भारत की सरकारी संस्थाओं पर धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने का आरोप

(यह देखिए !) अमेरिका के आंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की नई खोज  ?

वॉशिंग्टन – अमेरिका के आंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने अपना वार्षिक ब्योरा प्रस्तुत किया है । इसके अंतर्गत उसने अमेरिका के परराष्ट्र विभाग को धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति पर भारत को ‘विशेष चिंताजनक देश’ के रूप में घोषित करने के लिए कहा है । भारत में सरकारी संस्था एवं अधिकारियों पर धार्मिक स्वतंत्रता का ‘गंभीर उल्लंघन’ का आरोप कर बायडेन प्रशासन को उन पर निर्बंध लगाने का आवाहन किया है । इसके साथ ही अमेरिका की काँग्रेस को अमेरिका-भारत द्विपक्षीय बैठक में धार्मिक स्वतंत्रता का सूत्र उपस्थित कर उस पर सुनवाई की अनुशंसा (सिफारिश) की है ।

आंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने अपने ब्योरे में आरोप किया है कि वर्ष २०२२ में भारत की धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति  सतत गिरती जा रही थी । वर्षभर में भारत सरकार ने राष्ट्रीय, राज्य एवं स्थानीय स्तर पर धार्मिक भेदभाव करनेवाली नीतियों को प्रोत्साहन दिया । इसमें धर्मपरिवर्तन, आंतरधर्मीय संबंध, हिजाब एवं गोहत्या जैसे कानूनों का समावेश है । इससे मुसलमान, ईसाई, सिक्ख, दलित एवं आदिवासियों पर नकारात्मक परिणाम होना बताया है ।

ब्योरा पूर्णरूप से निर्णायक नहीं ! – वेदांत पटेल

अमेरिका के परराष्ट्र विभाग के उपप्रवक्ता वेदांत पटेल

अमेरिका के परराष्ट्र विभाग के उपप्रवक्ता वेदांत पटेल ने पत्रकारों से संवाद करते समय कहा कि, ‘आंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग’यह परराष्ट्र विभाग की शाखा नहीं है । यह ब्योरा पूर्णरूप से निर्णायक नहीं है, इसलिए इसे स्वीकारना भारत के परराष्ट्र विभाग के लिए बंधनकारक नहीं है।

संपादकीय भूमिका 

  • भारत के अंतर्गत विषयों में हस्तक्षेप करने का अधिकार अमेरिका के आंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग को किसने दिया ?  ऐसा एकतरफा ब्योरा प्रकाशित कर भारत के विविध समुदायों में फूट डालने के प्रयास में आयोग पर कानूनन कार्रवाई करने के लिए अमेरिका पर भारत को दबाव डालना चाहिए !
  • अमेरिका में वर्णद्वेष बढने से वहां के कृष्णवर्णीय लोगों पर गोरों द्वारा निरंतर आक्रमण होते रहते हैं । इन आक्रमणों को रोकने के लिए आयोग प्रयत्न करे !