सहमति से शारीरिक संबंध बनाने की आयु १६ वर्ष होनी चाहिए !
यदि लडके-लडकियों को बचपन से ही साधना सिखाई जाए तो उनकी बुद्धि सात्विक हो जाएगी और वे अनुचित कार्य नहीं करेंगे ! शासन को इसके लिए प्रयास करना चाहिए !
यदि लडके-लडकियों को बचपन से ही साधना सिखाई जाए तो उनकी बुद्धि सात्विक हो जाएगी और वे अनुचित कार्य नहीं करेंगे ! शासन को इसके लिए प्रयास करना चाहिए !
भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के पश्चात, उसके द्वारा विश्वकल्याण का कार्य होगा, यह आज तक का इतिहास है । इसलिए ‘सनातन भारत’ कहें, अथवा ‘हिन्दू राष्ट्र’ कहें अथवा ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र’ कहें, इन सभी का अर्थ एक ही है ।
राष्ट्र और भारतीय संस्कृति को कुटिल दृष्टि से देखने वालों के विरुद्ध संवैधानिक रूप से सतत संघर्षरत हिन्दू-द्वेषी चित्रकार एम.पी. हुसैन और डॉ. जाकिर नाइक के राष्ट्र विरोधी और असामाजिक स्वरूप को जनसामान्य के समक्ष उजागर करने के साथ-साथ भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए पुस्तकें लिखने के लिए श्री. रमेश शिंदे को यह पुरस्कार दिया गया।
हिन्दुओं को अपने धर्मग्रंथों का अध्ययन करना चाहिए । धर्मग्रंथों का अध्ययन करने से हिन्दुओं का धर्मांतरण नहीं होगा
श्री. रवींद्र पाटील ने कहा, ‘‘यहां हिन्दुत्व के अधिवेशन में होने के स्थान पर मैं संतों एवं महापुरुषों के मध्य हूं’, ऐसा मुझे लग रहा है । यहां सेवा कर रहे सभी के मुख पर कितना तेज है ! सभी के आचरण में कितनी विनम्रता है ।
जुनैद की मां रानी बेगम ने कहा कि मेरा बेटा नियमित श्री गणेश की मूर्ति साथ रखता है । इसलिए उसकी पत्नी उसे डांटती है और ससुराल के लोग उसे जान से मारने की धमकी देते हैं ।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का सफल परीक्षण ! अश्वगंधा के मॉलिक्यूल के कारण ८७% से अधिक कोरोना विषाणु नष्ट करने में सहायता होना, ऐसा संशोधन से ध्यान में आया ।
भारतीय संस्कृति का प्रचार करने के लिए नए मार्ग ढूंढे जा रहे हैं । अंतरराष्ट्रीय योग दिवस उसका उत्तम उदाहरण है ।
अमेरिका के आंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने अपना वार्षिक ब्योरा प्रस्तुत किया है । इसके अंतर्गत उसने अमेरिका के परराष्ट्र विभाग को धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति पर भारत को ‘विशेष चिंताजनक देश’ के रूप में घोषित करने के लिए कहा है ।
मॅारिशस के प्रधानमंत्री प्रवींदकुमार जगन्नाथ तथा महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पुतले का अनावरण किया । इस समय पूरा परिसर शिवाजी महाराजजी के जयघोष से गूंज उठा था ।