१. जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के वरिष्ठों द्वारा हिन्दू कर्मचारी पर धर्मांतरण करने हेतु दबाव
‘वर्ष १९८८ में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय को ‘अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थान’ घोषित किया गया । इस विश्वविद्यालय से कुछ दिन पूर्व ही चौंकानेवाला एक समाचार सामने आया है । इस विश्वविद्यालय में राम निवास सिंह नामक हिन्दू व्यक्ति लिपिक के रूप में कार्यरत हैं । वहां पदोन्नति का पद रिक्त था तथा वे उस पद की योग्यता रखते थे । राम निवास सिंह ने आरोप लगाया कि ‘विश्वविद्यालय के प्राध्यापक नजीम हुसैन अल जाफरी ने उन्हें पदोन्नति हेतु धर्मांतरण करने के लिए कहा ।’ इस विषय में सिंह ने प्राध्यापक नजीम हुसैन अल जाफरी के विरुद्ध लिखित शिकायत की । जाफरी ने उन्हें लालच दिया कि ‘मुस्लिम धर्म में धर्मांतरण करने पर उनकी सभी समस्याओं का समाधान किया जाएगा, साथ ही उन्हें स्थायी नौकरी तथा पदोन्नति देकर उनके बच्चों का भविष्य सुनिश्चित किया जाएगा ।’ जाफरी इस विश्वविद्यालय में प्रबंधक के पद पर कार्य करते हैं । उनके साथ नसीम हैदर एवं शहीद तसलीम, इन दोनों ने भी इस हिन्दू व्यक्ति पर धर्मांतरण करने के लिए दबाव डाला । इस संदर्भ में सामाजिक माध्यमों पर वीडियो प्रसारित हुआ है ।
२. जातिगत गाली-गलौज तथा झूठे शीलभंग की शिकायत में फंसाने की धमकी
इस प्रकरण में राम निवास सिंह ने १५ जुलाई २०२४ को दक्षिण पूर्व देहली के जामियानगर पुलिस थाने में शिकायत प्रविष्ट की तथा उसके अनुसार पुलिस ने अपराध पंजीकृत किया । इस शिकायत में उल्लेख किया गया है कि जाफरी राम निवास सिंह को जाति के आधार पर अपमानित करते थे । वर्ष २००७ में अनुसूचित जाति के प्रवर्ग में सिंह की नियुक्ति हुई थी; परंतु उन्हें आरक्षण के लाभ देने के स्थान पर बलपूर्वक मुस्लिम धर्म स्वीकार करने के लिए उनपर दबाव डाला गया । सिंह ने इन धर्मांधों के विरुद्ध अपराध प्रविष्ट करने से पूर्व ‘राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग’ से शिकायत की थी । इस आयोग को संवैधानिक श्रेणी प्राप्त है । इस शिकायत का संज्ञान लेकर इस प्रकरण में अन्वेषण (जांच) का आदेश दिया गया; परंतु धर्मांधों ने इस पीडित दलित व्यक्ति को धमकाया तथा जातिगत गाली-गलौज कर शीलभंग की झूठी शिकायत में फंसाने की धमकी दी ।
३. हिन्दू छात्रों को मुस्लिम पंथ के अनुसार आचरण करने के लिए किया विवश
इस विश्वविद्यालय के एक पूर्व छात्र ने अपना नाम सार्वजनिक न करने की शर्त पर बताया कि वह इस विश्वविद्यालय में शिक्षा ले रहा था । यहां पहले से ही हिन्दू छात्रों को लक्ष्य बनाया जाता रहा है । उन्होंने दीपावली, होली जैसे त्योहारों में भाग लिया, तो उनका उत्पीडन किया जाता है । इसके साथ ही कुरान के कलमा पढने तथा इस्लाम के अनुसार आचरण करने हेतु बल प्रयोग किया जाता है ।’ ‘ऑर्गनाइजर’ नियतकालिक में इस संदर्भ में समाचार तथा लेख प्रकाशित हुआ है ।
४. अनुसूचित जाति-जनजातियों के लिए आरक्षित २४० से अधिक पद रिक्त
इस विश्वविद्यालय में अनुसूचित जाति-जनजातियों हेतु आरक्षित पद रद्द कर दिए गए हैं । इसके विरुद्ध आवाज उठने पर वर्तमान समय में २४० से अधिक पद रिक्त होने की बात कही गई है । इस विश्वविद्यालय में अनुसूचित जाति-जनजातियों हेतु आरक्षित पद भी भरे नहीं गए हैं । उसके लिए पीडित व्यक्ति ने देहली उच्च न्यायालय में रिट याचिका प्रविष्ट की है । इसपर देहली उच्च न्यायालय ने अनुसूचित जाति हेतु उपप्रबंधक का एक पद रिक्त रखने का आदेश दिया है । इसके साथ ही धर्मांध प्रबंधक ने श्री. सिंह को जो कष्ट पहुंचाया तथा उनका व्यक्तिगत रेकॉर्ड बिगाडने का प्रयास किया । इस विषय में विश्वविद्यालय से अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया है ।
५. केंद्र सहित अनेक राज्यों में हिन्दुत्वनिष्ठ सरकार होते हुए भी हिन्दुओं का धर्मांतरण रुकने का नाम नहीं ले रहा !
