सनातन के ‘अन्त्येष्टी एवं श्राद्ध’ ग्रन्थमाला के ग्रन्थ

श्राद्ध से पूर्वजों को गति मिलने की प्रक्रिया क्या है ? श्राद्ध द्वारा हमारी पितृदोष से रक्षा कैसे होती है ? ऐसे प्रश्नोंके उत्तर जानकर लेने के लिए पढिए ग्रंथ ‘श्राद्धका महत्त्व एवं अध्यात्मशास्त्रीय विवेचन’

विजेता छात्रों को सनातन के ग्रंथ पुरस्कार स्वरूप देने के लिए प्रधानाध्यापक एवं प्राचार्याें से संपर्क करें !

विद्यालयीन अथवा महाविद्यालयीन वर्ष के आरंभ में ही छात्रों को सनातन के ग्रंथ पुरस्कार स्वरूप देने के संदर्भ में विनती पत्र प्रधानाध्यापक एवं प्राचार्याें को देने का नियोजन करें ।

विद्यालय एवं महाविद्यालयों में आयोजित प्रतियोगिताओं में विजयी छात्रों को सनातन के ग्रंथ एवं लघुग्रंथ पुरस्कार स्वरूप दें !

छात्रों को पुरस्कार स्वरूप सनातन द्वारा प्रकाशित ‘बालसंस्कार’ नामक ग्रंथमाला तथा अन्य ग्रंथ देने से उनके मन पर सुसंस्कारों का महत्त्व अंकित होने में सहायता मिलेगी ।

सनातन के ‘देवताओं की उपासना’ ग्रन्थमाला के ग्रन्थ

श्रीकृष्ण के विविध नाम और उनका अर्थ, श्रीकृष्ण की गुण-विशेषताएं और कार्य इस संदर्भ मे पढिये ‘श्रीकृष्ण (लघुग्रन्थ)’ में

दिल्ली में हिंदुत्वनिष्ठ मान्यवारों को सनातन संस्था की ओर से राखी बांधी !

सुदर्शन न्यूज के प्रधान संपादक, श्री सुरेश चव्हाणके को सनातन संस्था की प्रवक्ता, कु कृतिका खत्री ने राखी बांधकर  उनकी लंबी आयु की एवं सतत धर्म के लिए कार्यरत रहने के लिए बल मिलने की प्रार्थना की ।

सनातन संस्था द्वारा फरीदाबाद में वृक्षारोपण उपक्रम संपन्न

वातावरण में बढे प्रदूषण को नियंत्रण में रखने और स्वच्छ वायु प्रदान करने के उद्देश्य से वृक्षारोपण आवश्यक है । वृक्षारोपण के महत्त्व को समझते हुए प्रत्येक व्यक्ति को पौधे लगाने चाहिए । इस उपक्रम के अंतर्गत छायादार वृक्ष लगाए गए ।

रक्षाबंधन के दिन बहन को चिरंतन ज्ञानामृत से युक्त सनातन के ग्रंथ भेंट कर, साथ ही राष्ट्र-धर्म के प्रति अभिमान बढानेवाले सनातन प्रभात की पाठिका बनाकर अनोखा उपहार दीजिए !

रक्षाबंधन के उपलक्ष्य में सर्वत्र के हिन्दू भाईयों से आवाहन !

‘अगामी आपातकालकी संजीवनी’ ग्रंथमाला

बिन्दुदाब उपचार : शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक कष्टों पर उपाय ‘सूचीदाब’ (एक्यूप्रेशर)

ब्राह्मतेज एवं क्षात्रतेज की उपासना से हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना संभव ! – सद्गुरु नंदकुमार जाधवजी, धर्मप्रचारक संत, हिन्दू जनजागृति समिति

आध्यात्मिक साधना करने से आत्मविश्वास जागृत होता है तथा व्यक्ति तनावमुक्त जीवन जी सकता है । वह साधना कर अपने कृत्य के फल के कार्य की अपेक्षा किए बिना कार्य कर सकता है तथा प्रत्येक कृत्य से आनंद प्राप्त करता है ।

परिपूर्ण सेवा करनेवाले एवं पितृवत प्रेम करनेवाले श्री.अरविंद सहस्रबुद्धे एवं चिकाटी से व्यष्टि एवं समष्टि साधना करनेवालीं श्रीमती वैशाली मुंगळे संतपद पर विराजमान !

पू. सहस्रबुद्धेजी के जीवन में साधना के कारण हुए परिवर्तन, उनके द्वारा स्थिरता से सर्व कठिन प्रसंगों का सामना करना, सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के प्रति उनकी श्रद्धा आदि प्रसंग सुनकर उपस्थित लोगों का भाव जागृत हुआ ।