सुप्रसिद्ध अमेरिकी कलाकार व्हूपी गोल्डबर्ग ‘एबीसी’ समाचार जालस्थल पर ‘द व्यू’ (the view) चर्चासत्र में सूत्रसंचालक के रूप में कार्यरत हैं । जालस्थल पर ज्यू के हुए वंशसंहार के विषय में चर्चासत्र आयोजित हुआ था । उसमें गोल्डबर्ग ने वादग्रस्त विधान किया था कि ‘नाजियों ने ६० लाख ज्यू की हत्या की, यह तो कोई वंशसंहार नहीं’, ऐसा वादग्रस्त वक्तव्य किया । बस ! इतना कारण उन्हें २ सप्ताह के लिए निलंबित करने के लिए पर्याप्त था । इस समाचार वाहिनी के प्रमुख कीम गॉडवीन ने तुरंत ही आगे आकर, ‘निलंबन के काल में गोल्डबर्ग को उनके द्वारा किए वक्तव्यों के कारण क्या परिणाम हुआ ?’, इस विषय में अभ्यास करने के लिए बताया । आगे वे बोले, ‘एबीसी’ समाचार वाहिनी हमारे ज्यू मित्र एवं ज्यू समाज के साथ है ।’ गोल्डबर्ग का सामाजिक माध्यमों पर विरोध होने पर, उन्होंने तत्काल क्षमायाचना की; परंतु उसका कोई परिणाम समाचार वाहिनी पर नहीं हुआ । यहां ध्यान देनेवाली बात है कि व्हूपी गोल्डबर्ग, अमेरिका की वलयांकित व्यक्ति हैं । वे अभिनेत्री, विनोदी कलाकार, लेखिका एवं छोटे पर्दे पर नामांकित कलाकार के रूप में पहचानी जाती हैं । उन्होंने प्रतिष्ठित ‘ऐमी’, ‘ग्रैमी’, ‘एकेडमी’ एवं ‘टॉनी’ पुरस्कार प्राप्त किए हैं । इतना मान-सम्मान एवं प्रतिष्ठा उनका निलंबन रोक नहीं पाई । एक विशेष बात यह है कि गोल्डबर्ग, कृष्णवर्णीय हैं । पूरे जगत में कृष्णवर्णियों के संदर्भ में सहानुभूति की लहर है; फिर भी निलंबन करते समय उनके ‘कृष्णवर्णीय’ होने की उपेक्षा की गई । एबीसी न्यूज वॉल्ट डिस्नी की समाचार वाहिनी है । यदि प्रतिष्ठान चाहता तो गोल्डबर्ग के पक्ष में, कोई कारण बताकर निलंबन रोक सकता था; परंतु वैसा कुछ भी नहीं हुआ । अमेरिका में अभिव्यक्ति स्वतंत्रता, व्यक्ति स्वतंत्रता जैसी बातों का विशेष महत्त्व है; परंतु जब बात आती है ज्यू की, तब अमेरिका एवं वहां की समाचार वाहिनियां ऐसी सभी प्रकार की ‘स्वतंत्रता’ को खूंटी पर लटका देती हैं । इस प्रकरण में भी गोल्डबर्ग के वक्तव्य का बहुत विरोध हुआ अथवा ज्यू ने मोर्चा निकाला, आंदोलन किए, अमेरिका के राष्ट्रपति को निवेदन दिया, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ । उस पर गोल्डबर्ग क्षमा मांगकर, मुक्त हो गईं; परंतु ज्यू का वर्चस्व ही इतना है कि एबीसी समाचार वाहिनी को गोल्डबर्ग पर कार्यवाही करनी ही पडी । गोल्डबर्ग के ज्यूविरोधी अपराध से हिन्दुओं को यही सीखना है ।
‘ज्यू लॉबी’ का परिणाम !
