सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की अनमोल सीख : खंड २ आचरण एवं सूक्ष्म आयाम से सिखाना
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी ज्ञान के मेरु पर्वत एवं गुणों के महासागर हैं ! उनका सहज आचरण भी साधना को विविधांगी दृष्टिकोण प्रदान करता है और उससे यह समझ में आता है कि ‘उचित एवं परिपूर्ण कृति कैसे करें ?’, वे सूक्ष्म आयाम से भी साधकों को सिखाते हैं । इसलिए ‘प्रतिकूल परिस्थिति में भी वे सूक्ष्म स्तर पर हमारे साथ रहकर हमें उचित साधना की दिशा अवश्य देंगे’, यह साधकों की श्रद्धा बढती है । उनकी सीख चैतन्य के स्तर पर होने के कारण, उनकी सीख साधकों के अंतर्मन तक पहुंचती है और वह सहजता से साधकों के आचरण में भी आ जाती है । ऐसे महान गुरु की सीख आचरण में लाकर शीघ्र गुरुकृपा के लिए पात्र होने हेतु उपयुक्त ग्रंथ !
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