नई देहली – ‘हिन्दू जनजागृति समिति के उत्तराखंड एवं हिमाचल प्रदेश राज्यों के समन्वयक श्री. श्रीराम लुकतुके (आयु ४३ वर्ष) ने ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त किया है’, ऐसा हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु चारुदत्त पिंगळेजी ने घोषित किया । समिति के साधकों के लिए आयोजित कार्यक्रम में श्री. लुकतुके ने समिति के कार्य से संबंधित अनुभव विशद किए । तदनंतर सद्गुरु पिंगळेजी ने यह आनंद-समाचार सभी को सुनाया । इस कार्यक्रम के लिए श्री. लुकतुके के पिताजी श्री. रमेश लुकतुके (आध्यात्मिक स्तर ६६ प्रतिशत), मां श्रीमती रोहिणी लुकतुके, पत्नी श्रीमती अवनी ‘ऑनलाइन’ जुडे थे । इस कार्यक्रम हेतु श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी भी ‘ऑनलाइन’ उपस्थित थीं ।
पिछले कुछ समय में श्रीराम भैया ने साधना परिपूर्ण होने हेतु अच्छे प्रयास किए ! – श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी
पहले श्रीराम भैया मन खोलकर बात नहीं करते थे; परंतु पिछले १-२ वर्षाें से उन्होंने इसके लिए प्रयास बढाए हैं । उन्होंने मन खोलकर मार्गदर्शन लिया । साथ ही भैया ने साधना परिपूर्ण होने हेतु अच्छे प्रयास किए । इस कारण भगवान ने उन्हें अपनी ही जन्मभूमि पर (मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि है । वहीं श्रीराम भैया सेवा करते हैं ।) जीवनमुक्त किया ।
समाज के विचारकों से निकटता बढाने एवं लगन से सेवा करनेवाले श्रीराम लुकतुके ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे
पहले श्रीराम भैया मुंबई में सेवा करते थे तथा वहां से सेवा करने देहली आए । यहां आने के उपरांत उन्होंने समाज के विचारकों से (intellectuals) संपर्क कर अच्छे से निकटता निर्माण की । विदेश में कार्य करनेवाले हिन्दुत्वनिष्ठों से भी संपर्क बनाना आरंभ किया । हमारे साथ (सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी एवं सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी) वे इंडोनेशिया भी आए थे । वहां भी उन्होंने बहुत लगन से सेवा की । देर रात तक जागकर प्रतिदिन सेवाओं का ब्योरा दिया । हरिद्वार के कुंभ मेले के समय भी उनके पास सेवाओं के आयोजन का दायित्व था । वे प्रत्येक सेवा भावपूर्ण करते हैं ।
श्री. श्रीराम लुकतुके द्वारा अनुभूत श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी की कृपा !
आध्यात्मिक स्तर घोषित होने के उपरांत अपनी भूमिका व्यक्त करते हुए श्री. श्रीराम लुकतुके ने कहा, ‘‘मेरे प्रयास गिलहरी के समान भी नहीं हैं; परंतु गुरुदेवजी की कृपा गोवर्धन पर्वत की भांति है । उन्होंने ही मुझे गोवर्धन पर्वत के नीचे आश्रय दिया है । इसी कारण यह (आध्यात्मिक उन्नति) साध्य हुआ है । सभी सद्गुरु एवं संतों की कृपा तो है ही; परंतु श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी की विशेष कृपा प्रतीत होती है । ‘श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी सूक्ष्म से साथ ही हैं तथा उनका प्रेम एवं आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है’, ऐसा अनुभव हो रहा है । साथ ही यदि कोई भी अडचन आए, तो मन में प्रथम श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी का स्मरण होता है तथा मन के सभी विचार नष्ट हो जाते हैं । चाहे कितनी भी समस्याएं आएं, तब एक क्षण के लिए भी आंखें बंद कर उनका स्मरण मात्र करने से कोई भी अडचन अथवा संकट टिक नहीं पाता । कुछ वर्ष पूर्व मन में नकारात्मक विचार आते थे एवं ‘माया में तो नहीं लौट जाऊंगा ?’, ऐसा लग रहा था; परंतु उन्होंने ही साधना में स्थिर रखा । केरल राज्य में सेवा करते समये वहां के साधकों ने बहुत संभाला एवं प्रेम भी दिया । मेरी यह साधना यात्रा गुरुदेजी द्वारा चयनित थी । यह यात्रा जारी है तथा आगे गुरुदेवजी और कितना आनंद प्रदान करेंगे, इसकी उत्सुकता मन में अधिक निर्माण हुई है ।’