अक्षय तृतीया के पर्व पर ‘सत्पात्र को दान’ देकर ‘अक्षय दान’ का फल प्राप्त करें !

‘अक्षय तृतीया’ हिन्दू धर्म के साढे तीन शुभमुहूर्ताें में से एक मुहूर्त है । इस दिन की कोई भी घटिका शुभमुहूर्त ही होती है । इस दिन किया जानेवाला दान और हवन का क्षय नहीं होता; जिसका अर्थ उनका फल मिलता ही है ।

खर्च की तुलना में समष्टि को होनेवाला लाभ महत्वपूर्ण !

महर्षि की आज्ञा से मेरा जन्मदिन प्रतिवर्ष मनाया जा रहा है । इसके लिए थोड़ा अधिक प्रमाण में खर्च भी करना पड़ रहा है, लेकिन खर्च की तुलना में समाज को आध्यात्मिक स्तर पर होने वाला लाभ अधिक है ।

अक्षय तृतीया के पर्व पर ‘सत्पात्र को दान’ देकर ‘अक्षय दान’ का फल प्राप्त करें !

‘३०.४.२०२५ को ‘अक्षय तृतीया’ है । ‘अक्षय तृतीया’ हिन्दू धर्म के साढे तीन शुभमुहूर्ताें में से एक मुहूर्त है । इस दिन किया जानेवाला दान और हवन का क्षय नहीं होता; जिसका अर्थ उनका फल मिलता ही है । इसलिए कई लोग इस दिन बडी मात्रा में दानधर्म करते हैं ।

विशेष अंक ‘हिन्दुत्व के स्तंभ !’ शीघ्र पढ़ें !

जिस प्रकार छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित हिन्द‍वी स्वराज्य के लिए मावले और शिलेदारों द्वारा किया गया बलिदान सर्वोच्च है, उसी प्रकार आज अनेक हिन्दुत्‍वनिष्ठ हिन्दुत्‍व की रक्षा के लिए ‘शिलेदार’ के रूप में कार्य कर रहे हैं ।

आपातकाल से पूर्व ग्रंथों के माध्यम से धर्मप्रसार कर, सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ग्रंथ-निर्मिति के कार्य की सेवा में सम्मिलित हों !

भीषण आपातकाल का आरंभ होने से पूर्व ही सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ग्रंथ-निर्मिति के कार्य में सम्मिलित होकर शीघ्र ईश्वरीय कृपा के पात्र बनें !

विभिन्न दृश्य-श्रव्य लघुफिल्मों के लिए  (‘वीडियो एवं ‘ऑडियो’ में) उद्घोषणा करने हेतु स्त्री एवं पुरुष (साधक) उद्घोषकों की आवश्यकता !

‘सनातन के रामनाथी, गोवा के आश्रम में विभिन्न दृश्य-श्रव्य लघुफिल्में बनाई जाती हैं । इन लघुफिल्मों की उद्घोषणा करने हेतु स्त्री एवं पुरुष उद्घोषकों की आवश्यकता है ।

हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत रविन्द्र पुरीजी का सम्मान !

हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने ‘अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद’ के अध्यक्ष श्री महंत रविन्द्र पुरीजी से भेंट की । इस अवसर पर सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगले ने श्री महंत रविन्द्र पुरीजी को पुष्पमाला एवं उपहार देकर सम्मानित किया ।

सनातन के आश्रमों में ‘संगणकों की देखभाल तथा मरम्मत’, इन सेवाओं के लिए साधकों, हितचिंतकों तथा धर्मप्रेमियों के सहयोग की आवश्यकता !

‘सनातन संस्था के राष्ट्र-धर्म के कार्य के अंतर्गत विभिन्न सेवाओं के लिए आधुनिक संगणक प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाता है । यह सेवा करने की क्षमता रखनेवाले साधकों की तुरंत आवश्यकता है । सनातन के पाठकों, हितचिंतकों तथा धर्मप्रेमियों को भी इस सेवा में अपना योगदान देने का स्वर्णिम अवसर है ।

विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में आयोजित की जानेवाली प्रतियोगिताओं में विजेता छात्रों को पुरस्कार के रूप में सनातन के ग्रंथ एवं लघुग्रंथ दें  !

विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों एवं महाविद्यालयों के प्राचार्यों से विनम्र अनुरोध !