साधकों को सूचना तथा पाठक, शुभचिंतक एवं धर्मप्रेमियों से विनती
‘सनातन के संपर्क में आए एक ज्योतिषी सनातन के मार्गदर्शन में पूर्णकालीन साधना करनेवाले साधकों के विषय में निम्न प्रकार की भ्रांतियां फैला रहे हैं, ऐसा ध्यान में आया है ।
१. आलोचना : १० वर्ष पूर्णकालीन साधना करनेवालों के मुखमंडल पर (चेहरे पर) तेज दिखना चाहिए । वह साधकों के मुखमंडल पर नहीं दिखता ।
स्पष्टीकरण :
१ अ. मुखमंडल पर तेज दिखना, यह साधना के कारण आध्यात्मिक उन्नति होने पर दिखाई देनेवाले अनेक लक्षणों में से एक लक्षण है । वाणी चैतन्यमय होना, मुखमंडल आनंदी होना, सुगंध आना, अंतर्मन से नामजप होना इत्यादि अनेक लक्षण होते हैं । इसलिए उन्नति होने के उपरांत ‘मुखमंडल पर तेज दिखना ही चाहिए’, ऐसा नहीं ।
१ आ. अनेक बार प्रारब्ध की तीव्रता और अनिष्ट शक्तियों का कष्ट अधिक हो, तो उसकी तीव्रता अल्प करने में साधना व्यय होती है । इसलिए प्रारब्ध की तीव्रता अल्प होकर साधना अच्छी होनी लगती है ।
१ इ. साधक के मुखमंडल का तेज साधना न करनेवाले सामान्य व्यक्ति के ध्यान में नहीं आता ।
१ ई. रामनाथी, गोवा स्थित सनातन का आश्रम देखनेवाले संत, मान्यवर, जिज्ञासु, ऐसे अनेक लोगों ने, ‘आश्रम के साधकों का चेहरा प्रसन्न रहता है, उनके चेहरे पर तेज होता है, उनकी ओर देखकर अच्छा लगता है’, ऐसे शब्दों में प्रशंसा की है । यह प्रशंसा अर्थात सनातन के साधकों द्वारा लगन से की जा रही निष्काम साधना, साथ ही राष्ट्र और धर्म के कार्य को प्राप्त प्रमाणपत्र ही है ।
(इससे यह ज्योतिषी सनातन के साधकों के विषय में कैसी भ्रांति फैला रहे हैं, यह ध्यान में आएगा ! – संकलनकर्ता)
२. आलोचना : पूर्णकालीन साधना करनेवालों के मन को माया के विचार स्पर्श भी नहीं करते
स्पष्टीकरण : ७० प्रतिशत से अल्प आध्यात्मिक स्तरवाले साधकों के मन को कम-अधिक मात्रा में माया के विचार स्पर्श करने की संभावना होती है !
३. आलोचना : भावनावश कुछ साधकों ने पूर्णकालीन साधना करने का निर्णय लिया । ऐसे निर्णय लेने पर उचित साधना भी नहीं होती और उचित व्यवहार भी नहीं होता । बाद में इन कारणों से उन्हें निराशा होती है ।
स्पष्टीकरण : मूलत: मानवी जीवन की सार्थकता की दृष्टि से पूर्णकालीन साधना करना, यह सर्वाेत्तम निर्णय होता है । प्रारब्ध के कारण अथवा अडचनों के कारण पूर्णकालीन साधना से दूर गए साधकों की भी भगवान आध्यात्मिक देखभाल करता है । साथ ही पूर्णकालीन साधना करने के कारण निराशा हुई ऐसा एक भी उदाहरण सनातन संस्था में नहीं ! इस प्रकार सनातन की साधना और साधकों के विषय में भ्रम फैलानेवाले ज्योतिषियों से साधक सावधान रहें !’
– श्री. वीरेंद्र मराठे, प्रबंधकीय न्यासी, सनातन संस्था (८.१२.२०२१)