हिन्दुओ, शत्रु सीमा लांघ रहा है; इसलिए अपनी रक्षा की तैयारी करो !
‘देवताओं द्वारा आसुरी शक्तियों पर विजय प्राप्त करने का दिन है विजयादशमी !
‘देवताओं द्वारा आसुरी शक्तियों पर विजय प्राप्त करने का दिन है विजयादशमी !
‘पूरे विश्व के विदेशी लोगों को भारत के विषय में प्रेम प्रतीत होता है, उसका कारण है भारत के संतों द्वारा सिखाई जानेवाली साधना तथा अध्यात्म, न कि नेता और शासनकर्ता !’
‘भावी पीढी आतंकवादी न बने, इसलिए विद्यालय के पाठ्यक्रम में ही हिन्दू धर्म में बताया गया ज्ञान, विज्ञान तथा अच्छे संस्कारों की सीख देने से बालकों के मन में राष्ट्रप्रेम उत्पन्न होगा ।’
‘तन, मन, धन एवं अहं का त्याग होने पर तथा ईश्वर के प्रति भाव एवं भक्ति बढने पर ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है ।’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले
‘कहां स्वेच्छा से आचरण करने हेतु प्रोत्साहित कर मानव को अधोगति की ओर ले जानेवाले बुद्धिप्रमाणवादी और कहां मानव को स्वेच्छा का त्याग करना सिखाकर ईश्वरप्राप्ति करवानेवाले संत !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले
‘हिन्दुओ, हिन्दू राष्ट्र में दासता दर्शानेवाली तथा रज-तम प्रधान अंग्रेजी भाषा भारत में नहीं रहेगी । राज्यों की भाषा प्रशासकीय भाषा होगी । इसलिए यदि आपको ऐसा लगता है कि आगे आपके बच्चे को नौकरी मिले, तो उसे अभी से भारतीय राज्यभाषा में शिक्षा दें ।’
‘कठिन समय में कौन काम आता है ?’, इस प्रश्न का उत्तर है, ‘कठिन समय में ईश्वर ही काम आते हैं !’ संत एवं बुद्धिप्रमाणवादी में भेद !
‘कहां अर्थ और काम पर आधारित पश्चिमी संस्कृति, और कहां धर्म और मोक्ष पर आधारित हिन्दू संस्कृति ! हिन्दू पश्चिम का अंधानुकरण कर रहे हैं, इसलिए वे भी तीव्र गति से विनाश की ओर बढ रहे हैं !’
‘पुलिस तथा सेना में ही नहीं, प्रशासन में सभी को भर्ती करते समय हिन्दू राष्ट्र में ‘राष्ट्र एवं धर्म के प्रति प्रेम’ को सबसे बडा घटक माना जाएगा !’
‘जिस प्रकार अनपढ व्यक्ति का यह कहना कि ‘सभी भाषाओं के अक्षर समान होते हैं’, उसका अज्ञान दर्शाता है । उसी प्रकार ‘सर्वधर्म समभाव’ कहनेवाले अपना अज्ञान दर्शाते हैं । ‘सभी औषधियां, सभी कानून समान ही हैं’, ऐसा ही कहने के समान है, ‘सर्वधर्म समभाव’ कहना !’