हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के लिए युवक हनुमानजी के गुण धारण करें ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी

हनुमानजी रामभक्तों के आगे हाथ जोडकर विनम्र रहते थे और असुरों के समक्ष उनका महाबली रूप प्रकट हो जाता था । वर्तमान समय में हनुमानजी की उपासना करते समय हमें हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के लिए उनके गुणों को भी धारण करना होगा ।

वृदांवन के आचार्य श्री. संजीव कपिलजी ने सनातन संस्था के कार्य को दिया आशीर्वाद !

आचार्य श्री. संजीव कपिलजी ने सनातन संस्था के कार्य को आशीर्वाद दिया । इस समय सनातन संस्था द्वारा आयोजित धर्मशिक्षा के कार्य के बारे में उन्हें अवगत कराया । आध्यात्मिक स्तर पर हो रहा यह कार्य सुनकर आचार्यजी ने कार्य की प्रशंसा की और हमें सहायता का आश्वासन भी दिया ।

दिल्ली एनसीआर में नागपंचमी एवं रक्षाबंधन विषय पर ‘ऑनलाइन’ प्रवचन एवं रक्षाबंधन अभियान

हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से माननीय पार्षद श्रीमान सुभाष बडाना को तथा उनके सहयोगी श्रीमान चंद्र प्रकाश कालरा को राखी बांधकर समाज, धर्म, राष्ट्र रक्षा के लिए शक्ति प्राप्त हो यह प्रार्थना की ।

दिल्ली एवं हरियाणा में संत कृपा प्रतिष्ठान की ओर से वृक्षारोपण अभियान !

वातावरण में बढते प्रदूषण को नियंत्रण में रखने और स्वच्छ वायु प्रदान करने के उद्देश्य से वृक्षारोपण आवश्यक है । इस उद्देश्य से वृक्षारोपण किया गया । इस उपक्रम में स्कूल के २५ बच्चे, अध्यापिका और प्रधानाचार्य श्रीमती रमा रानी भी उपस्थित रहे ।

‘लैंड जिहाद’

हिन्दुओं की भूमि महंगे मूल्य पर खरीदना और अधिकाधिक संवेदनशील और महत्त्वपूर्ण भूभागों पर नियंत्रण स्थापित कर संपूर्ण देश में इस्लामीकरण करने का मुसलमानों का षड्यंत्र है । आज ‘मिनी पाकिस्तान’ के नाम से जो क्षेत्र जाने जाते हैं, वह उस व्यापक षड्यंत्र की ही तैयारी है ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

‘अनिष्ट से संसार की रक्षा करनेवाले, तथा मानव की ऐहिक और पारलौकिक उन्नति सहित मोक्ष प्रदान करनेवाला तत्त्व है धर्म ! अधिकांश विदेशी भाषाओं में ‘धर्म’ शब्द का समानार्थी शब्द भी नहीं ! इस कारण उनके लिए धर्माचरण करना कठिन होता है ।’

धर्मांध ‘पी.एफ.आई.’ का पिछडे वर्ग को साथ लेकर इस्लामी राष्ट्र बनाने का षड्यंत्र !

‘पी.एफ.आई. के द्वारा देशविघातक गतिविधियां चलाए जाने के असंख्य प्रमाण सामने आते हुए भी सरकार उस पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाती ?’, यह प्रश्न राष्ट्रप्रेमियों के मन में है !

सावधान ! २०४७ में ‘दार-उल-इस्लाम’ !

हिन्दुत्वनिष्ठों द्वारा ‘हम संवैधानिक पद्धति से हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करेंगे’, यह घोषणा दिए जाने पर आक्रोश कर चिल्लानेवाले धर्मनिरपेक्षतावादी अब कहां हैं ? अथवा क्या उन्हें इस्लामी राष्ट्र चलेगा ? यह प्रवृत्ति तो पाखंडी धर्मनिरपेक्षता और हिन्दूविघातक दोहरी नीति का उदाहरण है !

हिन्दू होना क्या लज्जाजनक (शर्म की) बात है ?

एक प्रसिद्ध हिन्दू शास्त्रज्ञ को ऐसा प्रश्न करना पड रहा है, इससे धर्मनिरपेक्ष भारत में हिन्दुओं की भयावह स्थिति ध्यान में आती है !

बिहार के १५ सहस्र मुसलमान युवकों को देश में अराजकता निर्माण करने हेतु दिया शस्त्र-अस्त्र का प्रशिक्षण !

पता नहीं ऐसे लोगों से होनेवाले अक्रमण रोकने के लिए सरकार उनपर कार्रवाई कब करेगी ? और उन्हें शिक्षा कब देगी ?