अमेरिकी समाज पर अभिव्यक्ति स्वतंत्रता एवं व्यक्ति स्वतंत्रता की बहुत दृढ पकड होते हुए भी गोल्डबर्ग के प्रसंग में कोई भी उनका पक्ष लेने नहीं आया । ऐसा क्यों हुआ ? ‘ज्यू का वंशविच्छेद, धार्मिक नहीं था, अपितु वांशिक था । इतना भी गोल्डबर्ग को कैसे पता नहीं ?’, ऐसा ही सुर अमेरिकी समाज के अनेक लोगों ने आलापा । अभिव्यक्ति स्वतंत्रता का सुर आलापनेवालों ने इस प्रसंग में ऐसी पलटी कैसे मारी ? उसका उत्तर यह है कि अमेरिका की आर्थिक नाडी, इन ज्यू के हाथों में हैं । वहां के अनेक उद्योगपति, महत्त्वपूर्ण पद पर आसीन व्यक्ति ज्यू हैं । वे इजरायलप्रेमी हैं । ज्यू के अथवा इजरायल के विरोध में रोष की लहर उठने पर अमेरिका की भी ‘ज्यू लॉबी’ कार्यरत होती है । फिर वह अमेरिका की सरकार और प्रशासन पर दबाव डालना आरंभ करती है । ज्यू ने गत अनेक वर्षाें से अमेरिका के सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्रों पर अपना दबाव बना रखा है । गोल्डबर्ग का हुआ निलंबन भी उसका ही परिणाम है ।
भारत में ऐसा कब होगा ?
भारत में हिन्दूविरोधी वक्तव्य करना, हिन्दुओं के धर्मग्रंथ, देवी-देवताओं पर अभिव्यक्ति स्वतंत्रता के नाम पर टीका-टिप्पणी करना, यह तो नित्य का ही हो गया है; ऐसे में स्वरा भास्कर, नसिरुद्दीन शाह, जावेद अख्तर जैसों पर कार्यवाही हुई अथवा समाचार वाहिनियों में कार्यरत हिन्दूविरोधी राजदीप सरदेसाई, सागरिका घोष, बरखा दत्त जैसों के हिन्दूविरोधी विधानों पर उन पर कोई कार्यवाही हुई हो, ऐसा कभी हो सकता है क्या ? ‘ऐसा क्यों नहीं होता ?’, इसका विचार हिन्दुओं को करना चाहिए । जो ज्यू कर सकते हैं, वह हिन्दुओं के लिए क्यों संभव नहीं ? क्या अभिव्यक्ति स्वतंत्रता ज्यू लोगों पर लागू नहीं ? वह ज्यू एवं इजरायल के लिए भी है; परंतु वे उसका परिणाम स्वयं पर नहीं होने देते । विरोधकों पर निरंतर दबाव कैसे निर्माण किया जा सकता है, इसके लिए वह प्रयत्न करता है । अमेरिका की अनेक समाचार वाहिनियों में ज्यू पत्रकार कार्यरत हैं । यही क्यों ‘ऑस्ट्रेलिया के प्रसारमाध्यमों में ज्यू लॉबी कार्यरत होने से वहां इजरायल विरोधी समाचार प्रसारित नहीं किए जाते’, ऐसी टिप्पणी की जाती है । इससे हमारे ध्यान में आएगा कि विश्व के समक्ष अपनी प्रतिमा अच्छी बनाने के लिए इजरायल किसी भी स्तर तक प्रयत्न करता है । अमेरिका के अथवा अन्य देशों के प्रसारमाध्यमों में क्या ऐसा कभी हमारे सुनने में आता है ‘हिन्दूप्रेमी मानसिकता के पत्रकारों की लॉबी कार्यरत’ ?
केवल भारत में ही नहीं, अपितु अमेरिका की सीएनएन, न्यूयॉर्क टाइम्स, वॉल स्ट्रीट जर्नल, ब्रिटेन की बीबीसी जैसे बडे प्रसारमाध्यम हिन्दूविरोधी एवं भारतविरोधी हैं । हिन्दूबहुल भारत के हिन्दूविरोधी प्रसारमाध्यमों पर अपना सिक्का न जमा पानेवाले हिन्दू, विदेश के हिन्दूद्वेषी प्रसारमाध्यमों के मुंह कैसे बंद करेंगे ? हिन्दुओं, यह आवाहन स्वीकारो ! इसके लिए हिन्दुओं का परिणामकारक हिन्दू संगठन होना चाहिए । ‘जग झुकता है, झुकानेवाला चाहिए’, ऐसी कहावत है । ज्यू एवं इजरायल जग को इसी प्रकार झुकाते हैं । हिन्दुओं को भी बौद्धिक, आर्थिक एवं सामरिक क्षमता निर्माण कर, जग को झुकाना चाहिए । समस्त हिन्दू उस दिन की प्रतीक्षा में हैं !