संपूर्ण भारत में धर्मांध मुसलमान एवं ईसाई हिन्दुओं का धर्मांतरण करने में अग्रसर हैं । देश में विगत १० वर्ष से भी अधिक काल से हिन्दुत्वनिष्ठ सरकारों के होते हुए भी धर्मांतरण की गतिविधियों में थोडी भी कमी नहीं आई है । इस विषय में विभिन्न उच्च न्यायालयों ने अनेक बार सरकार को भान कराया है, साथ ही उनके निर्णयपत्र में केंद्र एवं राज्य सरकारों को इसपर कार्यवाही करने के लिए सूचित भी किया है; परंतु बडे स्तर पर बलपूर्वक हिन्दुओं का धर्मांतरण हो रहा है । इसे रोकने हेतु प्रभावी हिन्दू-संगठन तथा उसके आगे जाकर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना ही इसका एकमात्र उपाय है ।’ (२३.७.२०२४)
श्रीकृष्णार्पणमस्तु ।
– (पू.) अधिवक्ता सुरेश कुलकर्णी, मुंबई उच्च न्यायालय
उत्तर प्रदेश में ईसाईयों द्वारा हिन्दुओं के धर्मांतरण का षड्यंत्र असफल !१३.७.२०२४ को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में ईसाई अवैध रूप से हिन्दुओं का धर्मांतरण करने का प्रयास कर रहे थे, तो इसमें एक पादरी सहित ४ व्यक्तियों को बंदी बनाया गया । पुलिस ने उनके विरुद्ध ‘भारतीय न्याय संहिता’ की धारा ३५१ (२) तथा (३) के अनुसार तथा ‘उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्मांतरण प्रतिबंधक कानून २०२१’ के अनुसार अपराध पंजीकृत किया । यह अपराध ठाकुर द्वारा पुलिस थाने में पंजीकृत किया गया । इस विषय में जानकारी देते हुए पुलिस अधिकारी राजेश कुमार ने कहा, ‘ईसाईयों की एक सभा का आयोजन किया गया था । उसमें लालच देकर भोले हिन्दुओं को धर्मांतरित करने का प्रयास किया गया’, यह आरोप लगाते हुए विश्व हिन्दू परिषद एवं बजरंग दल ने पुलिस में शिकायत की । उसके कारण अपराध पंजीकृत हुआ । ईसाई जयपाल, अमरजीत तथा मुकेश इन लोगों ने इस प्रकार की सभाएं आयोजित की थीं । उसमें १५ परिवारों के लगभग ६० व्यक्तियों का धर्मांतरण करने का उनका षड्यंत्र था । पुलिस शिकायत के अनुसार धर्मांतरण करने हेतु भोले हिन्दुओं को फ्रिज, चलित भ्रमणभाष संच, साईकिलें, मोटर साईकिलें, सिलाई मशीन आदि वस्तुएं देने का लालच दिया गया, साथ ही उन्हें नियमितरूप से प्रतिमाह २५ सहस्र रुपए देने का भी आश्वासन दिया गया । – (पू.) अधिवक्ता सुरेश कुलकर्णी |