सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने कहा ‘हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना कोई प्रादेशिक राष्ट्रवाद की संकल्पना नहीं है । वह हमारे सनातन धर्म के वैश्विक संस्कृति एवं विश्वदर्शन का नाम हैं । हिन्दू ‘चराचर में ब्रह्म है’, ऐसा मानता है इस कारण उसका उपभोग करने की संस्कृति हिन्दुओं की नहीं है ।
इसलिए भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के पश्चात, उसके द्वारा विश्वकल्याण का कार्य होगा, यह आज तक का इतिहास है । इसलिए ‘सनातन भारत’ कहें, अथवा ‘हिन्दू राष्ट्र’ कहें अथवा ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र’ कहें, इन सभी का अर्थ एक ही है ।’
वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव का ‘यू-ट्यूब’ के माध्यम से मिला प्रतिसाद !
१६ जून अर्थात अधिवेशन के प्रथम दिवस पर विविध मान्यवरों द्वारा किए मार्गदर्शन हिन्दू जनजागृति समिति के यू-ट्यूब चैनल द्वारा १४ सहस्र से अधिक धर्मप्रेमियों ने देखे ।
ऑनलाइन प्रक्षेपण के माध्यम से अनेक लोगों ने हिन्दू जनजागृति समिति के कार्य में सम्मिलित होने की तैयार दर्शाई ।