रिय है । वह लगन से करना सच्ची ‘गुरुभक्ति’ है । यह कार्य करते समय कोई भी संदेह न रखना सच्ची गुरुनिष्ठा है एवं ‘यह धर्मकार्य परिपूर्ण करने से मेरी आत्मोन्नति निश्चित ही होगी’, यही ‘गुरु के प्रति’ श्रद्धा है ! इसीलिए गुरुपूर्णिमा से श्री गुरु के प्रति निष्ठा, श्रद्धा एवं भक्ति बढाएं ।

दिव्य कार्य करें दिव्य विभूति । आइए देखें वे क्षणमोती !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ने प्रत्येक कार्य पहले स्वयं किया तथा उनकी बारीकियों का अध्ययन किया है । कार्य सूत्रबद्ध होने के लिए कार्यपद्धतियां बनाईं तथा तत्पश्चात ही वह साधकों को सिखाया । इसलिए अनेक साधक विविध क्षेत्रों में कार्य करने हेतु तैयार हो गए हैं । दिव्य कार्य दिव्य विभूतियों के हाथों से ही होता है । इस दिव्य कार्य के छायाचित्र स्वरूप में कुछ क्षणमोती यहां दिए हैं ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी द्वारा अध्यात्म-क्षेत्र में किया गया कार्य !

अध्यात्मप्रसार के कार्य की व्यापकता बढने के उपरांत परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने २३.३.१९९९ को सनातन संस्था की स्थापना की । सनातन संस्था का उद्देश्य है वैज्ञानिक परिभाषा में हिन्दू धर्म के अध्यात्मशास्त्र का प्रसार कर धर्मशिक्षा देना

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा साधकों की शीघ्र आध्यात्मिक उन्नति हेतु ‘गुरुकृपायोग’ साधनामार्ग की निर्मिति

कर्मयोग, भक्तियोग, ज्ञानयोग इत्यादि जिस किसी भी मार्ग से साधना करें, तब भी ईश्वरप्राप्ति हेतु गुरुकृपा के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं है । शीघ्र गुरुप्राप्ति हेतु तथा गुरुकृपा निरंतर होने हेतु परात्पर गुरु डॉक्टरजी ने ‘गुरुकृपायोग’ नामक सरल साधनामार्ग बताया है ।

सात्त्विकता एवं चैतन्यशक्ति से युक्त ‘परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी का छायाचित्रमय जीवनदर्शन’ ग्रंथ !

छायाचित्रमय जीवनदर्शन ग्रंथ के ‘यू.ए.एस.’ परीक्षण में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभामंडल ४८६ मीटर पाया गया !