विवाह के उपलक्ष्य में अन्यों को सनातन के ग्रंथ, लघुग्रंथ अथवा सात्त्विक उत्पाद उपहारस्वरूप दें !

सनातन द्वारा अध्यात्मशास्त्र, साधना, आचारधर्म, बालसंस्कार, राष्ट्ररक्षा, धर्मजागृति आदि विषयों पर ग्रंथसंपदा प्रकाशित की जाती है । ये ग्रंथ एवं लघुग्रंथ सगे-संबंधियों को उपहारस्वरूप देने पर अधिकाधिक लोगों तक अमूल्य ज्ञान पहुंचेगा ।

भैयादूज के निमित्त बहन को उपहार के रूप में चिरंतन ज्ञानामृत से युक्त सनातन संस्था के ग्रंथ भेंट कर, साथ ही राष्ट्र-धर्म के प्रति गौरव बढानेवाले ‘सनातन प्रभात’ का सदस्य बनाकर अनोखा उपहार दीजिए ! 

भैयादूज के दिन बहन को अशाश्वत भेंटवस्तुएं देने की अपेक्षा चिरंतन ज्ञान का प्रसार करनेवाले सनातन की ग्रंथसंपदा के ग्रंथ उपहार के रूप में दिए जा सकते हैं, उसी प्रकार बहन को ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक का पाठक भी बनाया जा सकता है ।

धनतेरस के निमित्त धर्मप्रसार के कार्य हेतु ‘सत्पात्र-दान’ कर श्री लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करें  !

धनतेरस के शुभमुहूर्त पर भगवद् कार्य के लिए, अर्थात भगवान के धर्मसंस्थापना के कार्य हेतु धन अर्पित करें । धन का उपयोग सत्कार्य के लिए होने पर धनलक्ष्मी लक्ष्मी रूप में सदैव साथ में रहेंगी ।

सनातन के दिव्य ग्रंथों के लिए अनुवादकों की आवश्यकता !

जो भी सनातन के दिव्य ग्रंथों का अनुवाद मराठी/हिन्दी/अंग्रेजी से गुजराती/कन्नड/मलयालम/तमिल/तेलुगु तथा मराठी से अंग्रेजी में करने के इच्छुक हैं, कृपया संपर्क करें ।

नवरात्रि के काल में होनेवाली धर्महानि रोकें तथा ‘आदर्श नवरात्रोत्सव’ मनाने के लिए प्रयास कर देवी की कृपा प्राप्त करें !

नवरात्रोत्सव से होनेवाली धर्महानि रोकने के लिए वैधानिक पद्धति से प्रयास कर उत्सव की पवित्रता बनाए रखना प्रत्येक देवीभक्त का आद्य कर्तव्य है । इन अप्रिय घटनाओं को रोककर ‘आदर्श नवरात्रोत्सव’ मनाना तथा उसके लिए अन्यों को भी प्रेरित करना देवी की श्रेष्ठ स्तर की उपासना सिद्ध होगी !’

उत्पादों पर छपे देवताओं के चित्र अथवा शुभचिन्हों का अनादर न हो, इसलिए उन्हें कहीं भी न फेंकते हुए उनका अग्नि विसर्जन करें !

देवताओं के चित्रों तथा उनके नाम में उनकी शक्ति कार्यरत होती है । हमारे देवताओं तथा श्रद्धास्रोतों का इस प्रकार अपमान न हो, इसलिए सभी का सतर्क रहना आवश्यक है । ऐसी वस्तुओं का उपयोग करने के उपरांत, उस वस्तु पर बने देवताओं के नाम के ‘स्टिकर’ अथवा चित्र को अग्नि में विसर्जित करें ।

पाठकों, शुभचिंतकों और धर्मप्रेमियों से विनम्र निवेदन तथा साधकों के लिए महत्त्वपूर्ण सूचना !

पितृपक्ष में पितृलोक, पृथ्‍वीलोक के सर्वाधिक निकट आने से इस काल में पूर्वजों को समर्पित अन्‍न, जल और पिंडदान उन तक शीघ्र पहुंचता है । उससे वे संतुष्‍ट होकर परिवार को आशीर्वाद देते हैं ।

सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी के अनमोल वचन तथा मार्गदर्शन

सुख पाने की अपेक्षा के कारण अन्यों से इच्छा अथवा अपेक्षा करना, यदि हमारे जीवन में दुख तथा अज्ञान निर्माण करता है, तो वह ‘आसक्ति’ है ।

विद्यालय एवं महाविद्यालयों में आयोजित प्रतियोगिताओं में विजयी छात्रों को सनातन के ग्रंथ एवं लघुग्रंथ पुरस्कार स्वरूप दें !

छात्रों को पुरस्कार स्वरूप सनातन द्वारा प्रकाशित ‘बालसंस्कार’ नामक ग्रंथमाला तथा अन्य ग्रंथ देने से उनके मन पर सुसंस्कारों का महत्त्व अंकित होने में सहायता मिलेगी ।