सनातन के साधकों ने ली दैनिक ‘जागरण’ के पत्रकार श्री. वीरेंद्रकुमार ओझा की सदिच्छा भेंट !

सनातन पंचांग देखकर श्री. ओझा का भाव जागृत हुआ । वे बोले, ‘‘लगभग ६-७ वर्षाें पूर्व मुझे सनातन पंचांग मिला था । उसे मैंने अब तक सहेजकर रखा है ।’’

त्रिपुरा में एक मस्जिद में आग लगाने के प्रवाद (अफवाह) के पश्चात धर्मांधों द्वारा महाकाली मंदिर की तोडफोड !

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पदाधिकारी शिवाजी सेनगुप्ता पर कांग्रेस समर्थक छात्र संगठन एनएसयूआई एवं तृणमूल कांग्रेस द्वारा प्रेरित छात्र संगठन, तृणमूल छात्र परिषद के कार्यकर्ताओं ने आक्रमण किया ।

‘यूएएस (युनिवर्सल ऑरा स्कैनर)’ उपकरण द्वारा प.पू. बाळाजी (प.पू. दादा) आठवलेजी और उनके संत परिजनों के छायाचित्रों से अत्यधिक मात्रा में चैतन्य प्रक्षेपित होना सुनिश्चित होना

१३ वीं शताब्दी में महाराष्ट्र में जन्मे संत ज्ञानेश्वर महाराज स्वयं उच्च स्तर के संत थे और उनके माता-पिता एवं भाई-बहन भी संत थे । वर्तमान कलियुग में ऐसा ही एक उदाहरण है ‘सनातन संस्था’ और ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का !

मानव बुद्धि की सीमाएं

आधुनिक वैज्ञानिक बताते हैं कि मस्तिष्क (Brain) का एक छोटा भाग ही काम में आता है, शेष बहुत बडा भाग जीवन भर बेकार ही पडा रहता है । भारतीय संस्कृति इस बडे भाग का उपयोग करने बताती है ।

प.पू. भक्तराज महाराजजी का लीलासामर्थ्य और उनके शिष्य डॉ. जयंत आठवलेजी की त्रिकालदर्शिता !

‘भविष्य में प.पू. बाबा के भजनों का अर्थ कोई तो बताएगा’, यह परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को वर्ष २०१३ में ही ज्ञात था’, यह उनकी त्रिकालदर्शिता ही है !

६३ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कु. तेजल पात्रीकर (संगीत विशारद) की आवाज में ध्वनिमुद्रित किया ‘निर्विचार’ नामजप सुनने के प्रयोग में सम्मिलित साधकों को हुए कष्ट एवं विशेष अनुभूतियां

मन निर्विचार करने के लिए स्वभावदोष एवं अहं का निर्मूलन, भावजागृति इत्यादि के भले ही कितने भी प्रयत्न किए, तब भी मन कार्यरत रहता है । इसके साथ ही किसी देवता का नामजप अखंड करने से भी मन कार्यरत रहता है ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

हमारी पीढी ने वर्ष १९७० तक सात्त्विकता अनुभव की; परंतु अगली पीढियों ने वर्ष २०१८ तक अल्प मात्रा में उसे अनुभव किया और वर्ष २०२३ तक वे उसे अनुभव नहीं करेंगी । इससे आगे की पीढियां हिन्दू राष्ट्र में सात्त्विकता पुनः अनुभव करेंगी !

बांग्लादेश में २०० से अधिक धर्मांधों की ओर से पुन: आक्रमण

बांग्लादेश के नौआखाली में शुक्रवार की नमाज के बाद इस्कॉन के एक मंदिर पर २०० से अधिक धर्मांधों ने आक्रमण कर इस्कॉन के दो साधु निताई दास प्रभु और जतन दास प्रभु, साथ में भक्त पार्थ दास की हत्या कर दी ।

‘फेसबुक’ को जिहादी आतंकवादी संगठन नहीं, अपितु ‘सनातन संस्था’ लगती है खतरनाक !

फेसबुक ने सनातन संस्था को आतंकवादी संगठन, माओवादी संगठन आदि की पंक्ति में खडा कर, अपना बौद्धिक दिवालियापन ही उजागर किया है ! – संपादक

फरार आतंकवादी जाकिर नाइक को नहीं; अध्यात्मप्रसार करनेवाली सनातन संस्था को संकट माननेवाली ‘फेसबुक’ हिन्दूद्वेषी है ! – चेतन राजहंस, राष्ट्रीय प्रवक्ता, सनातन संस्था

हम ‘फेसबुक’ को चुनौती देते हैं कि वह सनातन संस्था की एक भी आपत्तिजनक अथवा समाजविघातक पोस्ट दिखाए । सनातन संस्था भारतीय संविधान और कानून का पालन कर धर्मप्रसार करनेवाली एक आध्यात्मिक संस्था है ।