‘चैट जीपीटी’ टेक्नोलॉजी सिस्टम हिंदू देवी-देवताओं और शास्त्रों का अपमान कर रहा है

केंद्र सरकार  को इस ओर तत्काल ध्यान देकर यह अपमान रोकने का प्रयास करना चाहिए !

हिन्दू छात्रों को सांताक्लॉज बनाना, उनको ईसाई धर्म की ओर मोडने का षड्यंत्र !

कॉन्वेंट पाठशालाओं में हिन्दू छात्रों को तिलक, कुमकुम लगाने, चूडियां पहनने इत्यादि कृत्य करने पर प्रतिबंध लगाया जाता है, तो हिन्दुओं की पाठशालाओं में ईसाईयों का उत्सव क्यों मनाएं ?

काशी एवं तमिळनाडु के लोगों का डीएनए एक ही है ! – संशोधनों का निष्कर्ष

अपने आप को ‘द्रविड’ मानकर देश के अन्य हिंदुओं से अलग समझने वाले तमिलनाडु के हिंदू द्रोहियों को (थप्पड़) चपकार !

लक्ष्मणपुरी (उत्तर प्रदेश) के विद्यालय में अंग्रेजी वर्णमाला द्वारा भारतीय संस्कृति सिखाने का प्रयास

किसी एक  विद्यालय द्वारा ऐसा प्रयास करने के स्थान पर केंद्र और राज्य सरकारों को ही इस प्रकार की पुस्तकें बनाना आवश्यक है ! पिछले ७५ वर्षों में ऐसे प्रयास न होना, यह अभी तक की सभी पार्टियों के शासनकर्ताओं के लिए लज्जास्पद ही है !

हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के लिए तन, मन, धन, बुद्धि और कौशल का योगदान करना, यही काल के अनुसार गुरुदक्षिणा !

आज प्रत्येक व्यक्ति धर्माचरण करने लगा, उपासना करने लगा, तो ही वह धर्मनिष्ठ होगा । ऐसे धर्मनिष्ठ व्यक्तियों के समूह से धर्मनिष्ठ समाज की निर्मिति हो सकती है । धर्मनिष्ठ होने के लिए धर्म के अनुसार बताई उपासना अर्थात साधना करना अनिवार्य है ।

राखीपूर्णिमा के दिन बहन को चिरंतन ज्ञानामृत से युक्त सनातन के ग्रंथ भेंट कर, साथ ही राष्ट्र-धर्म के प्रति अभिमान बढानेवाले सनातन प्रभात की पाठिका बनाकर अनोखा उपहार दीजिए !

बहन के मन पर साधना का महत्त्व अंकित कर उसे उसके जीवन में आमूलचूल परिवर्तन लानेवाले ‘सनातन प्रभात’ की पाठक बनाना और उसे उसमें दी जानेवाली अमूल्य जानकारी पढने के लिए प्रेरित करना, उसके लिए इससे अधिक श्रेष्ठ उपहार अन्य क्या हो सकता है ?

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होने के पश्चात ही विश्व का कल्याण करने में भारत सक्षम बनेगा ! – प.पू. स्वामी गोविंद देवगिरी महाराज, कोषाध्यक्ष, श्रीरामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास, अयोध्या

भारत में अनादि काल से हिन्दू संस्कृति है । यह संस्कृति प्रगल्भ विचारधारा लेकर आई है । संसार की अन्य संस्कृतियों का लय हो चुका है, तब भी हिन्दू संस्कृति आज भी टिकी हुई है; क्योंकि यह संस्कृति वैदिक विचारधारा पर आधारित है ।