‘धर्मांतरणविरोधी कानून के कारण कर्नाटक में अराजक की स्थिति उत्पन्न होगी ! – आर्चबिशप रेवरंड पीटर मचाडो
धर्मांतरणविरोधी कानून बनाने से ईसाईयों का छिपा उद्देश्य ही असफल होनेवाला है; इसलिए अब वे तिलमिला गए हैं, यही इससे स्पष्ट होता है !
धर्मांतरणविरोधी कानून बनाने से ईसाईयों का छिपा उद्देश्य ही असफल होनेवाला है; इसलिए अब वे तिलमिला गए हैं, यही इससे स्पष्ट होता है !
साधुओं की हो रही अवमानना के विरोध में सतर्कता दिखानेवाले सनातन के साधक डॉ. अशोक शिंदे का अभिनंदन !
विद्यार्थी अवस्था में बच्चों को गीता, रामायण और महाभारत सिखाई, तो शाला के विद्यार्थी सत्शील एवं सुसंस्कारी होंगे ।
आर्य चाणक्य ने कहा है, ‘राष्ट्रस्य मूलः इंद्रियनिग्रह: ।’ अर्थात जो अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखता है, वही राज्य करने का खरा अधिकारी होता है । इसके विपरीत, आज जो इंद्रियों की विषय-वासना में पूर्णत: फंसे हैं, वे ही शासन कर रहे हैं ।
ग्रंथों में सरल भाषा और संस्कृत श्लोकों का यथोचित उपयोग है तथा ये ग्रंथ दिव्य ज्ञानामृत ही हैं । ये ग्रंथ अपने मित्र, परिजन, कर्मचारियों को उपहार स्वरूप देने के लिए भी उपयुक्त हैं ।
अलंकार हिन्दू संस्कृति की अनमोल धरोहर है । हिन्दू संस्कृति पर पश्चिमी संस्कृति का रंग चढा । फैशन के नाम पर आजकल स्त्रियां चूडियां नहीं पहनतीं एवं कुमकुम के स्थान पर बिंदी लगाती हैं ।
सनातन संस्था में कुछ दैवी बालक हैं । उनका बोलना आध्यात्मिक स्तर का होता है । आध्यात्मिक विषय पर बोलते हुए उनके बोलने में ‘सगुण-निर्गुण’, ‘आनंद, चैतन्य, शांति’ जैसे शब्द होते हैं । ऐसे शब्द बोलने के पूर्व उन्हें रुककर विचार नहीं करना पडता ।
जिन्हें अध्यात्म के प्रति रुचि है उन्हें ईश्वरप्राप्ति शीघ्र कराने हेतु तथा संपूर्ण विश्व में हिन्दू धर्म का शास्त्रीय परिभाषा में प्रचार करने के उद्देश्य से, सनातन ने मई २०२१ तक ३३८ अनमोल ग्रंथों का प्रकाशन किया है, भविष्य में हजारों ग्रंथ प्रकाशित होंगे ।
रसोईघर के कचरे को ‘पौधों का आहार’ संबोधित करने पर, उस कचरे की ओर देखने का अपना दृष्टिकोण बदल जाता है । केवल शब्द बदलने से अपनी कृति में भी परिवर्तन होता है और हम इस ‘आहार’ को फेंकते नहीं अपितु ‘पौधों को खिलाते हैं ।