धर्मांध ‘पी.एफ.आई.’ का पिछडे वर्ग को साथ लेकर इस्लामी राष्ट्र बनाने का षड्यंत्र !

‘मिशन २०४७’ के लिए बनाया ‘जय भीम-जय मिम’ का शस्त्र !

‘जय भीम-जय मिम’ का अर्थ डॉ. आंबेडकर के अनुयायियों व मुसलमानों का गठबंधन !

नई देहली – जिहादी आतंकी संगठन ‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ ने (‘पी.एफ.आई.’ने) हिन्दू समाज को विभाजित करने का षड्यंत्र रचा है तथा ऐसा कर देश को ‘इस्लामिक राष्ट्र’ बनाने का षड्यंत्र रचा है । इसी पृष्ठभूमि पर पी.एफ.आई. के जिहादी नेताओं की ओर से ‘जय भीम-जय मिम’ का नारा दिया गया है । पुलिस द्वारा पी.एफ.आई. के कार्यालय पर की गई छापामारी में कुछ कागदपत्र मिले हैं, उससे यह षड्यंत्र उजागर हुआ है ।

१. पी.एफ.आई. के कार्यालय में ‘इंडिया विजन २०४७’ नाम की धारिका मिली है । उसमें ‘कायर हिन्दुओं’ पर संपूर्ण वर्चस्व स्थापित करने के लिए एक ‘रोडमैप’ (योजना) बनाए जाने का उल्लेख है ।

२. इस धारिका में कहा गया है कि पी.एफ.आई. ने अनुसूचित जातियों-जनजातियों और अन्य पिछडे वर्ग के हिन्दू समुदायों से निकटता बनाकर गठबंधन बनाना चाहिए और उससे चुनाव में कुछ सीटें जीतनी चाहिएं ।

३. ‘पी.एफ.आई. को अनुसूचित जातियों-जनजातियों और अन्य पिछडे वर्गाें तक पहुंचने के लिए और इस्लामिक राष्ट्र की स्थापना करने के लिए ‘राष्ट्रीय ध्वज’, ‘संविधान’ और ‘आंबेडकर’ जैसी संकल्पनाओं का ढाल के रूप में उपयोग करना पडेगा’, ऐसा भी कहा गया है ।

४. ‘जब ‘पी.एफ.आई.’ के पास पर्याप्त प्रशिक्षित जिहादी कार्यकर्ता तैयार होंगे और शस्त्रभंडार भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होगा, तब मुसलमान इस्लामी तत्त्वों पर आधारित नए संविधान की घोषणा करें । उस समय बाहरी शक्तियां भी हमारी सहायता करेंगी । हमारे विरोधियों को योजनाबद्ध पद्धति से और व्यापक स्तर पर नष्ट किया जाएगा और भारत में इस्लामिक वैभव की पुनर्स्थापना होगी’, ऐसा भी इस धारिका में कहा गया है । (२४.७.२०२२)

संपादकीय भूमिका

  • ‘मुसलमान पिछडे वर्ग से मित्रता क्यों करते हैं ?’, क्या यह अभी तो हिन्दुओं के ध्यान में आएगा ?
  • ‘पी.एफ.आई. के द्वारा देशविघातक गतिविधियां चलाए जाने के असंख्य प्रमाण सामने आते हुए भी सरकार उस पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाती ?’, यह प्रश्न राष्ट्रप्रेमियों के मन में है !