विवाहसंस्कार शास्त्र एवं वर्तमान अनुचित प्रथाएं

वधू को पिता के घर से अपने घर ले जाना अर्थात ‘विवाह’ अथवा ‘उद्वाह’ है । विवाह अर्थात पाणिग्रहण, अर्थात वर द्वारा स्त्री को अपनी पत्नी बनाने के लिए उसका हाथ पकडना । पुरुष स्त्री का हाथ पकडता है; इसलिए विवाह उपरांत स्त्री पुरुष के घर जाए । पुरुष का स्त्री के घर जाना अनुचित है ।

विवाहपत्रिका

समाज पर भोगवाद के प्रभाव के कारण विवाह विधि अनेकों के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गई है । इस कारण धन पानी की भांति बहाया जाता है । इस अपव्यय का प्रारंभ विवाह की निमंत्रण पत्रिका से होता है ।

पूरे जिले में नहीं, अपितु केवल मंदिरों के निकट मांस बिक्री दुकानों पर बंदी !- गाजियाबाद के महापौर द्वारा स्पष्टीकरण

महापौर आशा शर्मा ने गाजियाबाद जिले में चैत्र नवरात्रि की कालावधि में मांस बिक्री की दुकानें बंद रखने का लिखित आदेश दिया था; किंतु अब केवल १२ घंटे के अंदर उन्होंने इस पर स्पष्टीकरण दिया है ।

ग्रंथमाला : आचारधर्म (हिन्दू आचारोंका अध्यात्मशास्त्र)

आनंदमय जीवन व्यतीत करते हुए मनुष्य ईश्वरप्राप्ति की दिशा में आगे बढे, इसके लिए हिन्दू धर्म में विविध आचार बताए गए हैं। काल के प्रवाह में हिन्दू इन आचारों को भूल गए, इसलिए उनका अध:पतन हो रहा है। इस अध:पतन को रोकने हेतु यह ग्रंथमाला पढें।

दैनिक जीवन में धर्माचरण की विशेषताएं एवं अध्यात्मशास्त्र

कलियुग में मनुष्य देवधर्म से कोसों दूर चला गया है । इसलिए टोपी या फेटा जैसे बाह्य माध्यमों की आवश्यकता लगने लगी, जिससे उसमें अपने कर्म के प्रति भाव तथा गंभीरता व आगे इसी माध्यम से ईश्वरप्राप्ति की रुचि उत्पन्न हो । इसीसे फेटा या टोपी धारण करने की पद्धति निर्मित हुई ।

हिन्दू धर्मशास्त्र की रूढि-परंपराओं के पीछे के वैज्ञानिक कारण

माथे पर दोनों आंखों के मध्य जिस स्थान पर तिलक लगाया जाता है, वह स्थान प्राचीन काल से मानवी शरीर का महत्त्वपूर्ण नियंत्रण केंद्र समझा जाता है । तिलक लगाने से शक्ति का लय टाला जाता है । भ्रूमध्य पर लाल रंग का तिलक लगाने से शरीर में ऊर्जा टिकी रहती है और विविध स्तरों पर एकाग्रता नियंत्रित होती है ।

अपने बच्चोंको भविष्यके आदर्श नागरिक बनाएं !

आजके बच्चे कलके आदर्श भारतके शिल्पकार हैं ! पश्चिमके अन्धानुकरण एवं ‘टीवी’के अतिरेकसे भटक रही आजकी पीढीको सुसंस्कारी एवं आदर्श बनानेका मार्ग है ग्रन्थमाला ‘बालसंस्कार’ !

माघ स्नानारंभ

‘गंगाजी शिवतत्त्व का सगुण रूप है’, इस मनोभाव से नमस्कार करें तथा विष्णुस्मरण करें ।

दत्तगुरु की काल के अनुसार आवश्यक उपासना

अधिकांश हिन्दुओं को अपने देवता, आचार, संस्कार, त्योहार आदि के विषय में आदर और श्रद्धा होती है; परन्तु अनेक लोगों को अपनी उपासना का धर्मशास्त्र ज्ञात नहीं होता । यह शास्त्र समझकर धर्माचरण उचित ढंग से करने पर अधिक लाभ होता है ।

‘उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड’ के भूतपूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने अपनाया हिन्दू धर्म !

“सनातन, विश्व का प्रथम धर्म है एवं यहां जितनी अच्छी बातें हैं, उतनी अन्य किसी भी धर्म में नहीं है। ‘जुम्मा’ के दिन नमाज पठन के पश्चात, मुझे मारने के लिए पुरस्कारों की घोषणा की गई। सिर काटने का फतवा निकाला गया। ऐसी स्थिति में मुझे ‘मुसलमान’ होने पर लज्जा आती थी !”